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Science News

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Solar Flares Blast 2024: सूरज की सतह पर लगातार धमाके हो रहे हैं. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने इन सौर धमाकों की तस्वीरें जारी की हैं. नासा ने एक बयान में कहा, 'सूर्य ने 10-11 मई, 2024 को दो मजबूत सौर ज्वालाएं उत्सर्जित की. नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी ने घटनाओं की तस्वीरें लीं.' 10 और 11 मई को हुए इन धमाकों की वजह से ताकतवर सौर ज्वालाएं निकलीं. जब इन सौर तूफानों का असर धरती पर हुआ तो बेहद खूबसूरत नजारा दिखा. रंग-बिरंगी रोशनी आसमान पर छा गई. उत्तरी यूरोप से लेकर ऑस्ट्रेलिया और भारत में भी कहीं-कहीं अरोरा लाइट्स दिखीं. खूबसूरती अपनी जगह मगर सौर तूफानों की वजह से धरती के तकनीकी इंफ्रास्ट्रक्चर को खतरा पैदा हो जाता है. जियोमैग्नेटिक तूफानों के चलते मैग्नेटिक फील्ड में फ्लक्चुएशन होता है जिससे पावर ग्रिड, कम्युनिकेशन नेटवर्क और सैटेलाइट ऑपरेशन बाधित हो सकते हैं.
May 13,2024, 10:51 AM IST
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Ancient Star Discovered: वैज्ञानिकों ने हमारी आकाशगंगा (Milky Way) के बाहर मौजूद सबसे पुराने तारों में से एक की खोज की है. ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में बना यह सितारा मिल्की वे की सैटेलाइट गैलेक्सी- लार्ज मैजेलेनिक क्लाउड (LMC) में स्थित है. LMC को करीब 2.4 बिलियन साल के भीतर मिल्की वे में मिल जाना है. वैज्ञानिकों ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी के गैया स्पेस टेलीस्कोप के डेटा में LMC के पुराने तारों को खोजा. फिर उन्होंने चिली में मौजूद टेलीस्कोप की मदद से 10 ऐसे तारों की खोज की जिनमें बाकी तारों से करीब 100 गुना कम आयर्न मिला. इसका मतलब यह था कि ये तारे बेहद प्राचीन थे. LMC-119 नाम के तारे ने वैज्ञानिकों का ध्यान खींचा. रिसर्च के मुताबिक, LMC-119 कम से कम 13 बिलियन साल पुराना है. अगर तुलना करनी ही है तो जान लें कि ब्रह्मांड की आयु 13.8 बिलियन साल मानी जाती है. इस तारे पर रिसर्च से वैज्ञानिकों को उस समय के बारे में पता चला है जब हमारा सूर्य बना भी नहीं था. यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में चली रिसर्च के नतीजे Nature Astronomy जर्नल में छपे हैं. (Photos : ESO/ESA/NASA)
Apr 25,2024, 15:43 PM IST
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Russian Nuclear Submarine Wreckage: सोवियत काल की एक पनडुब्बी समुद्र की तलहटी में लगातार रेडिएशन उगल रही है. यह Komsomolets पनडुब्बी 1989 में नॉर्वे के तट के पास हादसे का शिकार हुई थी. तब से यह वहीं पर है. इसके 42 सदस्यीय क्रू की मौत हो गई थी. पनडुब्बी के भीतर एक न्यूक्लियर रिएक्टर और दो न्यूक्लियर टारपीडो मौजूद हैं. रूस लगातार दावा करता रहा कि उसने रिएक्टर में लीक को रोकने के लिए कई मिशन भेजे. हालांकि, अब नॉर्वे के रिसर्चर्स ने पाया है कि Komsomolets पनडुब्बी का मलबा भयानक रेडिएशन उगल रहा है. रेडिएशन की मात्रा समुद्र के नॉर्मल लेवल से एक लाख गुना ज्यादा पाई गई. इस पनडुब्बी का अंदरूनी हल टाइटेनियम से बना है. यहां 1500 psi तक दबाव झेल सकती थी और 3,350 फीट की गहराई तक जा सकती थी. इसकी अधिकतम रफ्तार 370 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करती थी. लेकिन अब यह पनडुब्बी रेडिएशन का ज्वालामुखी बन गई है. (Photos: EPA-YouTube/@havforskningen)
Apr 22,2024, 13:02 PM IST
