जब कोई व्यक्ति वोट करता है, तो उसकी उंगली पर लगी यह स्याही ही यह दिखाती है कि उसने अपना वोट किया है या नहीं.
यह स्याही दक्षिण भारत में स्थित एक कंपनी द्वारा बनाई जाती है. इस कंपनी का नाम मैसूर पेंट एंड वार्निश लिमिटेड (MVPL) है.
स्याही एक जटिल मिश्रण होती है, जिसमें अलग-अलग पदार्थों का समावेश होता है. इसमें सॉल्वेंट्स, रेजिन, अल्कोहल, स्नेहक, कार्बन, रंगद्रव्य, रंग, एनिलिन, डेक्सट्रिन, ग्लिसरीन, फ्लोरोसेंट और अन्य सामग्री शामिल हो सकती है.
1962 के चुनाव से इस स्याही का उपयोग किया जाता आ रहा है. यह कंपनी भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों में भी चुनावी स्याही की आपूर्ति करती है.
चुनावी स्याही तैयार करने के लिए सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का उपयोग किया जाता है. इसे कम से कम 72 घंटे तक त्वचा से मिटाया नहीं जा सकता.
सिल्वर नाइट्रेट केमिकल का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि जब यह पानी से संपर्क में आता है, तो यह काले रंग का हो जाता है और बाद में मिटता नहीं है.
सिल्वर क्लोराइड पानी में घुलकर नहीं होता है और त्वचा पर जमा रहता है. इसे साबुन से धोना मुश्किल होता है. इस निशान को मिटाने के लिए त्वचा के सेल धीरे-धीरे पुराने होते हैं और उतरने लगते हैं.
एमवीपीएल की वेबसाइट पर बताया गया है कि उनकी उच्च क्वालिटी की चुनावी स्याही 40 सेकंड से भी कम समय में सूख जाती है. इसका प्रतिक्रिया इतनी तेजी से होता है कि उंगली पर लगने के एक सेकंड के भीतर यह अपना निशान छोड़ देता है.