France Abortion Law: फ्रांस में 'गर्भपात की गांरटी' ..सही या गलत?
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France Abortion Law: फ्रांस में 'गर्भपात की गांरटी' ..सही या गलत?

France Abortion Law: हर लोकतांत्रिक देश में नागरिकों को कुछ अधिकार मिले होते हैं. और ये अधिकार हर महिला और पुरुष को प्राप्त होते हैं. लेकिन एक अधिकार है जिसे दुनिया के लगभग सभी देशों में महिलाओं को पूरी तरह हासिल नहीं है.

France Abortion Law: फ्रांस में 'गर्भपात की गांरटी' ..सही या गलत?

France Abortion Law: हर लोकतांत्रिक देश में नागरिकों को कुछ अधिकार मिले होते हैं. और ये अधिकार हर महिला और पुरुष को प्राप्त होते हैं. लेकिन एक अधिकार है जिसे दुनिया के लगभग सभी देशों में महिलाओं को पूरी तरह हासिल नहीं है. और वो अधिकार है - गर्भपात का अधिकार. यानी अगर कोई महिला गर्भपात करवाना चाहती है, उसके पास ऐसा करने का पूर्ण अधिकार नहीं होता. कोई महिला गर्भपात करवा सकती है या नहीं, ये उस देश का कानून और अदालतें तय करती हैं. जिसको लेकर पूरी दुनिया में बहस चलती आई है और आज भी चल रही है.

महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार

लेकिन इसी बीच दुनिया का एक देश है, जिसने इस विषय पर बहस ही खत्म कर दी है. और महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार दे दिया है. ये देश है फ्रांस...जो गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. जिसका जश्न पूरा फ्रांस मना रहा है. जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं और पुरुष भी. सोमवार को फ्रांस की संसद में जैसे ही गर्भपात के अधिकार को कानून बनाने वाला प्रस्ताव पास हुआ. पेरिस में Eiffil Tower पर जश्न मनाया गया. रोशनी में जगमगाते Eiffel Tower के नीचे लोग खुशी से झूम रहे थे. Eiffel Tower पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था - My Body, My Choice.

फ्रांस में गर्भपात की गारंटी

दुनिया के कई देशों ने संविधान में बच्चे पैदा करने से जुड़े अधिकारों को महिलाओं का मौलिक अधिकार माना है. लेकिन फ्रांस पहला देश है जो बिना किसी शर्त गर्भपात की गारंटी देता है. वैसे फ्रांस में 1975 से ही गर्भपात के लिए कानून है. जिसमें गर्भपात को कानूनी मान्यता मिली हुई थी. लेकिन अब इसमें बदलाव करते हुए इसे संवैधानिक अधिकार बना दिया गया है. फ्रांस में हुए एक सर्वे में पता चला था कि लगभग 85 प्रतिशत जनता ने गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने के लिए संविधान संशोधन का समर्थन किया था. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने भी वादा किया था कि वो महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक हक देंगे. अब वो वादा पूरा हो गया है.

फ्रांस सरकार ने महिलाओ से किये इस वादे को पूरा किया

सोमवार को फ्रांस सरकार ने महिलाओ से किये इस वादे को पूरा करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया था. गर्भपात को संवैधानिक अधिकार बनाने को लेकर आए प्रस्ताव को 72 के मुकाबले 780 वोटों से पास कर दिया गया. यानी पक्ष में 780 वोट पड़े और विपक्ष में सिर्फ 72 वोट पड़े. यहां तक कि फ्रांस में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इस कानून के हक में वोट दिया. फ्रांस की महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार देकर मैक्रों सरकार ने दुनिया को Clear Message दिया है जो Eiffel Tower पर चमक रहा है. और ये Message है - My Body, My Choice. यानी महिलाओं को ये हक है कि वो अपने शरीर को लेकर फैसले अपनी पंसद के मुताबिक करें. ना कि किसी कानून या किसी धार्मिक मान्यता के मुताबिक.

फ्रांस इस बात पर गौरव महसूस कर रहा

अब चाहे किसी को जो मर्जी लगे लेकिन महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक हक मिलना फ्रांस के लिए गौरव का प्रतीक है. फ्रांस इस बात पर गौरव महसूस कर रहा है कि वो दुनिया का पहला देश है जिसने गर्भपात के अधिकार को अपने संविधान में शामिल किया है. फ्रांस में ऐसा उस वक्त किया है जब कुछ ही दिन पहले अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को गर्भपात का अधिकार देने वाले पचास साल पुराने कानून को रद्द कर दिया है. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान, गर्भपात का अधिकार नहीं देता है. लेकिन अब फ्रांस ने दुनियाभर में इस बहस को हवा दे दी है कि महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक हक मिलना चाहिए या नहीं?

कई देशों में गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध

गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में सबसे बड़ी दलील ये दी जाती है कि गर्भपात करवाना गर्भ में पल रहे एक जीवित शिशु की हत्या करने जैसा है. दूसरी दलील ये भी दी जाती है कि महिलाओं को गर्भपात का हक देना, महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे से जीवित रहने का हक छीनने जैसा है. गर्भपात के विरोध में इन दोनों दलीलों को सभी धर्मों में मान्यता प्राप्त है. कई देशों ने इन्हीं तर्कों के आधार पर गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया हुआ है. 24 देशों में गर्भपात पूरी तरह से प्रतिबंधित है. Congo, Dominican Republic, Egypt, El Salvador, Haiti, Honduras, Iraq, Jamaica, Philippines, Senegal, Suriname समेत कई देशों में गर्भपात करवाने पर पूरी तरह से रोक है.

