उर्दू सहित देश के इन 12 भाषाओं में होगी अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई; अगले सत्र से होगा लागू
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उर्दू सहित देश के इन 12 भाषाओं में होगी अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई; अगले सत्र से होगा लागू

इन किताबों को आईआईटी, सीएफटीआई, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम के लिए अब भारतीय भाषाओं में स्टडी मटेरियल मिल सकेंगे. इसके लिए 12 अनुसूचित भारतीय भाषाओं हिंदी, मराठी, बंगाली, तमिल, तेलुगु, गुजराती, कन्नड़, पंजाबी, ओडिया, असमिया, उर्दू और मलयालम में तकनीकी पुस्तक लेखन और अनुवाद की शुरूआत करने की तैयारी की जा रही है. छात्रों को भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग एजुकेशन लेने में सक्षम बनाने के लिए साल 2021-22 में भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा शुरू की शुरुआत की गई है. 

जोर-शोर से चल रहा है पुस्तकों के अनुवाद का काम 
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने पहले साल के लिए अंग्रेजी में ऑरिजनल पुस्तक लेखन शुरू किया और फिर मूल लेखन के बाद 12 भारतीय भाषाओं में इसका तर्जुमा किया है. पहले साल में 22 पुस्तकों की पहचान की गई और शुरू में 12 भारतीय भाषाओं में उनका तर्जुमा किया गया. इन किताबों को आईआईटी, सीएफटीआई, एनआईटी, ट्रिपल आईटी और एआईसीटीई द्वारा अनुमोदित संस्थानों में इस्तेमाल किया जा सकता है.

देश के टॉप संस्थानों के शिक्षक कर रहे हैं पुस्तक लेखन 
एआईसीटीई द्वारा दूसरे वर्ष के लिए डिग्री और डिप्लोमा दोनों के लिए अठासी (88) विषयों की पहचान की गई है, और अंग्रेजी में मूल पुस्तक लेखन शुरू हो गया है. पुस्तक लिखने वाले ज्यादातर लेखक आईआईटी, एनआईटी से इस काम में एआईसीटीई से जुड़े हैं. इसके साथ ही, विश्वविद्यालय में, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे 10 राज्यों के 40 संस्थान एक या उससे ज्यादा सब्जेक्ट में इंजीनियरिंग शिक्षा शुरू करने के लिए आगे आए हैं.

15 जुलाई को कॉन्क्लेव का आयोजन 
एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा, ’’भारतीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा के संदर्भ में जागरूकता फैलाने के लिए तकनीकी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, एनआईटी के निदेशकों और राज्य के तकनीकी शिक्षा निदेशालय, सरकार के साथ बातचीत के लिए 15 जुलाई को एक कॉन्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है.’’ प्रो एम. पी. पूनिया, उपाध्यक्ष, एआईसीटीई ने कहा, हमें मातृभाषा में शिक्षा की उत्पत्ति और महत्व के लिये क्षेत्रीय भाषाओं में परिणाम-आधारित शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करना होगा. 

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