दुर्गावती मेवाड़ के महाराजा राणा सांगा की पुत्री थी और उनका विवाह रायसेन के राजा सिल्हादी से हुआ था.
1531 में रायसेन के सिल्हादी और मेवाड़ के राणा सांगा ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ मालवा को जीता था.
मालवा जीतने के बाद सुल्तान बहादुर को लगा कि सिल्हादी उसके लिए खतरा बन सकता है.
सुल्तान ने सिल्हादी को रायसेन का किला खाली करने को बोला और बड़ौदा चले जाने के लिए कहा.
सिल्हादी माना नहीं, सुल्तान ने उसे अपने मांडू के कैंप बुलाया और धोखे से कैद कर लिया.
1532 में सुल्तान ने रायसेन किले पर घेरा डाला. तब किले में रानी दुर्गावती और सिल्हादी के भाई लक्ष्मण राय थे, जो किले की देखरेख करते थे.
महीनों बीतने के बाद सुल्तान ने सिल्हादी को अंदर भेजा. रानी दुर्गावती ने उनसे किसी भी हालत में सुल्तान के सामने न झुकने की बात कही.
युद्ध में सिल्हादी हार गए और रानी दुर्गावती ने किले में मौजूद 700 राजपूतानियों के साथ जौहर कर लिया.