Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान का चीन को 'दगा'! कर्ज के चक्कर में IMF से ड्रैगन को चुभने वाला वादा कर डाला
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Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान का चीन को 'दगा'! कर्ज के चक्कर में IMF से ड्रैगन को चुभने वाला वादा कर डाला

Pakistan IMF Loan: पाकिस्तान अपने कर्ज और आर्थिक हालत से लगातार परेशान है. इस बीच, पाकिस्तान ने ऐसा वादा IMF से कर डाला है जो चीन को कभी भी नहीं सुहाएगा. आइए इसके बारे में जान लेते हैं.

Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान का चीन को 'दगा'! कर्ज के चक्कर में IMF से ड्रैगन को चुभने वाला वादा कर डाला

Pakistan Economy:  पैसों के चक्कर में पाकिस्तान (Pakistan) कभी भी पाला बदल सकता है. ये आज फिर से साबित हो गया है. दरअसल, पाकिस्तान ने आईएमएफ को ऐसा वादा कर दिया है जो ड्रैगन को चुभने वाला है. दरअसल, पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) को आश्वासन दिया है कि चीनी पावर प्लांट का बकाया पैसा वह आईएमएफ के लोन से नहीं चुकाएगा. पाकिस्तान पर 493 अरब पाकिस्तानी रुपये का बकाया है. पाकिस्तान ने कहा कि उसे चुकाने के लिए कोई एडिशनल बजट आवंटित करने की कोई योजना नहीं है. ये भी जान लीजिए कि लोन लेने के चक्कर में पाकिस्तान पहले ही आईएमएफ को बड़े-बड़े वादे कर चुका है.

IMF से पाकिस्तान का वादा

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमएफ ने मौजूदा फाइनेंशियल ईयर में चीनी पावर प्लांट के लिए बजट से इतर एडिशनल आवंटन पर पाकिस्तान सरकार के फैसले के बारे में पूछताछ की है. तो पाकिस्तान ने आईएमएफ को बताया कि चीनी पावर प्लांट के बकाया लोन को चुकाने के लिए कोई अतिरिक्त धनराशि मंजूर करने का कोई प्लान नहीं है.

पाकिस्तान पर बढ़ा 77 फीसदी कर्ज

जनवरी के आखिर तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की बिजली परियोजनाओं का बकाया बढ़कर रिकॉर्ड 493 अरब पाकिस्तानी रुपये हो गया है. यह रकम पिछले साल जून के मुकाबले 214 अरब रुपये यानी 77 फीसदी ज्यादा है. चीनी लोन का बढ़ना 2015 के एनर्जी फ्रेमवर्क समझौते का उल्लंघन है. लेकिन पाकिस्तान अब इसमें फंसता नजर आ रहा है.

IMF को पाकिस्तान पर यकीन नहीं!

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि आईएमएफ पाकिस्तान सरकार के बिजली चोरी विरोधी अभियान की सफलता और बिजली देने वाली कंपनियों के प्रदर्शन की निगरानी में सेना के रोल पर शक जताया है. आईएमएफ बिजली क्षेत्र के चोरी विरोधी अभियान के प्रभाव पर भी सवाल उठा रहा है.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में चीन ने लगभग 86 मिलियन डॉलर यानी 712 करोड़ भारतीय रुपये की लागत से सीपीईसी बनाया है. चीन और पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इससे बिजनेस बढ़ेगा. अच्छा खासा कारोबार होगा. लोगों को रोजगार मिलेगा. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसकी वजह से पाकिस्तान पर चीन का भारी-भरकम कर्ज हो गया है. दूसरी तरफ पाकिस्तान की आर्थिक हालत ऐसी है कि वह खुद का देश चलाने की हैसियत में नहीं है, कर्ज तो क्या ही चुकाएगा.

(इनपुट- आईएएनएस)

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