Akhilesh Yadav Plan: उत्तर प्रदेश में अलग-अलग सीटों पर प्रचार के दौरान सियासी गणित समझने और समझाने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपनी साइकिल कन्नौज की ओर मोड़ ली है.
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Akhilesh Yadav Contest from Kannauj: उत्तर प्रदेश में पार्टी और परिवार की सियासी विरासत पर मजबूत पकड़ बनाए रखने के लिए अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने एक बार फिर कन्नौज का रुख किया है. अखिलेश यादव ने कन्नौज सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है. 24 साल पहले अखिलेश जिस सीट से पहली बार सांसद बने थे, उसी सीट को वापस पाने के लिए वो चुनावी मैदान में उतरे हैं. राजनीतिक समीकरण टटोलने के बाद अखिलेश यादव ने नई रणनीति तैयार की है, मगर बड़ा सवाल है कि क्या उनका ये प्रयोग सफल होगा?
सियासी गणित समझने और समझाने के बाद अखिलेश का फैसला
उत्तर प्रदेश में अलग-अलग सीटों पर प्रचार के दौरान सियासी गणित समझने और समझाने के बाद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने अपनी साइकिल कन्नौज की ओर मोड़ ली है. यानी अखिलेश यादव एक बार फिर कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले हैं. कन्नौज में अखिलेश यादव का मुकाबला मौजूदा सांसद और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सुब्रत पाठक से होगा.
अखिलेश यादव को क्यों लेना पड़ा यह फैसला?
इत्र नगरी कन्नौज से समाजवादी पार्टी ने पहले तेज प्रताप यादव का नाम फाइनल किया था, लेकिन अब समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में उतरे हैं. समाजवादी पार्टी के लिए 2014 के बाद उत्तर प्रदेश में चुनौतियां लगातार बढ़ी हैं, इसीलिए अखिलेश का कन्नौज से मैदान में उतरना पार्टी की सियासी सेहत के लिहाज से कई मायनों में अहम माना जा रहा है.
पिछले चुनाव में 12 हजार वोटों से हार गई थीं डिंपल यादव
2019 लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट पर बीजेपी के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हराया था. सुब्रत पाठक को 5 लाख 63 हजार 87 वोट मिले थे, जबकि डिंपल यादव भी 5 लाख 50 हजार 734 वोट पाने में कामयाबी रहीं थीं. सुब्रत पाठक 12 हजार से कुछ ज्यादा वोटों से जीत गए थे. इसीलिए, इस बार पिछली हार का बदला लेने के लिए अखिलेश खुद मैदान में हैं.
कौन बनेगा इतिहास और कौन बनाएगा इतिहास
इतिहास कौन बन जाएगा और इतिहास कौन बनाएगा? ये सब जनता को तय करना है, मगर कन्नौज के अखाड़े में लोकसभा चुनाव का दंगल दिलचस्प होने के पूरे आसार हैं. कन्नौज सीट पर 1998 से 2014 तक लगातार समाजवादी पार्टी जीती. 3 बार खुद अखिलेश यहां से सांसद रहे हैं. 2012 में अखिलेश मुख्यमंत्री बने तो उपचुनाव में डिंपल यादव पहली बार कन्नौज से ही सांसद चुनीं गईं. 2014 में भी डिंपल यादव ने कन्नौज से जीत हासिल की थी. मगर 2019 में समाजवादी पार्टी का ये किला बीजेपी ने भेद लिया. इस बार अखिलेश और सुब्रत पाठक में से कौन जीतेगा ये 4 जून को साफ हो जाएगा.