DNA: हिंदू-मुस्लिम के बाद मराठा-गुजराती, क्षेत्रवाद और भाषा पर महायुद्ध
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DNA: हिंदू-मुस्लिम के बाद मराठा-गुजराती, क्षेत्रवाद और भाषा पर महायुद्ध

Loksabha Chunav: मराठी मानुष और गुजराती मानवी के बीच महाराष्ट्र में चुनावी जंग चल रही है. महाराष्ट्र में रहने वाले गुजराती वोटर आमतौर पर बीजेपी समर्थक माने जाते हैं. इसी धारणा की वजह से मुंबई के घाटकोपर में एक सोसायटी में एंट्री को लेकर महाविकास अघाड़ी और सोसायटी के लोगों में बवाल हो गया.

DNA: हिंदू-मुस्लिम के बाद मराठा-गुजराती, क्षेत्रवाद और भाषा पर महायुद्ध

Maratha Gujarati: चुनावों में जीत के लिए हर हथकंडे अपनाए जाते हैं. चुनाव अगर युद्ध है तो इसमें तीन हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है. पहला है जाति, दूसरा है धर्म और तीसरा है क्षेत्रवाद या भाषा. पिछली खबर में आपने '15 सेकेंड Versus 1 घंटे' वाला चुनावी धर्म युद्ध देखा. अब हम आपको क्षेत्रवाद और भाषा पर हुए महायुद्ध की खबर दिखाने जा रहे हैं.

देश में क्षेत्रवाद या भाषा के आधार पर भेदभाव, उतना नहीं है जितना चुनावों में दिखता है. हालांकि महाराष्ट्र इस मामले में चर्चित राज्य रहा है. 1960 के दशक में दक्षिण भारतीयों के खिलाफ उपजा गुस्सा हो, या फिर वर्ष 2000 के बाद से उत्तर भारतीयों के खिलाफ बना माहौल. दोनों ही मामलों में महाराष्ट्र, राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बनता रहा है. इस बार के चुनावों में महाराष्ट्र के अंदर गुजराती बनाम मराठी की लड़ाई चल रही है.

महाराष्ट्र में चुनावी जंग चल रही

मराठी मानुष और गुजराती मानवी के बीच महाराष्ट्र में चुनावी जंग चल रही है. महाराष्ट्र में रहने वाले गुजराती वोटर आमतौर पर बीजेपी समर्थक माने जाते हैं. इसी धारणा की वजह से मुंबई के घाटकोपर में एक सोसायटी में एंट्री को लेकर महाविकास अघाड़ी और सोसायटी के लोगों में बवाल हो गया. घाटकोपर की समर्पण सोसाइटी में बड़ी संख्या में गुजराती परिवार रहते हैं.

चुनाव प्रचार के लिए शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सोसायटी में जाना चाहते थे. सोसायटी के लोगों ने इसका विरोध किया. इस विरोध की वजह से यहां के निवासियों और महाविकास अघाड़ी कार्यकर्ताओं के बीच विवाद खड़ा हो गया.

विवाद गुजराती बनाम मराठी

हंगामा इतना बढ़ा कि पुलिस को आना पड़ा और फिर इसके बाद केवल 2 लोगों को चुनाव प्रचार के लिए सोसायटी में जाने की इजाज़त मिली. इस घटना ने महाराष्ट्र की राजनीति में क्षेत्रवाद और भाषाई भेदभाव का रंग ले लिया. विवाद गुजराती बनाम मराठी का हो गया.

महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, यहां पर अभी दो चरणों का मतदान बाकी है जिसमें 24 सीटें आएंगी. यानी करीब 50 प्रतिशत सीटों पर वोटिंग होनी है. यही वजह है कि महाराष्ट्र में धर्म और जाति के बाद अब मराठी बनाम गुजराती की जंग तेज़ हो गई है. घाटकोपर की सोसायटी में हुए हंगामे ने इसको और ज्यादा बल दे दिया है. 

इस मुद्दे को लेकर स्थानीय उम्मीदवार ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के नेता भी गुजराती और मराठी के बीच भेद पैदा करने वाले बयान देने लगे हैं. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने नरेंद्र मोदी और अमित शाह के गुजराती होने की बात कहकर, उनकी तुलना औरंगजेब से कर दी. उन्होंने कहा कि औरंगजेब भी गुजरात से था.

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