देश के छोटे शहरों में बढ़ते कैंसर के मामलों पर ध्यान देने की जरूरत: विशेषज्ञ

भारत के मझोले और छोटे शहरों में भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने देश के मझोले शहरों में ऑन्कोलॉजी सेवाओं का विस्तार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.

Written by - IANS | Last Updated : Feb 11, 2024, 06:03 PM IST
  • कैंसर के बढ़ते मामले पर ध्यान दे
  • एक्सपर्ट ने कैंसर के मामले पर जताई चिंता
देश के छोटे शहरों में बढ़ते कैंसर के मामलों पर ध्यान देने की जरूरत: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: भारत के मझोले और छोटे शहरों में भी कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने देश के मझोले शहरों में ऑन्कोलॉजी सेवाओं का विस्तार करने की आवश्यकता पर जोर दिया है. इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी कैंसर इंस्टीट्यूट (आईओसीआई) द्वारा हाल ही में संपन्न दो दिवसीय वैज्ञानिक सम्मेलन आईओ-सीओएन2024 में विशेषज्ञों ने कहा कि कैंसर का निदान, उपचार बड़ी संख्या में लोगों के लिए कम खर्चीला बनाया जाना चाहिए, खासकर छोटे शहरों में.

एक्सपर्ट की राय 
फोर्टिस अस्पताल, नोएडा के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के निदेशक, शुभम गर्ग ने कहा, "देश में हर साल लगभग 14 लाख नए कैंसर मामलों में से 60 प्रतिशत का पता बाद के चरणों में होता है जो जागरूकता और निदान को बढ़ाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है." .आईओसीआई में वरिष्ठ सलाहकार और क्लिनिकल लीड रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट अनीता मलिक ने कहा, "देश में 640 से अधिक विकिरण चिकित्सा उपकरण हैं, लेकिन क्योंकि देश अब कैंसर के मामलों में पाँच-सात प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हो रही है, डब्ल्यूएचओ के अनुसार मशीनों की संख्या 1,400 तक बढ़ाने की आवश्यकता है. 

 कैंसर के मामलों में पाँच-सात प्रतिशत की वृद्धि
किसी भी ऑन्कोलॉजी संस्थान में बुनियादी ढांचे की लागत 100 करोड़ रुपये से अधिक है, और विकिरण उपकरणों की लागत कम से कम 25 करोड़ रुपये है. इसके लिए उपचार को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त सार्वजनिक-निजी सहयोग की आवश्यकता है, जो अभी भी सीमित लोगों को ही उपलब्ध है.''विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में हर साल कैंसर के मामलों में पाँच-सात प्रतिशत की वृद्धि देखी जाती है. इसमें प्रमुख रूप से फेफड़े का कैंसर, सिर और गर्दन का कैंसर और स्तन कैंसर शामिल हैं.

 फेफड़ों के कैंसर के 50 प्रतिशत मामले धूम्रपान न करने वालों में होते हैं
ऑन्कोलॉजिस्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में फेफड़ों के कैंसर के 50 प्रतिशत मामले धूम्रपान न करने वालों में होते हैं. यह जीवनशैली कारकों के अलावा प्रदूषण में गिरावट के कारण होता है. उन्होंने बताया कि यह चिंताजनक है कि कुछ परिस्थितियों में, मरीज ने कभी धूम्रपान नहीं किया है और डॉक्टरों के पास काफी आगे के चरण में पहुंचता है. चूँकि तम्बाकू धूम्रपान भारत में बहुत व्यापक है, इसलिए वहाँ पुरुषों में सिर और गर्दन का कैंसर भी काफी आम है, जो सभी कैंसर के 30 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है. इसके अलावा, स्तन कैंसर महिलाओं में सबसे आम है. भारत में हर आठवीं महिला इस घातक बीमारी से पीड़ित है.

एक्सपर्ट की राय 
अमेरिका में मोंटेफियोर मेडिकल सेंटर में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के क्लिनिकल निदेशक मधुर गर्ग ने देश में मझोले शहरों में ऑन्कोलॉजी सेवाओं के विस्तार के महत्व पर जोर दिया. वह इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी की वकालत करते हैं. गर्ग ने बताया कि डॉक्टर मझोले शहरों में सेवा करने के इच्छुक हैं, बशर्ते कैंसर उपचार सेवाओं के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा मौजूद हो.

वह भारत सरकार द्वारा प्रदान किए गए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कवरेज के सकारात्मक प्रभाव को भी स्वीकार करते हैं. यह स्वास्थ्य कवरेज पहल कैंसर के इलाज के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे देश भर के छोटे शहरों में रहने वाले लोगों के लिए परीक्षण और उपचार प्रक्रियाओं की पहुंच में सुधार होने की उम्मीद है.

आईओसीआई के कार्यक्रम निदेशक रजत बजाज ने कहा, "कैंसर के इलाज का भविष्य बहुत आशावादी है, लेकिन कुंजी समय पर बीमारी पता लगाने में निहित है जिसके लिए ऑन्कोलॉजी केंद्रों में अधिक लोगों के अनुकूल दृष्टिकोण की आवश्यकता है. चिकित्सा सेवाओं को छोटे शहरों तक पहुंचना चाहिए जहां सरकार और निजी क्षेत्र के स्वास्थ्य सेवा का सहयोग किया जाएगा. एक अंतर लाकर अधिक जिंदगियां बचाएं."

इनपुट-आईएएनएस

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