Pradosh Vrat 2024: कब है अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त और उपाय
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Pradosh Vrat 2024: कब है अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त और उपाय

Ravi Pradosh Vrat 2024 Kab hai: हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल 2024 को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगी. इसका समापन 22 अप्रैल सुबह 01 बजकर 11 मिनट पर होगा. उदया तिथि के चलते प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा. 

Pradosh Vrat 2024: कब है अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट करें सही डेट, शुभ मुहूर्त और उपाय

April Pradosh Vrat 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं. भगवान शिव की पूजा करने से सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. अप्रैल का पहला प्रदोष व्रत बीत गया है. आइए जानते हैं अप्रैल का दूसरा या हिन्दू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत कब है, क्या है शुभ मुहूर्त.

 

कब है अप्रैल का दूसरा प्रदोष व्रत?
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल 2024 को रात 10 बजकर 41 मिनट पर होगी. इसका समापन 22 अप्रैल सुबह 01 बजकर 11 मिनट पर होगा. उदया तिथि के चलते प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को रखा जाएगा. इस बार का प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है इसलिए ये रवि प्रदोष व्रत होगा.

 

पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है. इस दिन प्रदोष काल में पूजा की जाती है. पूजा का शुभ मुहूर्त 21 अप्रैल को शाम 6 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 2 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में आप प्रदोष व्रत की पूजा कर सकते हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, अमृत सिद्धि योग का संयोग बन रहा है. इससे पूजा का फल दोगुना मिलेगा.

करें ये उपाय
प्रदोष व्रत के दिन आप भक्तिभाव से भोलेनाथ की आरती जरूर करें. मान्यता है कि जो भी व्यक्ति शिव जी की विधि विधान से आरती करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं. यहां पढ़ें शिव जी की आरती.

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शिव जी की आरती (Shiv Ji Aarti Lyrics)

जय शिव ओंकारा, स्वामी ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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