America: अमेरिका में भारतीय छात्रों का 'दुश्मन' कौन, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं?
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America: अमेरिका में भारतीय छात्रों का 'दुश्मन' कौन, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं?

America Indian Student: अमेरिका में भारतीय छात्रों पर हमले और उनकी हत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसबार हैदराबाद के छात्र की ओहायो के cleveland में हत्या कर दी गई. 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अरफात का अपहरण कर लिया गया था.

America: अमेरिका में भारतीय छात्रों का 'दुश्मन' कौन, सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं?

America Indian Student: अमेरिका में भारतीय छात्रों पर हमले और उनकी हत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसबार हैदराबाद के छात्र की ओहायो के cleveland में हत्या कर दी गई. 25 साल के मोहम्मद अब्दुल अरफात का अपहरण कर लिया गया था. छात्र के पिता की शिकायत पर सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा था, लेकिन इसी बीच

cleveland में छात्र मोहम्मद अब्दुल अरफात का शव मिला.

भारतीय दूतावास ने की हत्या की पुष्टि

न्यूयॉर्क स्थित भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर छात्र की हत्या किये जाने की पुष्टि की और जल्द छात्र के शव को भारत पहुंचाने की बात कही है. भारतीय छात्र अरफात की हत्या को लेकर कई अहम जानकारी सामने आई हैं, जिसने अमेरिका में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की चिंता बढ़ा दी है. भारतीय दूतावास के मुताबिक तीन हफ्ते पहले अब्दुल अरफात को किसी ने अगवा कर लिया था. कहा गया कि अपहरण के पीछे drugs dealer का हाथ है.

1 लाख रुपये फिरौती भी मांगी

Kidnappers ने हैदराबाद में रहने वाले छात्र के पिता से फोन करके 1 लाख रुपये फिरौती भी मांगी थी. Kidnappers ने कहा था कि अगर पुलिस को सूचना दी या फिरौती नहीं दी, तो वो छात्र की किडनी निकालकर बेच देंगे. अब्दुल अरफात ने मई 2023 में मास्टर की पढ़ाई के लिए cleveland university में दाखिला लिया था.

हत्या किसने और क्यों की

पहले तो अमेरिकी पुलिस लापता छात्र को 3 हफ्ते तक तलाशने में नाकाम रही, और अब हत्या हो जाने के बाद उसके पास इसका जवाब नहीं है कि हत्या किसने और क्यों की. अमेरिका की जांच एजेंसियां इतनी भी नाकाबिल नहीं कि एक भारतीय छात्र की हत्या का केस ना सुलझा पाये. लेकिन भारतीय छात्रों की हत्या पर अमेरिका ने चुप्पी साध रखी है.

अमेरिका का लचर व्यवहार

ये वही अमेरिका है जो कनाडा में भारत विरोधी और खालिस्तानी आतंकी के मारे जाने पर चिंतित हो जाता है. कनाडा के बेबुनियाद आरोपों पर उसका साथ देने के लिए भारत पर आरोप मढ़ देता है, लेकिन अपने ही देश में भारतीय छात्रों की मौत पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.

..अमेरिका को भी सोचना चाहिए

अमेरिका, खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश में भारतीय अधिकारी के शामिल होने के आरोपों को गंभीरता से लेता है. ये जानते हुए भी कि निज्जर और पन्नू दोनों भारत विरोधी गतिविधियो मे शामिल रहे हैं. बावजूद इसके अमेरिका की तरफ से बयान जारी किया जाता है, लेकिन अमेरिका के अलग-अलग शहरों में भारतीय छात्रों पर हमले हो रहे हैं और कई केस में हत्या भी हुई है . फिर भी अमेरिका ना चिंतित होता है और ना ही इन हत्याओं को गंभीरता से लेता है. क्या ये अमेरिका का Double Stand नहीं है, इसे खुद अमेरिका को भी सोचना चाहिए.

कई भारतीय छात्रों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

ओहायो में भारतीय छात्र अब्दुल अरफात की हत्या कोई पहली घटना नहीं है, इस साल अमेरिका में कई भारतीय छात्रों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है. भारतीय छात्रों पर हमले की भी कई घटनाएं सामने आई हैं. लेकिन ज्यादातर केस अबतक अनसुलझे ही हैं. 1 फरवरी को अमेरिका के ओहायो में भारतीय छात्र श्रेयस रेड्डी का शव मिला था. पुलिस की जांच अभी भी जारी है. रेड्डी की मौत हत्या है या कुछ और, इसको लेकर कुछ नहीं बताया गया है. श्रेयस रेड्डी THE UNIVERSITY OF CINCINNATI के THE LINDNER SCHOOL OF BUSINESS में पढ़ाई करते थे.

