Amarnath Yatra 2024: क्‍या है अमरत्‍व की कहानी सुनने वाले कबूतर के जोड़े की कहानी? अब भी देते हैं दर्शन!
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Amarnath Yatra 2024: क्‍या है अमरत्‍व की कहानी सुनने वाले कबूतर के जोड़े की कहानी? अब भी देते हैं दर्शन!

Amarnath Katha: जब भी अमरनाथ यात्रा की बात की जाती है तो एक कबूतर के जोड़े का भी हमेशा जिक्र किया जाता है. क्या आप जानते हैं ये कबूतर का जोड़ा हमेशा गुफा में क्यों बैठा रहता है. आइए जानते हैं इसकी पौराणिक कथा.

Amarnath Yatra 2024: क्‍या है अमरत्‍व की कहानी सुनने वाले कबूतर के जोड़े की कहानी? अब भी देते हैं दर्शन!

Story of Pigeons in Amarnath: हर साल अमरनाथ यात्रा के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ये यात्रा सबसे कठिन यात्राओं में से एक मानी जाती है. अमरनाथ गुफा में बर्फ से खुद एक शिवलिंग प्रकट होता है. धार्मिक मान्यताओं ये भी कहा जाता है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमर होने की कथा भी सुनाई थी. हर साल अमरनाथ यात्रा की शुरुआत जून-जुलाई में होती है. इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरु होगी.

कबूतर का जोड़ा हमेशा गुफा में क्यों बैठा रहता है?
जब भी अमरनाथ यात्रा की बात की जाती है तो एक कबूतर के जोड़े का भी हमेशा जिक्र किया जाता है. क्या आप जानते हैं ये कबूतर का जोड़ा हमेशा गुफा में क्यों बैठा रहता है. आइए जानते हैं इसकी पौराणिक कथा.

जब भगवान शिव ने सुनाई अमरत्व की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व के रहस्य के बारे में पूछा. इस रहस्य को भोलेनाथ माता पार्वती से लंबे समय से छुपा रहे थे. भगवान शिव ने आखिरकार रहस्य को बताने का सोचा तो वह माता पार्वती को हिमालय की इस गुफा में ले गए. भगवान शिव का गुफा में ले जाने का कारण ये था कि उनके रहस्य को कोई और नहीं सुन पाए. ऐसा इसलिए था क्योंकि जो भी कोई भी इस कथा को सुन लेता है वो अमर हो जाता है.

जब भगवान शिव पांचों तत्वों को छोड़ा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अपनी नंदी बैल को पहलगाम, जटाओं से चंद्रमा को चंदनवाड़ी, गंगाजी को पंचतरणी और कंठाभूषण सर्पों को शेषनाग में छोड़ दिया था. शेषनाग के बाद एक पड़ाव गणेश का पड़ता है जहां पर भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को छोड़ दिया था. इस तरह भगवान शिव ने अपने पांचों तत्वों को अलग कर माता पार्वती को अमरत्व की कहानी सुनाई थी. 

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कबूतर सुन रहे थे कथा
जब भगवान शिव माता पार्वती को कहानी सुना रहे थे तो उनको नींद आ गई थी और वो सो गईं थी. लेकिन भगवान शिव को इसका पता नहीं चला था. बीच में शिव जी को गूं-गूं की आवाज की सुनाई दी. इसके बाद भगवान शिव ने देखा की दो कबूतर कथा सुन रहे थे. ये देखकर भोलेनाथ क्रोधित हो गए और उनको मारने के लिए चल पड़े. इस पर कबूतरों ने कहा कि आप अगर हमें मार देंगे तो अमरत्व की कथा झूठी हो जाएगी. इसके पर भगवान शिव ने कबूतरों को छोड़ दिया. फिर भगवान शिव ने वरदान दिया कि वो कबूतर इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप में निवास करोगे.

जानकारी के लिए बता दें कि अमरनाथ में ऑक्सीजन लेवल कम होता है. लेकिन फिर भी वहां कबूतर रहते हैं. अमरनाथ जी के दर्शन के दौरान अगर इन कबूतरों के दर्शन हो जाए तो बहुत शुभ माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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