जय-वीरू से भी खास है इन दो महिलाओं की दोस्ती, जन्म से मरण तक बना रहा एक दूजे का साथ
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जय-वीरू से भी खास है इन दो महिलाओं की दोस्ती, जन्म से मरण तक बना रहा एक दूजे का साथ

पार्वती देवी का भतीजा आनंद कुमार ने बताया कि बोकारो में एक सहेली पार्वती देवी और दूसरी सहेली रजिया देवी थी और दोनों का एक-एक बेटा हुआ. समय करवट बदलता गया दोनों सहेलियों का साथ रहना साथ घूमना और साथ खाना तक हर दिन में शामिल था.

जय-वीरू से भी खास है इन दो महिलाओं की दोस्ती, जन्म से मरण तक बना रहा एक दूजे का साथ

बोकारो : झारखंड में दो सहेलियां इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल, बोकारो जिले के सेक्टर-चार की रहने वाली दो सहेली का बचपन सिवान जिले के एक ही गांव में बीता. फिर इसके बाद दोनों सहेलियों का जिले के सेक्टर-4 ए और सेक्टर-4 सी में आस-पास ही दोनों का रहना बीता. एक सहेली पार्वती देवी और दूसरी सहेली रजिया देवी है आज इन दिनों की दोस्ती पूरे झारखंड में एक मिशाल बन गई है. बता दें कि दोनों का जन्म एक ही जिले में हुआ और बचपन भी एक साथ ही बीता, यहीं नहीं दोनों ने अपने जीवन की आखिरी सांस भी एक साथ ली. इन दोनों की चिता एक साथ सजी और एक साथ ही दोनों को दाह संस्कार भी हुआ. इस घटना को जो भी सुन रहे है हतप्रभ है और कह रहे है दोस्ती हो तो ऐसी.

दोस्ती हो तो पार्वती और रजिया जैसी
पार्वती देवी का भतीजा आनंद कुमार ने बताया कि बोकारो में एक सहेली पार्वती देवी और दूसरी सहेली रजिया देवी थी और दोनों का एक-एक बेटा हुआ. समय करवट बदलता गया दोनों सहेलियों का साथ रहना साथ घूमना और साथ खाना तक हर दिन में शामिल था. 1971 में दोनों सहेलियो का बोकारो जेनरल अस्पताल में नौकरी हुआ अब तो दोनों सहेलियों को घर से एक साथ निकलने और रहने के अलावा आने तक रोज ही एक साथ बीतता था, लेकिन समय करवट लेता रहा और दोनों सहेलियों का एक साथ रिटायर्मेंट भी हुआ. दोनों सहेलियों ने अपने बेटो की शादी भी कर दी और नाती-पोते भी हो गए, लेकिन कुदरत का करिश्मा कहिए या इत्तेफाक दोनों सहेलिया बिमारी से जुझती हुई एक सहेली पार्वती देवी का बोकारो जेनरल अस्पताल में इलाज चल रहा था, वहीं दूसरी सहेली रजिया देवी का रांची के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. 

15 नवंबर को दी गई अंतिम विदाई
पार्वती देवी की पोती सिवानी कुमारी ने बताया कि जीवन ने साथ छोड़ा, लेकिन साथ ना छुटा जहां रजिया देवी का 11 नवंबर को सुबह देहांत हो गया, तो वहीं पार्वती देवी का भी शाम को देहांत हुआ. इसके बाद दोनों का शव भी एक साथ बोकारो जेनरल अस्पताल के मर्चरी में भी एक साथ रहा. मंगलवार 15 तारीख को चास के चेकपोस्ट स्थित श्मशान घाट में दोनों सहेलियों का दाह संस्कार एक ही समय पर किया गया. जिले के लोगों ने दोनों को अंतिम विदाई भी दी. इस घटना को जो भी सुन रहे है तो अचंभित है और कह रहे है की दोस्ती हो तो ऐसी. 

दोनों सहेलियों का याद कर रहे परिवार के सदस्य
बता दें कि दोनों सहेलियों के परिवार के सदस्यों का कहना है कि इस घटना ने हमे भी अचंभित कर दिया. क्योंकि यह इत्तेफाक है या फिर कुदरत का करिश्मा दोनों एक साथ जिये और एक साथ मरे. जब दोनों जीवित थे तो एक के बिना दूसरा नहीं रह पाती थी. दोनों का बचपन साथ बिता, साथ पढ़े लिखे और साथ बोकारो जेनरल अस्पताल में नर्स के पद पर नौकरी किये. साथ ही कुदरत के आगे सारा साइंस भी फेल हो जाता है. रजिया देवी का बेटा डॉक्टर उमाशंकर बोकारो जनरल अस्पताल डॉक्टर है, जिन्होंने आज अपनी मां को मुखाग्नि दी. वही पार्वती देवी की पोती जो पटना मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है. जिसने अपनी दादी को आज मुखाग्नि दी.

इनपुट- मृत्युंजय मिश्रा

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