कहा जाता है कि प्रभु राम ने छत्तीसगढ़ में प्रवेश सीतामढ़ी हरचौका से किया था.
मान्यता है कि सरगुजा के रामगढ़ में प्रभु राम, सीता माता और लक्ष्मण ने निवास किया था. यहां एक लक्ष्मण गुफा भी है.
मान्यता के अनुसार जांजगीर-चांपा की शिवरीनारायण में भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे.
कहा जाता है कि यहां महर्षि वाल्मिकी का आश्रम था. जब भगवान राम ने मां सीता का परित्याग किया तब लक्ष्मण जी उन्हें लेकर महर्षि वाल्मिकी के आश्रम आए थे.
चांदखुरी गांव को राजा राम का ननिहाल कहा जाता है.
कहा जाता है कि वनवास के दौरान भगवान राम ने राजिम में ऋषि लोमश के आश्रम पर कुछ समय गुजारा था.
धमतरी से 80 KM की दूरी पर सिहावा पर्वत पर सप्तऋषि का आश्रम है. कहा जाता है कि यहां राम ने उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया था.
माना जाता है कि कुटुमसर गुफा भगवान राम का निवास स्थान था. ये जगदलपुर से 40 KM की दूरी पर तीरथगढ़ झरने के पास है.
कहा जाका है कि यहीं पर प्रभु राम ने देवी चिटमिट्टिन माता की पूजा की थी. आज भी चिटमिट्टिन माता मंदिर मौजूद है.