"जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा"; जौन एलिया के शेर

आज मुझ को बहुत बुरा कह कर... आप ने नाम तो लिया मेरा

जुर्म में हम कमी करें भी तो क्यूँ... तुम सज़ा भी तो कम नहीं करते

गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने... वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने

तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी... कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो

शब जो हम से हुआ मुआफ़ करो... नहीं पी थी बहक गए होंगे

एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक... बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई

रोया हूँ तो अपने दोस्तों में... पर तुझ से तो हँस के ही मिला हूँ

हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम... तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम

जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा... याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए

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