UP Lok sabha chunav 2024: मोदी लहर भी नहीं ढहा पाई थी रायबरेली में कांग्रेस का किला, क्या गांधी परिवार बीजेपी से बचा पाएगा अपना गढ़?
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2110789

UP Lok sabha chunav 2024: मोदी लहर भी नहीं ढहा पाई थी रायबरेली में कांग्रेस का किला, क्या गांधी परिवार बीजेपी से बचा पाएगा अपना गढ़?

रायबरेली यूपी की हॉट लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट से सांसद रहीं सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा जा रही हैं. उन्होंने बुधवार को राजस्थान से अपना नामांकन किया है. ऐसे में एक बात तो तय है कि सोनिया इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी.

Raebareli Lok Sabha Chunav 2024

Raebareli Lok Sabha Chunav 2024: रायबरेली यूपी की हॉट लोकसभा सीटों में से एक है. इस सीट से सांसद रहीं सोनिया गांधी पहली बार राज्यसभा जा रही हैं. उन्होंने बुधवार को राजस्थान से अपना नामांकन किया है. ऐसे में एक बात तो तय है कि सोनिया इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी. इसी बीच रायबरेली सीट से कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है. चर्चा है कि इस सीट से प्रियंका गांधी लड़ेंगी. इस सीट से फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी भी चुनाव जीतकर सांसद रह चुके. ऐसे में आइये इस लोकसभा सीट के इतिहास और सियासी समीकरण के बारे में जानते हैं... 

रायबरेली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र-प्रत्याशी
बीजेपी-स्मृति ईरानी
कांग्रेस- अघोषित

 

देश के पहले लोकसभा चुनाव 1951-52 के दौरान रायबरेली लोकसभा का कोई अस्तित्व नहीं था. तब यह क्षेत्र प्रतापगढ़ उत्तर-रायबरेली पूर्व लोकसभा सीट में आता था. तब यहां से 2 सांसद चुने जाते थे. 1951 में कांग्रेस से फिरोज गांधी और बैजनाथ कुरील यहां के सांसद बने. 1957 में रायबरेली लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. रायबरेली लोकसभा सीट शुरू से ही कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है. 2014 के मोदी लहर में भी कांग्रेस इस सीट से नहीं हारी. 2006 से सोनिया गांधी इस सीट से जीतती आ रही हैं. 

16 बार कांग्रेस के खाते में आई सीट 
इस सीट पर कांग्रेस की पकड़ इस बात से समझी जा सकती है कि यहां हुए अब तक के 16 लोकसभा चुनाव और तीन उपचुनावों में कांग्रेस ने 16 बार जीत हासिल की. जबकि 1977 में भारतीय लोकदल और 1996, 1998 में भाजपा इस सीट पर जीती. वहीं, बहुजन समाज पार्टी अभी तक इस सीट पर खाता नहीं खोल सकी है. वहीं, समाजवादी पार्टी ने 2009 और 2014 के चुनाव में सोनिया के खिलाफ इस सीट पर कोई प्रत्याशी ही नहीं उतारा था. यहां अब तक केवल दो गैर कांग्रेसी सांसद रहे हैं. जिनमें 1977 में भारतीय लोकदल के राजनारायण और 1996, 1998 में भाजपा के अशोक कुमार सिंह का नाम शामिल है. 

कब किसे मिली जीत 
1957 में फिरोज गांधी, कांग्रेस 
1960 में आरपी सिंह, कांग्रेस
1962 में बैजनाथ कुरील, कांग्रेस
1967 में इंदिरा गांधी, कांग्रेस
1971 में इंदिरा गांधी, कांग्रेस
1977 में राजनारायण, जनता पार्टी
1980 में इंदिरा गांधी, कांग्रेस
1980 में अरुण नेहरू, कांग्रेस
1984 में अरुण नेहरू, कांग्रेस
1989 में शीला कौल, कांग्रेस
1991 में शीला कौल, कांग्रेस
1996 में अशोक कुमार सिंह, भाजपा
1998 में अशोक कुमार सिंह, भाजपा
1999 में कैप्टन सतीश शर्मा, कांग्रेस
2004 में सोनिया गांधी, कांग्रेस
2006 में सोनिया गांधी, कांग्रेस
2009 में सोनिया गांधी, कांग्रेस 
2014 में सोनिया गांधी, कांग्रेस
2019 में सोनिया गांधी, कांग्रेस

जातीय समीकरण  
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स 11 फीसदी हैं. इसके बाद ठाकुर 9 फीसदी, यादव 7 फीसदी, एससी 34 फीसदी, मुस्लिम 6 फीसदी, लोध 6 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी, अन्य 23 फीसदी वोटर्स हैं. 

UP Lok Sabha Chunav 2024: क्या एटा में बीजेपी लगा पाएगी हैट्रिक, सपा ने घोषित किया उम्मीदवार

Trending news