Vladimir Putin: रूस में पुतिन का अजेय अभियान जारी..
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Vladimir Putin: रूस में पुतिन का अजेय अभियान जारी..

Vladimir Putin Russia: भारत में चुनाव को लेकर आपने एक बात सुनी होगी.. आएगा तो मोदी ही. चुनावी चर्चा के दौरान अकसर ये बात सुनने में आती है. लेकिन ये बात भारत से 4 हजार 983 किलोमीटर दूर पुतिन पर भी सही बैठती है. रूस के राष्ट्रपति चुनाव में पांचवी बार पुतिन जीत गए हैं.

Vladimir Putin: रूस में पुतिन का अजेय अभियान जारी..

Vladimir Putin Russia: भारत में चुनाव को लेकर आपने एक बात सुनी होगी.. आएगा तो मोदी ही. चुनावी चर्चा के दौरान अकसर ये बात सुनने में आती है. लेकिन ये बात भारत से 4 हजार 983 किलोमीटर दूर पुतिन पर भी सही बैठती है. रूस के राष्ट्रपति चुनाव में पांचवी बार पुतिन जीत गए हैं. रूस में 15 से 17 मार्च तक राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी. इस इलेक्शन में पुतिन के सामने 3 और उम्मीदवार थे. लेकिन ये पहले से ही तय था कि जीत तो पुतिन की ही होगी और चुनाव तो सिर्फ नाम के लिए हुए थे.

क्योंकि व्लादिमीर पुतिन रूस के राष्ट्रपति थे. पुतिन रूस के राष्ट्रपति हैं और पुतिन आगे भी रूस के राष्ट्रपति रहेंगे. जिसका सबसे पहला सबूत तो चुनाव का नतीजा ही है . रूस के चुनाव आयोग के मुताबिक..

- व्लादिमीर पुतिन को सबसे ज्यादा 88% वोट मिले.
- उनके विरोधी निकोले खारितोनोव को 4.4% वोट मिले.
- व्लादिस्लाव दावानकोव को 3.8 प्रतिशत वोट मिले.
- जबकि लिबरल डेमोक्रेट्स के लियोनिद स्लटस्की को 3.2 प्रतिशत वोट मिले

पुतिन के बाद दूसरे नंबर पर रहे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को सिर्फ चार प्रतिशत वोट मिलना ही इस बात की पुष्टि करता है कि पुतिन की टक्कर में कोई था ही नहीं. और ये सिर्फ इस बार के चुनाव की बात नहीं है. पुतिन जब पहली बार राष्ट्रपति बने थे.. तब से लेकर अबतक पुतिन ने एकतरफा जीत हासिल की है.

- साल 2000 में पुतिन पहली बार राष्ट्रपति चुने गए थे, तब उन्हें 54% वोट मिले थे.
- इसके बाद रूस में वर्ष 2004 में राष्ट्रपति चुनाव हुए. उन्हें 72% वोट मिले थे.
- इसके बाद साल 2012 में पुतिन को 65% वोट मिले थे.
- साल 2018 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने 77% वोट हासिल किए थे.

और इस बार यानि साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन को 88 प्रतिशत वोट मिले है...जो अपने आपमें एक रिकॉर्ड भी है. पुतिन के केस में ये कहा जा सकता है कि उनके खिलाफ कभी Anti Incumbancy यानी सत्ता विरोधी लहर चली ही नहीं बल्कि पुतिन हर चुनाव में पहले से ताकतवर होकर ही दोबारा राष्ट्रपति बनते आए हैं. लेकिन इस बार पुतिन की जीत खास है.

क्योंकि इस बार पुतिन..ऐसे वक्त में राष्ट्रपति चुनाव जीते हैं जब रूस लंबे समय से यूक्रेन से जंग लड़ रहा है. इतनी लंबी जंग लड़ने के बाद रूस में पुतिन के खिलाफ विद्रोह की आवाज भी उठी थी. और पुतिन की काफी आलोचना भी हो रही थी . ऐसा लग रहा था कि पहली बार पुतिन की राष्ट्रपति की कुर्सी पर पकड़ कमजोर हो रही थी . लेकिन चुनाव के नतीजों ने बता दिया कि पुतिन को राष्ट्रपति से उतारना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है .

