आपने देखा होगा कि ट्रेन के डिब्बे पर बड़े आकार में 5 अंकों का एक नंबर लिखा होता है. यह नंबर भी रेलवे की कोडिंग प्रणाली का हिस्सा होता है. यह एक खास कोड होता है जिसका एक विशेष मतलब होता है.
ट्रेन के कोच पर लिखे पांच अंकों के नंबर में कई जानकारियां छुपी होती हैं. पहले दो अंक बताते हैं कि कोच किस साल में बना है.
साथ ही बता दें कि अगर किसी कोच पर 06071 लिखा हुआ है, तो इसका मतलब है कि उस कोच का निर्माण 2006 में हुआ था. 06 के बाद के तीन अंक बताते हैं कि वह कोच स्लीपर है या एसी. उदाहरण के लिए 06071 में 071 का मतलब है कि यह एक एसी कोच है.
अगर कोच पर लिखे आखिरी तीन नंबर 1 से 200 के बीच में हैं, तो इसका मतलब है कि वह एक एसी कोच है.
साथ ही 200 से 400 के बीच के नंबर स्लीपर कोच के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं. अगर कोच पर 99312 नंबर लिखा है, तो इसके आखिरी तीन नंबर 312 बताते हैं कि यह एक स्लीपर कोच है. इसी प्रकार अगर आखिरी तीन नंबर 400 से 600 के बीच हैं, तो वह जनरल कोच होता है.
इसी प्रकार 600 से 700 के बीच के नंबर चेयर कार के लिए होते हैं. चेयर कार कोच में बैठने के लिए प्री-रिजर्वेशन कराना जरूरी होता है.
इसी तरह 700 से 800 के बीच वाले नंबर सामान ले जाने वाले या बैगेज कोच के लिए निर्धारित किए गए हैं. अगर किसी कोच के बाहर 09711 लिखा है और इसमें आखिरी तीन नंबर 700 से 800 के बीच आते हैं, तो यह एक बैगेज कोच होगा.