संदिग्ध परिस्थितियों में मौत

इससे कुछ दिन पहले नील आचार्य नाम के भारतीय छात्र की मौत की खबर भी आई थी. इनकी मौत भी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी. इस मामले में भी पुलिस कुछ खास नहीं बता पाई है. नील आचार्य PURDUE UNIVERSITY में पढ़ते थे. 28 जनवरी को वो अचानक लापता हो गए थे, लेकिन कुछ दिन बाद पुलिस को उनका शव बरामद हुआ था. इसी तरह से MBA छात्र विवेक सैनी पर GEORGIA में नशे में धुत व्यक्ति ने हथौड़े से हमला कर दिया था. हालांकि हमलावर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.

अबतक खुलासा नहीं हो सका

अकुल बी धवन भी University Of Illinois में पढ़ाई करते थे. अकुल 20 जनवरी को लापता हो गए थे, इसके 10 घंटे बाद, अकुल का शव उनके कैंपस से कुछ ही दूरी पर मिला था. 18 मार्च को आंध्र प्रदेश के 20 वर्षीय अभिजीत की बोस्टन में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, मौत की वजह का अबतक खुलासा नहीं हो सका है. इन सभी छात्रों की मौत को लेकर पुलिस कुछ नहीं कह पा रही है. अमेरिका जैसे देश की पुलिस से ये उम्मीद नहीं है कि वो भारतीय छात्रों की संदिग्ध हालात में हुई मौतों पर चुप्पी साध ले, या जांच पूरी ना कर पाए. क्या अमेरिका, अपने किसी नागरिक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत पर शांत बैठता ?

भारत के 15 लाख छात्र दुनिया के अलग-अलग देशों में

भारत के 15 लाख छात्र, दुनिया के अलग-अलग देशों में पढ़ाई करने गए हुए हैं. फरवरी 2024 में लोकसभा में दिए गए एक जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया था कि वर्ष 2018 से लेकर 2 फरवरी 2024 तक करीब 403 भारतीय छात्रों की अलग-अलग देशों में मौत हुई है. भारतीय छात्रों की मौतों के कई कारण भी बताए हैं, जिसमें प्राकृतिक कारण, बीमारियां और हमले शामिल हैं.

भारतीय छात्रों की सबसे ज्यादा मौतें कनाडा में

भारतीय छात्रों की सबसे ज्यादा मौतें कनाडा में हुई है. विदेशों में मारे गए 403 भारतीय छात्रों में से इक्यानवें की मौत कनाडा में हुई है. यही नहीं इसमें से 48 छात्रों की मौत ब्रिटेन में और 36 छात्रों की मौत अमेरिका में हुई है. अमेरिका एक ऐसा देश है, जो उच्च स्तरीय शिक्षा देने वाले विश्वविद्यालयों के लिए मशहूर है. उच्च शिक्षा हासिल करने के मामले में अमेरिका, अंतरराष्ट्रीय छात्रों की पहली पसंद है. बावजूद इसके अमेरिका में विदेशी छात्रों की सुरक्षा एक गंभीर विषय है, जिस पर बाइडेन सरकार का ध्यान नहीं है. जहां तक अमेरिका जाने वाले विदेशी छात्रों की बात है तो,

वर्ष 2022-2023 में 10 लाख सत्तावन हजार 188 अंतरराष्ट्रीय छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालयों को चुना था. इनमें से 2 लाख अडसठ हजार 923 भारतीय छात्र थे. अमेरिका में उच्च शिक्षा पाने के लिए चीन के बाद सबसे ज्यादा संख्या भारतीय छात्रों की है. विदेश जाकर पढ़ाई करने के मामले में भारतीय छात्रों की पसंदीदा लिस्ट में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल है. इन देशों की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है, इसलिए ये भारतीयों की पसंद बनता है.

भारतीय छात्रों की पसंद बने रहे ये देश

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में जर्मनी, फ्रांस, रूस और सिंगापुर भी भारतीय छात्रों की पसंद बन रहा है. Global Education Conclave के मुताबिक वर्ष 2022 में भारत से बाहर जाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों ने लगभग 4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. जबकि 2025 तक ये खर्च 50 प्रतिशत तक बढ़कर लगभग 6 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएगा. यानी उच्च शिक्षा के मामले में विदेश जाकर पढ़ना, भारतीय छात्रों को पसंद है. अब मां-बाप भी अपने बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं . लेकिन लेकिन अमेरिका, कनाडा या यूके जैसे देशों से जब भारतीय छात्रों की हत्या या संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर आती है, तो डर लाजमी हो जाता है.

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