पुतिन को लुहांस्क में 94.12% और डोनेट्स्क में 95% से अधिक वोट मिले हैं, ये दोनों क्षेत्र पहले यूक्रेन का हिस्सा होते थे...लेकिन रूस ने युद्ध में यूक्रेन के इन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था. इन दोनों ही जगहों पर रूसी चुनाव में लोगों ने पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. यहां भी लोगों की पहली पसंद पुतिन ही बने.

5वीं बार रूस के राष्ट्रपति बनकर पुतिन ने बता दिया है कि रूस उनके नक्शें कदमों पर ही दुनिया में आगे बढ़ेगा. पुतिन की जीत के दो आधार हो सकते है पहला ये कि 88 प्रतिशत वोट हासिल करना...जिसे देखकर कहा जा सकता है कि वो रूस के जन नेता है...और दूसरी बात ये कि वो बार बार रूस के राष्ट्रपति कैसे बन जाते है. दरअसल इसकी दो बड़ी वजह नजर आती है.

पहली बड़ी वजह - 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए. इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिली. पुतिन 2024 के बाद 2030 का राष्ट्रपति चुनाव भी लड़ सकते हैं. इस तरह पुतिन चाहें तो 2036 तक राष्ट्रपति बन सकते हैं दूसरी बड़ी वजह - रूस में पुतिन के खिलाफ कोई ऐसा नेता नहीं है जो उनको टक्कर दे सके. और अगर कोई टक्कर देता है तो उसे या तो मरवा दिया जाता है या फिर हमेशा हमेशा के लिए जेल में डाल दिया जाता है.

रूस में वही होता है जो राष्ट्रपति पुतिन चाहते है. रूस की खुफिया एजेंसी FSB पर 10 सालों में पुतिन के कई विरोधियों को मारने के आरोप हैं किसी को जहर दिया गया, तो किसी का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ. पश्चिमी देश आरोप लगाते हैं कि रूस में पुतिन के खिलाफ आवाज उठाने वाले का हश्र बहुत बुरा होता है. और इसका लंबा इतिहास भी रहा है.

-खुफिया एजेंसी KGB के पूर्व जासूस sergei skripal (सर्गेई स्क्रिपल) को इंग्लैंड में जहर दिया गया था.
-sergei और उनकी बेटी को वर्ष 2018 में ज़हर दिया गया था. हालाकि दोनों की जान बच गई थी.
-स्क्रिपल को ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में रूस ने वर्ष 2006 में 13 वर्ष की सजा सुनाई थी.
-हालांकि, बाद में उन्हें माफी मिल गई थी और ब्रिटेन ने उन्हें नागरिकता दी थी. वो तब से ब्रिटेन में ही रह रहे हैं.

रूस में पुतिन विरोधी हमेशा से ये सवाल उठाते रहे हैं कि पुतिन अपने आलोचकों को रास्ते से हटा देते है. NAVALNY हो या SERGEI SKRIPAL. ये तो सिर्फ कुछ नाम है...ये लिस्ट बहुत लंबी है. पुतिन विरोधी activist Vladimir Kara Murza को वर्ष 2015 और 2017 में ज़हर देकर मारने की कोशिश की गई थी. इसी वर्ष अप्रैल में पुतिन विरोधी Kara Murza को मॉस्को की एक अदालत ने देशद्रोह और कई दूसरे अपराधों का दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी. पूर्व जासूस और क्रेमलिन आलोचक रहे Alexander Litvinenko (अलेक्जेंडर लितविनेंको) को वर्ष 2006 में लंदन में चाय में polonium जहर दिया गया था.

