Saghar Siddiqui: 'मुस्कुराओ बहार के दिन हैं'; सागर सिद्दीकी के मशहूर शेर
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam2127041

Saghar Siddiqui: 'मुस्कुराओ बहार के दिन हैं'; सागर सिद्दीकी के मशहूर शेर

Saghar Siddiqui: सागर सिद्दीकी ने कई पाकिस्तानी फिल्मों के लिए गाने लिखे. अपनी जिंदगी के आखिरी वक्त में सागर सिद्दीकी हर तरह के नशे में पड़ गए. उस दौर में भी उन्होंने बहुत लिखा.

Saghar Siddiqui: 'मुस्कुराओ बहार के दिन हैं'; सागर सिद्दीकी के मशहूर शेर

Saghar Siddiqui Shayari: सागर सिद्दीकी उर्दू के मशहूर शायर थे. वह 1928 में अंबाला में पैदा हुए. उनका असली नाम मुहम्मद अख़्तर था. उनके शुरूआती दिन गुरबत में बीते. जिंदगी बसर करने के लिए उन्होंने कंघियां बनाने का काम किया. काम करते हुए इन्होंने शेर व शायरी करनी शुरू की. पहले उन्होंने अपने शेर अपने दोस्तों को सुनाना शुरू किया. साल 1944 में उन्हें पहली बार मुशायरे में पढ़ने का मौका मिला. इसके बाद उन्हें मकबूलियत मिली. बंटवारे के बाद सागर सिद्दीकी अमृतसर से लाहौर चले गए. 

ये किनारों से खेलने वाले 
डूब जाएँ तो क्या तमाशा हो 

मर गए जिन के चाहने वाले 
उन हसीनों की ज़िंदगी क्या है 

तेरी सूरत जो इत्तिफ़ाक़ से हम 
भूल जाएँ तो क्या तमाशा हो 

अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले 
चोट खा कर जो दुआ करते थे 

मुस्कुराओ बहार के दिन हैं 
गुल खिलाओ बहार के दिन हैं 

जो चमन की हयात को डस ले 
उस कली को बबूल कहता हूँ 

मौत कहते हैं जिस को ऐ 'साग़र' 
ज़िंदगी की कोई कड़ी होगी 

ऐ अदम के मुसाफ़िरो होशियार 
राह में ज़िंदगी खड़ी होगी 

भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिए 
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिए 

झिलमिलाते हुए अश्कों की लड़ी टूट गई 
जगमगाती हुई बरसात ने दम तोड़ दिया 

जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाई 
उस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है 

Trending news