Lok Sabha Chunav: चुनाव में पहले वाली लहर तो है नहीं! वेस्ट यूपी में वोटरों के दिमाग में क्या चल रहा?
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Lok Sabha Chunav: चुनाव में पहले वाली लहर तो है नहीं! वेस्ट यूपी में वोटरों के दिमाग में क्या चल रहा?

West UP BJP LD vs INDIA Alliance: पश्चिमी यूपी में आगरा से नोएडा तक लोकसभा चुनाव में वो पहले वाला जोश नदारद है. कई लोग कैंडिडेट को देखकर वोट कर रहे हैं तो कुछ लोग स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दे रहे हैं. काफी लोगों में अग्निवीर योजना पर नाराजगी है.

Lok Sabha Chunav: चुनाव में पहले वाली लहर तो है नहीं! वेस्ट यूपी में वोटरों के दिमाग में क्या चल रहा?

Agra Lok Sabha Election: अनूपशहर (बुलंदशहर) में गंगा किनारे से चलकर छपरौली (बागपत) के पास यमुना पुल तक जाएं या फिर आगरा की दलित बस्ती से गन्ने और आलू के खेतों से होते हुए हाथरस में हींग की खुशबू महसूस कर आइए. दिल्ली से लगे नोएडा तक आ जाइए, पर इस बार पश्चिमी यूपी में पहले वाली मोदी लहर नहीं दिखती है. हां, 2014 और 2019 से इस बार तस्वीर बिल्कुल अलग दिखाई देती है. पिछले दोनों लोकसभा चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी का व्यक्तित्व और राष्ट्रीय मुद्दे हावी थे, इस बार स्थानीय मुद्दे और कैंडिडेट की बात वापस चुनाव के केंद्र में आती दिख रही है. 

जाटों में नाराजगी तो है लेकिन...

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक आगरा के खंदौली में रहने वाले राम हरी प्रधान ने बताया कि वह एसपी सिंह बघेल (भाजपा उम्मीदवार) को वोट कर रहे हैं, पार्टी को नहीं. वह आगे कहते हैं कि अगर कैंडिडेट बघेल नहीं होते तो वह भाजपा को शायद वोट नहीं देते. प्रधान एक जाट हैं. वह कहते हैं, 'इस बार जाट वोट बंट सकते हैं क्योंकि युवा अग्निवीर योजना से काफी नाराज हैं. आप बेरोजगारी और महंगाई देखिए. सरकार ने कई वादे पूरे नहीं किए हैं.'

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पिछले दोनों चुनावों में जाटों ने भाजपा को जबर्दस्त सपोर्ट किया था. प्रधान सेना से रिटायर हैं. अब वह खेती करते हैं. उनके दो बेटे सेना में हैं. वह कहते हैं कि मेरे गांव में 50 से ज्यादा परिवारों में रिटायर्ड लोग हैं या सेना में तैनात हैं. अग्निवीर के कारण युवा काफी दुखी हैं, गांव के जाटव सपा कैंडिडेट को वोट कर सकते हैं. उन्होंने आगे कहा, 'बीजेपी जीत सकती है लेकिन अंतर काफी कम होगा.'

आगरा के मुस्लिम किधर जाएंगे?

आगरा के रेहड़ी-पटरी वाले चमन उस्मानी ने कहा कि मुस्लिम वोटर INDIA गठबंधन को वोट करेगा. टेढ़ी बगिया में जाटव आबादी भी अच्छी खासी है. फल विक्रेता पप्पू कहते हैं कि इस बार जाटव वोट बंटेगा. उन्होंने कहा, 'समुदाय अब भी यह आकलन कर रहा है कि कौन सा कैंडिडेट भाजपा को हराएगा और उसी हिसाब से वोट किया जाएगा.' इस बार सपा और बसपा दोनों कैंडिडेट जाटव हैं. 

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परिसीमन से पहले 2004 और 2009 में सपा के टिकट पर राज बब्बर जीते थे. मुस्लिम सपा के साथ और जाटव बसपा के साथ गया तो यह सीट बीजेपी के पाले में चली गई. इस बार कुछ जाटव वोट कैंडिडेट की इमेज के कारण सपा के साथ जा सकते हैं. 

हाथरस में अग्निवीर से नाराजगी

हाथरस भाजपा का गढ़ रहा है, यहां 1991 के बाद पार्टी केवल 2009 में हारी है. काका हाथरसी की धरती पर सियासी समीकरण समझाते हुए स्थानीय पत्रकार राजदीप तोमर कहते हैं कि भाजपा के काडर में जोश कम है लेकिन कमजोर विपक्ष होने के नाते भाजपा को फायदा हो सकता है. हालांकि मार्जिन भी कम जरूर हो सकता है. तोमर ने यह भी कहा कि RLD के साथ गठबंधन ने जाट वोटरों को भाजपा से पूरी तरह दूर जाने से रोक दिया. तोमर ने कहा कि पुरानी पीढ़ी भाजपा को वोट करेगी जबकि अग्निवीर स्कीम से नाराज युवा सपा को वोट दे सकते हैं. 

पहले चरण के लोकसभा चुनाव में बागपत में कुछ अलग सेंटिमेंट्स देखे गए थे. कई RLD वोटरों ने कहा था कि वे सिर्फ आरएलडी के कारण एनडीए को वोट कर रहे हैं, बाकी वे सरकार की नीतियों से खुश नहीं हैं. पिछली बार वेस्ट यूपी में कुछ जगहों पर रिकॉर्ड वोटिंग हुई थी लेकिन इस बार काफी कम मतदान हुआ है.

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