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China Tiantong Satellite: मोबाइल तकनीक के मामले में चीन बाकी दुनिया से कई कदम आगे निकल गया है. चीन ने दुनिया का पहला ऐसा सैटेलाइट बना लिया है जिससे सीधे स्मार्टफोन से कॉल हो सकती है. इसके लिए धरती पर टावरों का नेटवर्क या अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं पड़ेगी.  मेनस्ट्रीम होने के बाद, सैटेलाइट फोन की जरूरत भी नहीं रह जाएगी. सैटेलाइट कम्युनिकेशंस की फील्ड में चीन की यह उपलब्धि 'मील का पत्थर' साबित साबित हो सकती है. चीन ने इस प्रोजेक्ट को 'टियांटांग' (Tiantong) नाम दिया है जिसका मतलब होता है, 'स्वर्ग से जुड़ना'. Tiantong-1 सैटेलाइट सीरीज का पहला लॉन्‍च 6 अगस्त, 2016 को हुआ था. अब ऐसे तीन सैटेलाइट 36,000 किलोमीटर वाले ऑर्बिट में मौजूद हैं. इनकी मदद से चीन पूरे एशिया-पैसिफिक को कवर कर लेता है. पिछले साल सितंबर में Huawei ने दुनिया का पहला स्मार्टफोन लॉन्च किया था जिससे सैटेलाइट कॉल की जा सकती थी. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, Xiaomi, Honor और Oppo जैसे अन्य मोबाइल निर्माता भी ऐसे स्मार्टफोन डेवलप कर रहे हैं. चीन की यह खोज आपातकालीन परिस्थितियों में कारगर साबित हो सकती है. (Photo : Dall-E AI)
Apr 15,2024, 15:14 PM IST
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NASA LRO Images: अमेरिकी स्पेस एजेंसी, नासा के लूनर ऑर्बिटर (LRO) ने चांद के चक्कर लगाते हुए दिलचस्प तस्वीरें भेजी हैं. इन तस्वीरों में सर्फबोर्ड जैसी कोई चीज चांद पर मंडराती दिख रही है. यह कोई UFO या एलियन ऑब्जेक्ट नहीं है. दरअसल, NASA के LRO ने साउथ कोरिया के लूनर ऑर्बिटर 'दानुरी' को देख लिया था. दोनों ही स्पेसक्राफ्ट चांद के चक्कर लगाते हैं. चूंकि दोनों लगभग समानांतर कक्षा में घूम रहे थे, इसलिए नासा की टीम फोटो ले पाई. यह घटना 5-6 मार्च के बीच हुई. नासा के LRO में जो कैमरा लगा है, उसका शार्ट एक्सपोजर टाइम बेहद कम (0.338 मिली सेकंड) है. इस वजह से दानुरी का फोटो लेना बड़ा मुश्किल हो गया था. फिर भी LRO ने दो-तीन फोटो तो ले ही लिए. 'दानुरी' साउथ कोरिया का पहला स्पेसक्राफ्ट है जो चांद की कक्षा में पहुंचा था. (All Photos: NASA/Goddard/Arizona State University)
Apr 11,2024, 17:48 PM IST
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अंटार्कटिका को बाकी दुनिया बर्फ में दबे एकांत महाद्वीप के रूप में जानती है. लेकिन यह बात पूरी तरह सच नहीं. बाकी भूभाग की तरह, अंटार्कटिका के नीचे भी जमीन धधक रही है. अंटार्कटिका में बर्फ की मोदी चादर के नीचे सैकड़ों ज्वालामुखी मौजूद हैं. यहां पर मौजूद बर्फ की पश्चिमी परत को दुनिया का सबसे बड़ा ज्वालामुखी क्षेत्र माना जाता है. वहां कम से कम 138 ज्वालामुखी मौजूद हैं. इनमें से 91 की खोज पहली बार 2017 में छपी एक स्टडी में की गई थी. क्या अंटार्कटिका में मौजूद ज्वालामुखियों में कभी विस्फोट हो सकता है? जियोलॉजिस्‍ट्स की मानें तो यह ज्वालामुखी पर निर्भर करता है. 2017 वाली स्‍टडी में रिसर्चर्स ने कहा था कि तमाम ज्वालामुखी बेहद नौजवान हैं. वैज्ञानिक यह पता नहीं लगा पाए थे कि वे ज्वालामुखी के लिहाज से सक्रिय हैं या नहीं. अभी अंटार्कटिका के केवल दो ज्वालामुखियों को सक्रिय माना जाता है- डिसेप्‍शन आइलैंड और माउंट एरेबस. (All Photos : NASA)
Apr 8,2024, 15:11 PM IST
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Megadroughts In Australia: ऑस्ट्रेलिया पर भयानक सूखे का खतरा मंडरा रहा है. वैज्ञानिकों ने चेताया है कि जल्द ऐसा सूखा पड़ सकता है जो 20 साल से ज्यादा समय तक रहेगा. Hydrology and Earth System Sciences जर्नल में यह स्टडी छपी है. ऑस्‍ट्रेलिया की कई यूनिवर्सिटीज ने मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. इसके मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया में जल्‍दी ही एक मेगाड्रॉट (भयंकर सूखा) देखने को मिल सकता है दशकों तक चलेगा. रिसर्चर्स ने अभी इस मॉडल में औद्योगिक क्रांति के बाद से जलवायु पर पड़े इंसानी प्रभाव को शामिल नहीं किया है. साइंटिस्‍ट्स ने यह भी पाया कि 20वीं सदी में पड़े सूखे भी औद्योगिक क्रांति से पहले के सूखों से ज्यादा लंबे थे. मेगाड्रॉट बेहद गंभीर, लंबे चलने वाले और बड़े इलाके में फैले सूखे को कहते हैं. वे कई दशकों यहां तक कि सदियों तक चल सकते हैं. अमेरिका के दक्षिणपश्चिमी इलाके में 21वीं सदी की शुरुआत में सूखा पड़ा था. अभी तक उस एरिया को सूखे से राहत नहीं मिली है. (Photo : Reuters)
Apr 3,2024, 16:52 PM IST
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