DNA: बंगाल की राजनीति का रक्तचरित्र, कश्मीर जैसी हिंसा बनी चुनाव आयोग का सिरदर्द
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DNA: बंगाल की राजनीति का रक्तचरित्र, कश्मीर जैसी हिंसा बनी चुनाव आयोग का सिरदर्द

Lok Sabha Election 2024: इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल, देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां हर चरण में हिंसा हुई है. पश्चिम बंगाल, राजनीतिक हिंसा के अपने रक्त चरित्र की वजह से पूरे देश में खराब छवि बना चुका है.

DNA: बंगाल की राजनीति का रक्तचरित्र, कश्मीर जैसी हिंसा बनी चुनाव आयोग का सिरदर्द

20 मई को लोकसभा चुनावों के पांचवे चरण की वोटिंग होगी. इसमें 8 राज्यों की 49 सीटों पर मतदान होना है. हम आपको 4 दिन पहले इसकी जानकारी दे रहे हैं. अगर आप पश्चिम बंगाल में रहते हैं, तो ये जानकारी आपको हिंसा से बचा सकती है. 

इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल, देश का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां हर चरण में हिंसा हुई है. पश्चिम बंगाल, राजनीतिक हिंसा के अपने रक्त चरित्र की वजह से पूरे देश में खराब छवि बना चुका है.

बंगाल में जम्मू-कश्मीर जैसा दौर

एक समय था जब जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाना बहुत मुश्किल होता था. आतंकी संगठन, चुनाव बहिष्कार के पर्चे छपवाकर, लोगों को डराते थे.

चुनावों में शामिल होने वाले लोगों की हत्याएं तक हो जाती थीं. चुनाव के उम्मीदवारों को उम्मीदवारी वापस लेने की धमकियां मिलती थीं. पूरे राज्य में 10, 20, या बहुत ज्यादा हुई तो 30 प्रतिशत तक वोटिंग होती थी.

जम्मू-कश्मीर में नहीं हुई कोई हिंसा

लेकिन इस बार अबतक जम्मू कश्मीर में औसतन 60 प्रतिशत वोटिंग हो चुकी है. और सबसे बड़ी बात ये है कि चुनावी हिंसा की कोई खबर नहीं है.

लेकिन वहीं पश्चिम बंगाल में चार चरणों में औसतन 79 प्रतिशत वोटिंग हुई है, लेकिन हर चरण में चुनावी हिंसा हुई है. देखा जाए तो जम्मू कश्मीर के मुकाबले वोटिंग प्रतिशत तो ज्यादा है, लेकिन चुनावी हिंसा ने पश्चिम बंगाल में चुनाव को रक्त रंजित कर दिया है.

तो क्या ये समझा जाए कि पश्चिम बंगाल, 90 के दशक का कश्मीर बन गया है? देश की जनता के बीच इस तरह की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि हर चरण में हिंसा हुई है. देसी बमों का मिलना,पोलिंग बूथ पर भीड़ का हमला, पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्याएं जैसे कई मामले आए हैं. पिछले कुछ दिनों में हिंसा की कुछ बड़ी घटनाएं हुई हैं, जो आपको जाननी चाहिए.

कब-कब हुईं घटनाएं?

पूर्वी मेदिनीपुर में बीजेपी नेता सुब्रत बाग पर TMC कार्यकर्ताओं ने हमला कर दिया. सुब्रत के कान काट दिए गए. वजह बस ये थी कि सुब्रत बाग TMC छोड़कर BJP में शामिल हो गए थे.

बीरभूम में TMC कार्यकर्ताओं ने बीजेपी के बूथ एजेंट शंभू बराई का घर जला दिया.

पूर्वी मेदिनीपुर में 18 वर्ष के बीजेपी कार्यकर्ता को फांसी पर लटका दिया गया था. पिता ने इसे राजनीतिक हत्या बताकर TMC पर आरोप लगाया था.

चुनाव आयोग के लिए बना सिरदर्द

पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा इस कदर हो रही है कि चुनाव आयोग के लिए चुनाव करवाना चुनौती पूर्ण हो गया है. दक्षिण 24 परगना के गोसाबा में एक TMC कार्यकर्ता को पीट पीटकर मार दिया गया और फिर पेड़ से लटका दिया गया. गांववालों का कहना है कि मृतक तापस बैद्य को कुछ लोग उठाकर ले गए थे.

दक्षिण 24 परगना के ही पुजाली में एक बीजेपी कार्यकर्ता को बुरी तरह से पीटा गया. ये बीजेपी कार्यकर्ता, रिक्शे पर अपनी पार्टी का प्रचार करते हुए, पोस्टर लगा रहे थे. TMC कार्यकर्ताओं पर बीजेपी कार्यकर्ता को बंदूक की बट से पीटने का आरोप है. इस मामले में अभी किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है.

बीजेपी के बूथ एजेंट की हत्या

यही नहीं, पूर्वी बर्धमान के शेलियां गांव में बीजेपी के बूथ एजेंट अभिजीत रॉय की हत्या कर दी गई, उन्हें फांसी पर लटका दिया गया. आरोप TMC के कार्यकर्ताओं पर लगा है. कहा जा रहा है कि अभिजीत रॉय एक दिन पहले लापता हो गए थे, अगले दिन उनका शव, घर के पास एक फार्महाउस से बरामद हुआ. आपको बता दें कि बर्धमान में चुनाव हो चुके हैं.

पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले, चुनाव के दौरान और चुनाव के बाद होने वाली राजनीतिक हिंसा का अपना एक अलग इतिहास है. पंचायत चुनाव हो या विधानसभा चुनाव या फिर लोकसभा चुनाव, हिंसा, पश्चिम बंगाल का राजनीतिक चरित्र बन गया है. 
देश के गृहमंत्री अमित शाह भी इस हिंसा को लेकर ममता बनर्जी को घेरते रहे हैं. चुनावों के दौरान राज्य की सुरक्षा व्यवस्था एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है.

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