कब है प्रदोष व्रत 8 या 9 जनवरी 2024? बन रहा बेहद शुभ संयोग, पूजा मुहूर्त भी जान लें
Advertisement
trendingNow12047688

कब है प्रदोष व्रत 8 या 9 जनवरी 2024? बन रहा बेहद शुभ संयोग, पूजा मुहूर्त भी जान लें

Bhaum pradosh vrat 2024: साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत आने वाला है. यह पौष महीने के कृष्‍ण पक्ष का प्रदोष व्रत है, जिसे भौम प्रदोष व्रत और पौष प्रदोष व्रत कहते हैं. आइए जानते हैं कि भौम प्रदोष व्रत कब है. 

कब है प्रदोष व्रत 8 या 9 जनवरी 2024? बन रहा बेहद शुभ संयोग, पूजा मुहूर्त भी जान लें

Paush Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव को समर्पित है. प्रदोष व्रत करने से हर संकट-दुख से मुक्ति मिल सकती है. साल 2024 का पहला प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत है. चूंकि यह पौष मास के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी को रखा जाता है इसलिए इसे पौष प्रदोष व्रत भी कहते हैं. इस साल का भौम प्रदोष व्रत इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि इसी दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है. ऐसे में कुछ लोगों को प्रदोष व्रत रखने की तारीख को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति है. 

भौम प्रदोष व्रत 2024 कब? 

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 8 जनवरी 2024 को रात 11 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 जनवरी 2024 को रात 10 बजकर 24 मिनट पर समाप्‍त होगी. चूंकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है. लिहाजा 9 जनवरी 2024 को ही भौम प्रदोष व्रत रखा जाएगा. इस बार भौम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 9 जनवरी 2024 की शाम 05.01 बजे से रात 08.24 बजे है. 

प्रदोष व्रत मासिक शिवरात्रि एकसाथ 

पंचांग के अनुसार 9 जनवरी 2024 की रात 10.24 बजे से चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी, जो 10 जनवरी की रात 08.10 मिनट तक रहेगी. ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत करने वालों के लिए मासिक शिवरात्रि की पूजा करने का शुभ मुहूर्त 9 जनवरी की देर रात 12.01 से देर रात 12.55 तक रहेगा. इस तरह एक व्रत करने से ही प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि दोनों का फल मिलेगा. मान्‍यता है कि प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि व्रत का इस तरह एकसाथ पड़ना पूर्व जन्म के पापों एवं कष्टों एवं पापों से मुक्ति पाने के लिए विशेष होता है. 

प्रदोष व्रत पूजा विधि 

प्रदोष व्रत के दिन स्नान करके साफ और सफेद कपड़े धारण करें. प्रथमपूज्‍य गणेश जी की पूजा करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की तस्‍वीर या मूर्ति स्‍थापित करके उन्‍हें नए वस्‍त्र पहनाएं. फिर विधि-विधान से पूजा करें. भगवान को बेलपत्र, नैवेध, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें. इस दौरान ओम उमा सहित शिवाय नमः मंत्र का 108 बार जार करें. प्रदोष व्रत की कथा सुनें और अंत में आरती करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

Trending news