Holi Ki Katha: प्रहलाद ही नहीं काम देव से भी जुड़ा है होली का त्‍योहार, शिव जी ने कर दिया था भस्‍म
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Holi Ki Katha: प्रहलाद ही नहीं काम देव से भी जुड़ा है होली का त्‍योहार, शिव जी ने कर दिया था भस्‍म

Holi Story : होली के पर्व को लेकर हिरण्‍यकश्‍यप और प्रहलाद की कथा तो बहुत मशहूर है. लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि होली पर्व का संबंध भगवान शिव और कामदेव-रति से भी है. आइए जानते हैं यह पौराणिक कथा. 

Holi Ki Katha: प्रहलाद ही नहीं काम देव से भी जुड़ा है होली का त्‍योहार, शिव जी ने कर दिया था भस्‍म

Holi Ki Katha: हिंदू धर्म में होली प्रमुख त्‍योहार में शामिल है. हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है. फिर इसके अगले दिन रंगोत्‍सव होता है. लोग अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं. खुशियां मनाते हैं. होलिका दहन को लेकर भगवान विष्‍णु के परमभक्‍त प्रहलाद की कथा मशहूर है. प्रहलाद को भगवान की भक्ति से डिगाने के लिए उसके पिता ने ही उसको बहुत कष्‍ट दिए थे. यहां तक कि उसे मारने के लिए कई प्रयास किए थे. बाद में प्रहलाद की बुआ होलिका उसे लेकर चिता पर बैठ गई थी, ताकि प्रहलाद जलकर मर जाए. क्‍योंकि होलिका को वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती है लेकिन प्रभु की भक्ति में लीन प्रहलाद बच गए और होलिका जलकर मर गई. इसलिए बुराई पर अच्‍छाई की जीत के पर्व के रूप में होलिका दहन किया जाता है. 

होली पर कामदेव-रति की कथा 

वहीं श्री‍हरि के भक्‍त प्रहलाद के अलावा कामदेव-रति की पौराणिक कथा है. इसके अनुसार भगवान शिव ने कामदेव को भस्‍म कर दिया था. बाद में होली के दिन ही शिव जी ने कामदेव को जीवित किया था इसलिए कई जगहों पर होली के दिन कामदेव-रति की भी पूजा होती है. 

क्‍यों नाराज हो गए थे महादेव? 

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शिव जी का ध्यान उनकी ओर नहीं जा रहा था. तब पार्वती जी की मदद करने के लिए प्रेम के देवता कामदेव ने शिव जी पर फूलों का बाण चलाकर उनकी तपस्‍या भंग कर दी. इससे शिव जी ने नाराज होकर तीसरी आंख खोल दी, जिसकी क्रोधाग्नि से कामदेव जलकर भस्‍म हो गए. इससे कामदेव की पत्‍नी रति व्‍यथित हो गईं. उन्‍होंने शिव जी को पूरी बात बताई. इसके बाद शिव जी ने पार्वती जी से विवाह भी किया और रति की प्रार्थना भी सुनी. 

होली के दिन मिला कामदेव को नया जीवन 

कामदेव की पत्‍नी रति की आराधना-प्रार्थना से प्रसन्‍न होकर शिव जी कामदेव को जीवित कर दिया. साथ ही उन्‍हें नया नाम दिया मनसिज. जिस दिन शिव जी ने कामदेव को जीवित किया उस दिन फागुन पूर्णिमा ही थी. जब कामदेव फिर से जीवित हुए तो नए सृजन के लिए प्रेरणा जगाते हुए उन्‍होंने उत्‍सव मनाया. इसलिए भी होली का उत्‍सव मनाया गया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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