महिला की जान भी जा रही हो तो भी गर्भपात की इजाजत नहीं

ये वो देश हैं जहां अगर किसी महिला की जान भी जा रही हो तो भी गर्भपात की इजाजत नहीं है. अल सल्वाडोर में गर्भपात करवाने वाली महिलाओं पर हत्या का मुकदमा चलता है और 40 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. माल्टा ऐसा इकलौता यूरोपीय संघ का सदस्य देश है जहां गर्भपात पर पूरी तरह प्रतिबंध है और गर्भपात करवाने वाली महिलाओं को तीन साल तक की जेल हो सकती है. Unintended Pregnancy and Abortion Worldwide 2022 की रिपोर्ट में एक बेहद अहम बात पता चली है कि गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध वाले देशों में भी गर्भपात की दर लगभग उतनी ही है जितनी कि गर्भपात की इजाजत देने वाले देशों में है.

जिन देशों में गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध है...

रिपोर्ट के मुताबिक जिन देशों में गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध है. वहां प्रति एक हजार गर्भवती महिलाओं में गर्भपात दर 39 है. यानी हर एक हजार में से 39 महिलाएं गर्भपात करवा रही हैं. लेकिन जिन देशों में महिलाओँ की जिंदगी बचाने के लिए जरूरी होने पर गर्भपात की इजाजत है वहां प्रति एक हजार गर्भवती महिलाओं में गर्भपात की दर 36 है. और जिन देशों में गर्भपात पर कोई बैन नहीं है, वहां एक हजार गर्भवती महिलाओं पर गर्भपात की दर 41 है. यानी गर्भपात तो उन देशों में भी हो रहे हैं जहां गर्भपात पर पूरी तरह प्रतिबंध है. लेकिन इन देशों में गर्भपात अवैध होने की वजह से बेहद असुरक्षित तरीके से हो रहे हैं.

रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में असुरक्षित गर्भपात से हर साल 78 हजार महिलाओं की मौत हो जाती है. क्योंकि गर्भपात पर प्रतिबंध से अवैध और असुरक्षित तरीकों से गर्भपात को बढ़ावा मिलता है. लेकिन सवाल फिर वही है..क्या गर्भपात करवाना महिलाओं का संवैधानिक हक होना चाहिए जैसा कि फ्रांस ने किया है? या फिर गर्भपात की इजाजत.. खास परिस्थितियों को ध्यान में रखकर दी जानी चाहिए. जैसा कि दुनिया के कई देशों में होता है.

अगर भारत की बात करें तो..

अब अगर भारत की ही बात करें तो 1960 के दशक तक भारत में भी गर्भपात अवैध था और ऐसा करने पर महिला के खिलाफ IPC की धारा 312 के तहत तीन वर्ष की कैद का प्रावधान था. भारत में पहली बार वर्ष 1972 में गर्भपात को कानूनी मान्यता प्रदान की गई थी. और Medical Termination of Pregnancy Act, 1971 लागू किया गया था. MTP Act 1971 में प्रावधान था कि 12 से 20 हफ्ते के गर्भधारण की अवधि में गर्भपात की इजाजत तभी होगी जब. जब गर्भवती महिला के जीवन को खतरा हो. बलात्कार के कारण गर्भधारण हुआ हो. या पैदा होने वाले बच्चे का गर्भ में उचित विकास न हुआ हो. लेकिन वर्ष 2021 में संसद ने 20 सप्ताह तक के गर्भधारण के लिये गर्भपात की अनुमति देने वाले कानून में बदलाव किये और इसे थोड़ा लचीला बना दिया.

सात शर्तें तय की गईं

संशोधित कानून के तहत 20 से 24 सप्ताह के बीच गर्भधारण के लिये दो डॉक्टरों की राय से गर्भपात की कुछ शर्तों के साथ इजाजत दी गई. और सात शर्तें तय की गईं... यौन हमले या बलात्कार की स्थिति में.
नाबालिग महिला के गर्भधारण की स्थिति में. विधवा और तलाक होने जैसी परिस्थितियों में. महिला के शारीरिक रूप से विकलांग होने की स्थिति में. महिला के मानसिक रूप से बीमार होने की स्थिति में. गर्भ में शिशु का ठीक से विकास ना होने की स्थिति में और अन्य मानवीय आधार या आपात स्थितियों में.

यानी भारत में लगभग उन सभी स्थितियों में गर्भपात की इजाजत दी गई है जो किसी महिला को गर्भपात करने के लिए मजबूर कर सकती हैं. हमें लगता है कि ना तो गर्भपात का पूर्ण अधिकार देना सही है और ना ही गर्भपात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना सही है. क्योंकि गर्भपात की जरूरत के केस में परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं और परिस्थितियों के मुताबिक ही ये तय किया जा सकता है कि गर्भपात की इजाजत मिलनी चाहिए या नहीं. भारत समेत दुनिया के कई देशों में गर्भपात को लेकर यही नियम और कानून हैं. जिसमें गर्भावस्था की एक निश्चित अवधि तक गर्भपात की इजाजत है.

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