वेदों के अनुसार, विवाह को दो लोगों के बीच अनंत काल के लिए एक पवित्र मिलन माना जाता है. यह एक पवित्र बंधन होता है.
विवाह को शादी भी कहा जाता है. यह औरत और मर्द के बीच एक सामाजिक या धार्मिक मान्यता प्राप्त मिलन है.
मरडॉक के अनुसार, सभी समाजों में विवाह के तीन उद्देश्य हैं. यौन संतुष्टि, आर्थिक सहयोग, संतानों का समाजीकरण और लालन-पालन.
विवाह स्त्री और पुरुष के पारिवारिक जीवन में प्रवेश करने की व्यवस्था है.
विवाह का असली अर्थ होता है कि वधू को वर के घर ले जाना. शादी प्रेम, पारस्परिक सम्मान, समानता और बलिदान होता है.
शब्द विवाह 13 सौ के आसपास सामने आया. माना जाता है कि 12वीं शताब्दी के पुराने फ्रांसीसी मैरिज और 11वीं शताब्दी के वल्गर लैटिन मैरिटैटिकम से निकला है.
विवाह का शाब्दिक मतलब होता है, उत्तरदायित्व का होना. पाणिग्रहण संस्कार को हिंदू विवाह के नाम से जाना जाता है.
विवाह शब्द की उत्पति वि+वाह से मिलकर बना है. इस तरह से दो शब्दों को मिलाकर विवाह शब्द की उत्पत्ति हुई.
एक विवाह के समारोह को शादी उत्सव और वेडिंग भी कहा जाता है. जब स्त्री और परुष की नए रिश्ते में बंधते है तो विवाह होता है.