Abaya Fashion: बुर्के को फैशन में लाना कितना सही; क्या बड़ी कंपनियों की है कोई मंशा?
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Abaya Fashion: बुर्के को फैशन में लाना कितना सही; क्या बड़ी कंपनियों की है कोई मंशा?

Muslim लड़कियों के श्री राम कॉलेज में बुर्के में कैट-वॉक करने के बाद कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं और बुर्के को सिर्फ पर्दे का लिबास बता रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. 

Abaya Fashion: बुर्के को फैशन में लाना कितना सही; क्या बड़ी कंपनियों की है कोई मंशा?

बुर्का पहनने वाली लड़कियों के लिए लोगों की एक आम धारणा है कि वह फैशन, कला, शिक्षा में आगे नहीं बढ़ सकती हैं, लेकिन इस गलत धारणा को अब बुर्का, हिजाब, आबाया पहनने वाली लड़किया ही दूर कर रही हैं. हिजाब और आबाया पहनने वाली लड़की अमेरिका की सांसद इल्हान अब्दुल्लाही उमर हो या हिजाब में फुटबॉल वर्ल्ड कप खेलनी वाली मोरक्को की नौहैला बेंजिना हो, हर क्षेत्र में हिजाब और बुर्का पहनने वाली लड़कियां दिख जाती है. ताजा मामला उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का है, जहां एक कॉलिज की लड़कियों ने बुर्के में कैट-वॉक करके उन लोगों के मुंह पर ताले लगा दिए जो बुर्का पहनने वाली लड़कियों को पिछड़ी सोच का समझते हैं. 

पर्दे में इस्तेमाल होने वाले बुर्के को फैशन किसने बनाया?
दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां फैशन ट्रेंड के नाम पर नए-नए डिजाइनर क्लॉथिंग बनाती रहती हैं, लेकिन बुर्के की तरफ इन कंपनियों का ध्यान काफी बाद में गया. साउदी अरब की बुथैना हाफ़िज़ को पहला आबाया डिजाइनर माना जाता है, जिन्होंने आज से करीब 39 साल पहले आबाया को डिजाइन करना शुरू किया और मीडिल ईस्ट ही नहीं पूरी दुनिया में अपना नाम बनाया. 

अब पश्चिम देशों की कई बड़ी-बड़ी क्लोथिंग ब्रांड ने भी आबाया, हिजाब बनाना शुरू कर दिया है. पश्चिम देश अक्सर महिलाओं के बुर्का पहनने पर अरब और मुस्लिम देशों के उपर उनकी आजादी छीनने का आरोप लगाते आए हैं, लेकिन अब इन देशों की कंपनी भी हिजाब आबाया बना रही हैं. आज दुनिया भर की बड़ी कंपनी जैसे- H&M, Uniq-lo, Nike आदि हिजाब, आबाया बना रही हैं. 

आबाया के फैशन बनने की वज
डेटा ब्रिज (Data Bridge) की रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामिक क्लोथिंग मार्केट 2030 तक 122.73 बिल्लियन यूएस डॉलर की हो जाएगी. अब बिजनेस की इस बढ़ती संभावना को दुनिया भर की बड़ी कंपनियां अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती हैं. जानकार कहते हैं कि, बुर्का पहले ज्यादतर काले कपड़े का ही आता था, लेकिन अगर एक ही रंग में कंपनी बुर्का बनाना शुरू करती तो उनका माल बार-बार न खरीदा जाता. इसके पीछे की वजह एक बड़ा बजार है, दुनिया भर की कुल आबादी की 24 फीसदी आबादी मुस्लिम है, तो इनको अपना माल बेचने के लिए आबाया को फैशन में लाया गया. दुनिया भर में कई फैशन शो हुए जिनमें मॉडल्स को आबाया पहने देखा गया, नए डिजाइन बनाए गए, अलग-अलग रंगों में बुर्का हिजाब आने लगे और उनको प्रायोजित तरीके से प्रमोट किया गया ताकि एक बड़ी आबादी को अपना माल बेचा जा सके.   

क्या इस्लाम में फैशन वाला बुर्का पहनना मना है? 
2016 में सऊदी के अखबार 'ओकाज़' की एक महिला रिपोर्टर ने 'काउंसिल ऑफ सीनियर इस्लामिक स्कॉलर' के एक स्कॉलर का इंटरव्यू लिया और उनसे पूछा कि क्या इस्लाम में रंगीन अबाया पहनना मना है? स्कॉलर ने जवाब दिया कि मुस्लिम महिलाओं के लिए जरूरी है कि वो ऐसे कपड़े पहने जिनमें उनका बदन ढाका हो और वो कपड़ा जिस्म से चिपका न हो. इसमें रंग की कोई पाबंदी नहीं है. 

"फैशन से इस्लाम को कर रही रिप्रजेंट" 
द न्यू अरब को दिए गए अपने इंटरव्यू में पहली ब्रटिश हिजाबी मॉडल मारिया इदरीसी कहती हैं कि हिजाब में फैशन शूट और मॉडलिंग करना ऐसा है कि हम बिना किसी की शर्म किए और अपने कल्चर किसी से कमतर समझे बिना ही इस्लाम को रिप्रजेंट कर रहे हैं. 2015 में मारिया इदरीसी पहली बार H&M कंपनी के एक ऐड में हिजाब पहने दिखी थीं. इसके बाद मारिया इदरीसी के चर्चे दुनिया भर में होने लगे, आज मारिया की लड़कियों की इंस्प्रेशन बनी हुई हैं.

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