Pradosh Vrat 2024: 21 या 22 कब है माघ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट कर लें शुभ मुहूर्त और महत्व
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Pradosh Vrat 2024: 21 या 22 कब है माघ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट कर लें शुभ मुहूर्त और महत्व

Pradosh Vrat 2024 Date: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव की पूजा करने का विधान है. ये दिन शिव भक्तों के लिए काफी खास माना जाता है. भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन के कष्ट, समस्याएं कम होती हैं और सुख-शांति का वास होता है.

Pradosh Vrat 2024: 21 या 22 कब है माघ महीने का दूसरा प्रदोष व्रत? नोट कर लें शुभ मुहूर्त और महत्व

Pradosh Vrat 2024: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत पर देवों के देव महादेव की पूजा करने का विधान है. ये दिन शिव भक्तों के लिए काफी खास माना जाता है. भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से जीवन के कष्ट, समस्याएं कम होती हैं और सुख-शांति का वास होता है. शिव पुराण के मुताबिक जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.  हिन्द पंचांग के अनुसार एक महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं. माघ महीने का पहला प्रदोष व्रत बीत चुका है. आइए जानते हैं दूसरा प्रदोष व्रत कब है और क्या है शुभ मुहूर्त.

 

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 21 फरवरी को सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन 22 फरवरी को 1 बजकर 21 मिनट पर होगी. इसके चलते 21 फरवरी को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहू्र्त शाम 6 बजकर 15 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 47 मिनट है. इस दौरान शिव भक्त शिव जी की अराधना कर सकते हैं.

 

बुध प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ती होती है. दूसरा प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे बुध प्रदोष कहा जाता है. संतान प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखना काफी फलदायी माना जाता है. इस दिन शिवलिंग के दर्शन जरूर करने चाहिए. शास्त्रों के मुताबिक प्रदोष व्रत केवल एक ऐसा व्रत है जिससे रोग, दोष, समस्याएं नष्ट होती हैं.

 

पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
इसके बाद भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेकर शिव जी की पूजा करें.
दिन में भजन किर्तन करें और फिर शाम को एक बार फिर से स्नान करें.
प्रदोष व्रत पर शाम के समय शिव जी की पूजा करना फलदायक माना जाता है. 
'ऊं नम: शिवाय:' मंत्र के साथ जलाभिषेक करें.
इसके बाद भगवान शिव की प्रिय चीजें जैसे बेल पत्र, गंगाजल, अक्षत अर्पित करें.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

 

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