कुछ समय बाद Litvinenko (लितविनेंको) की 43 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी. वर्ष 2016 में ब्रिटिश जांच में पता चला था कि हत्या के पीछे रूसी एजेंसियों का हाथ है. लेकिन रूस ने इससे इंकार किया था. पत्रकार Anna Polot kovskaya (अन्ना पोलित कोवस्काया) की 7 अक्टूबर 2006 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. Anna की हत्या उस वक्त की गई थी जब अपने घर लौट रही थी. पोलित वस्काया की हत्या ने पश्चिमी देशों में आक्रोश पैदा कर दिया था.

इसी वर्ष 16 फरवरी को पुतिन के सबसे कट्टर विरोधी रहे एलेक्सी नेवेल्नी की मौत हो गई थी. आरोप है कि नेवेल्नी को कमजोर करने के लिए शून्य से नीचे के तापमान में रखा जाता था. जिससे नेवेल्नी का बल्ड सर्कुलेशन धीमा हो गया और उनकी मौत हो गई. Rome की एक कहावत है, कि If You Attack The King, Then Make Sure That You Kill Him. यानि अगर आप राजा के खिलाफ बगावत करते हो, तो ये सुनिश्चित करिए कि राजा पुरी तरह से खत्म हो जाए...अगर राजा बच गया, तो एक ही नतीजा होगा.. बागियों की मौत...ये बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर एक दम सटीक बैठती है.

पुतिन का रूस पर राज चलता है. वो जो चाहते है वैसा ही रूस में होता है. लेकिन ये बात पश्चिमी देशों की आंखों में चुभती है. 2030 तक पुतिन रूस के राष्ट्रपति रहेंगे, लेकिन उनकी नजर 2036 पर भी टिकी हुई है. क्या है पुतिन का प्लान 2036.. आपको इसके बारे में बताते हैं लेकिन इसके लिए आपको पुतिन का चुनावी इतिहास देखना होगा.

- राष्ट्रपति बनने से पहले पुतिन रूस के प्रधानमंत्री थे. 1999 में रूस के तत्कालीन राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने पुतिन को प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. कुछ ही महीनों में बोरिस ने इस्तीफा दे दिया और फिर पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति चुने गए.
- 26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता. मार्च 2004 में पुतिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए.
- 1993 का रूसी संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल तक ही राष्ट्रपति पद पर रह सकता. इसलिए पुतिन को वर्ष 2008 में पद छोड़ना पड़ा.
- इसके बाद पुतिन ने Dmitry Medvedev को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और खुद प्रधानमंत्री बन गए. लेकिन मेदवेदेव की सरकार में रूस के संविधान में एक बड़ा संशोधन किया गया...और संशोधन ये था कि राष्ट्रपति का कार्यकाल अब 4 साल की बजाय 6 साल का होगा.
- वर्ष 2012 में पुतिन को रूस की जनता ने तीसरी बार राष्ट्रपति चुना. इसके 6 साल बाद यानि मार्च 2018 में पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बने.
- जुलाई 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए. इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई.

रूस लंबे समय से अपनी रहस्यमयी राजनीति के लिए बदनाम रहा है. जहां अदृश्य निगाहें हर वक्त क्रेमलिन के बाहरी और भीतरी दुश्मनों पर टिकी रहती है. अमेरिका समेत कई देशों ने रूस के चुनाव की निष्पक्षता पर प्रश्न खड़ा किए है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने भी रूस के चुनाव को अवैध बता रहे हैं.

वर्ष 2029 में पुतिन, रूस के राष्ट्रपति के सबसे ताकतवर लीडर के रूप में 29 वर्ष पूरे कर लेंगे. इससे पहले पूरी दुनिया में तानाशाही के लिए मशहूर रहे जोसिफ स्टालिन ही 29 वर्ष तक रूस की राजनीति के शीर्ष पर रहे थे. उन्होंने 1925 से 1953 तक सोवियत यूनियन पर एकछत्र राज किया था. अब पुतिन भी उसी राह पर है...अभी पुतिन 71 वर्ष के है...2036 में पुतिन 83 वर्ष के हो चुके होंगे. अब देखना दिलचस्प होगा कि पुतिन कब तक रूस के राष्ट्रपति पद पर रहते है.

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