जिस बीमारी से हुई पूनम पांडेय की मौत; १ साल में भारत में जा चुकी हैं इतने लाख महिलाओं की जान
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जिस बीमारी से हुई पूनम पांडेय की मौत; १ साल में भारत में जा चुकी हैं इतने लाख महिलाओं की जान

अगस्त 2020 में, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए ग्लोबल स्ट्रेटेजी अपनाई थी. इस पहल को सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन पहल कहा जाता है. इसमे सभी देशों से प्रति 1 लाख महिलाओं में 4 महिलाओं की कैंसर से होने वाली मौत के दर को कम करने के लिए कहा गया था. 

 

जिस बीमारी से हुई पूनम पांडेय की मौत; १ साल में भारत में जा चुकी हैं इतने लाख महिलाओं की जान

साल 2022 में भारत में 14.1 लाख से ज्यादा कैंसर के नए मामले और 9.1 लाख से ज्यादा मौतें हुईं है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा बीमारी के ग्लोबल बर्डन के लेटेस्ट अनुमान के अनुसार, इस बीमारी के कारण ब्रेस्ट कैंसर बहुत आम बीमारी है. आपको बता दें की पुरुषों में होंठ, ओरल कैविटी और फेफड़े के कैंसर सबसे आम थे, जो नए मामलों में 15.6 और 8.5 प्रतिशत थे, जबकि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्विक्स के कैंसर सबसे आम थे, जो लगभग 27 और नए मामलों में से 18 प्रतिशत थे. यह भी गणना की गई कि भारत में कैंसर निदान के बाद 5 वर्षों के भीतर जीवित लोगों की संख्या लगभग 32.6 लाख थी.

कितनी कैंसर मौत का अुमान लगाया गया?

ग्लोबल लेवल पर, एजेंसी ने 2 करोड़ नए कैंसर मामलों और 97 लाख मौतों का अनुमान लगाया है, और कैंसर निदान के बाद 5 वर्षों के भीतर लगभग 5.3 करोड़ लोग जीवित थे. इसमें कहा गया है कि लगभग 5 में से 1 व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कैंसर होता है, और लगभग 9 में से 1 पुरुष और 12 में से 1 महिला की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है. भारत में, 75 वर्ष की आयु से पहले कैंसर होने का जोखिम 10.6 प्रतिशत आंका गया था, जबकि उसी उम्र तक कैंसर से मरने का जोखिम 7.2 प्रतिशत पाया गया था. वैश्विक स्तर पर ये जोखिम 20 प्रतिशत और 9.6 प्रतिशत थे. IRC के अनुमान से पता चला है कि 2022 में वैश्विक स्तर पर लगभग दो-तिहाई नए मामलों और मौतों में 10 प्रकार के कैंसर शामिल थे. उनके डेटा में 185 देश और 36 कैंसर शामिल थे.

कैंसर एजेंसी ने क्या कहा?

विश्लेषण में पाया गया कि फेफड़े का कैंसर सबसे आम तौर पर होने वाला कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण भी है, जो कुल कैंसर से होने वाली मौतों का लगभग 19 प्रतिशत है. कैंसर एजेंसी ने कहा कि एशिया में लगातार तंबाकू का सेवन फेफड़ों के कैंसर के सबसे आम कैंसर के रूप में फिर से उभरने का एक संभावित कारण हो सकता है. 

सर्वाइकल कैंसर को लेकर IRC ने क्या कहा?

आईएआरसी (IRC) ने पाया कि महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर दूसरा सबसे आम तौर पर होने वाला कैंसर है और वैश्विक कैंसर से होने वाली मौतों में इसका योगदान लगभग 7 प्रतिशत है.उनके आंकड़ों से यह भी पता चला कि सर्वाइकल कैंसर ग्लोबल लेवल पर आठवां सबसे आम तौर पर होने वाला कैंसर था और कैंसर से होने वाली मौत का नौवां प्रमुख कारण था. यह 25 देशों में महिलाओं में सबसे आम कैंसर पाया गया, जिनमें से कई उप-सहारा अफ्रीका में हैं. आईएआरसी ने कहा कि रोग के विभिन्न घटनाओं के स्तर को स्वीकार करते हुए, WHO सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन पहल के पैमाने के माध्यम से, सर्वाइकल कैंसर को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त किया जा सकता है.

युनाईटेड नेशन एजेंसी की है ये सलाह

अगस्त 2020 में, वर्ल्ड हेल्थ असेंबली ने सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन के लिए ग्लोबल स्ट्रेटेजी अपनाई. इस पहल, जिसे डब्ल्यूएचओ सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन पहल कहा जाता है, ने सभी देशों से प्रति 1 लाख महिलाओं में 4 से कम की दर तक पहुंचने और इसे बनाए रखने का आग्रह किया. लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, युनाईटेड नेशन एजेंसी ने दृढ़तापूर्वक सलाह दी कि 90 प्रतिशत लड़कियों को 15 साल की उम्र से पहले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) का टीका लगाया जाए, 35 साल की उम्र तक 70 प्रतिशत महिलाओं की स्क्रीनिंग की जाए और फिर 45 तक, और कैंसर से पहले से पीड़ित 90 प्रतिशत महिलाओं का इलाज करने के साथ-साथ आक्रामक कैंसर से पीड़ित 90 प्रतिशत महिलाओं का मैनेजमेंट करना. डब्ल्यूएचओ ने पहल में कहा कि अगली सदी में सर्वाइकल कैंसर को खत्म करने की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रत्येक देश को 2030 तक इन 90-70-90 लक्ष्यों को पूरा करना चाहिए.

कॉन्टिनेंट-वाइज, IARC ने पाया कि सभी कैंसर के लिए एज- स्टैंडराइज्ड घटना दर ओशिनिया (Oceania) में प्रति 1 लाख लोगों पर 409 के साथ सबसे ज्यादा थी, इसके बाद उत्तरी अमेरिका और यूरोप में 365 प्रति 1 लाख लोगों और 280 प्रति 1 लाख लोगों पर थी. युनाईटेड नेशन रिजन के मुताबिक, यह ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड रिजन में प्रति 1 लाख लोगों पर 400 से ज्यादा के साथ सबसे ज्यादा था, इसके बाद उत्तरी अमेरिका का स्थान था. IRC विश्लेषण में यह भी पाया गया कि प्रति 1 लाख लोगों पर मृत्यु की एज- स्टैंडराइज्ड दर यूरोप में सबसे ज्यादा 82 थी, इसके बाद अफ्रीका में 72 और एशिया में 69 थी. एजेंसी का अनुमान है कि 75 सालों की आयु से पहले कैंसर होने का जोखिम ओशिनिया में सबसे अधिक 38 प्रतिशत था, इसके बाद उत्तरी अमेरिका में 34 प्रतिशत और यूरोप में लगभग 28 प्रतिशत था। हालाँकि, कैंसर से मृत्यु का जोखिम यूरोप में सबसे अधिक 11.5 प्रतिशत और एशिया और ओशिनिया में 9.3 प्रतिशत के साथ दूसरा सबसे अधिक था.

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