विटामिन बी-12 शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में मदद करता है. अगर इसकी कमी हो तो लाल रक्त कोशिका असामान्य रूप से बड़े हो सकते हैं, जिसे मेगालोब्लास्टिक एनीमिया कहते हैं. इससे लोगों को थकावट और कमजोरी की समस्या हो सकती है.
गर्भवती महिलाओं को विटामिन बी-12 का सेवन करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह उनके भ्रूण के मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के सही विकास में मदद करता है. इससे बच्चे के गर्भपात और जन्म दोष के खतरों को कम किया जा सकता है.
विटामिन बी-12 आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है. इसकी मदद से शरीर में ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम किया जा सकता है.
विटामिन बी-12 उम्र के साथ होने वाले आंखों के रोगों को दूर करने में मदद कर सकता है. यह आंखों के मैक्यूलर डिजनरेशन जैसे रोगों को भी कम कर सकता है. इससे रेटिना संबंधित समस्याएं भी कम हो सकती हैं.
विटामिन बी-12 आपके मूड को सुधारने में मदद कर सकता है. यह आपके न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य को भी बनाए रखने में सहायक होता है. इसकी कमी से नींद की समस्या, डिप्रेशन और नर्वस सिस्टम की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए विटामिन बी-12 का सही मात्रा में सेवन जरूरी है.
डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि विटामिन बी-12 हमारे मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में मदद करता है. जिससे शरीर में तेजी से कैलोरी बर्न होती है. इससे वजन कम करने में सहायक होती है और खाने का फैट के रूप में जमा नहीं होता.
विटामिन बी-12 के सेवन से आपकी एनर्जी बनी रहती है. सभी बी विटामिन आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, जिससे आपको भरपूर ताकत मिलती है.
उनका कहना है कि विटामिन बी-12 आपको हृदय रोग के खतरों से बचाने में मदद करता है. यह होमोसिस्टीन के स्तर को कम करने में मदद करता है, जिससे आपका हार्ट हेल्दी रहता है. शाकाहारी लोगों में विटामिन बी-12 की कमी से हृदय रोग के खतरे बढ़ सकते हैं.
डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि विटामिन बी-12 सेल उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इससे बाल, त्वचा और नाखूनों को स्वस्थ रखा जा सकता है. विटामिन बी-12 के सेवन से हाइपरपिग्मेंटेशन, नाखूनों का काला पड़ना, बालों में परिवर्तन, विटिलिगो जैसी कई समस्याओं को दूर किया जा सकता है.
डॉ. रवि शर्मा के अनुसार शरीर कई कोशिकाओं से बना है और हर कोशिका में कई डीएनए होते हैं. डीएनए शारीरिक और मानसिक विकास और प्रजनन में मदद करते हैं. शरीर में डीएनए बढ़ाने की प्रक्रिया को डीएनए संश्लेषण कहते हैं, जिसके लिए विटामिन बी-12 की जरूरत पड़ती है.