बुलाती है मगर जाने का नहीं...राहत इंदौरी के वो शेर जो लोगों की जुबान पर हैं

किसने दस्तक दी

किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है, आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है.

ये हादसा

ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था, मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था.

नसीब

मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना, मैं तेरी माँग में सिन्दूर भरने वाला था.

बुलाती है मगर जाने का नहीं

बुलाती है मगर जाने का नहीं, बुलाती है मगर जाने का नहीं, ये दुनिया है इधर जाने का नहीं.

मर जाने का नहीं

मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं, वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नहीं, वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं.

नींद

नींद से मेरा ताल्लुक़ ही नहीं बरसों से, ख़्वाब आ आ के मेरी छत पे टहलते क्यूं हैं.

फूलों की दुकान

फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो, इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो.

आंख में पानी

आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो.

पांव का कांटा

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा.

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