‘अकाउंट हुए फ्रीज’, तो 40 साल पुराने ढर्रे पर लौटी कांग्रेस, सड़कों पर बाल्टी लिए चंदा मांगने उतरे कार्यकर्ता

हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दावा किया था कि पार्टी के अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है. लिहाजा पार्टी को चुनाव प्रचार में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी के पास पैसे नहीं है कि वे चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार कर सके. हालांकि, अब कांग्रेस ने चुनाव के लिए पैसे जुटाने का एक नया जुगाड़ ढूंढ निकाला है. 

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Apr 7, 2024, 05:04 PM IST
  • पैसे के लिए बाल्टी लिए सड़कों पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ता
  • 40 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है यह तरीका
‘अकाउंट हुए फ्रीज’, तो 40 साल पुराने ढर्रे पर लौटी कांग्रेस, सड़कों पर बाल्टी लिए चंदा मांगने उतरे कार्यकर्ता

नई दिल्लीः हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दावा किया था कि पार्टी के अकाउंट को फ्रीज कर दिया गया है. लिहाजा पार्टी को चुनाव प्रचार में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पार्टी के पास पैसे नहीं है कि वे चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार कर सके. हालांकि, अब कांग्रेस ने चुनाव के लिए पैसे जुटाने का एक नया जुगाड़ ढूंढ निकाला है. पार्टी अब चुनाव प्रचार के लिए फंड जुगाड़ने के क्रम में सीधे लोगों के बीच उतर चुकी है. 

पैसे के लिए बाल्टी लिए सड़कों पर उतरे कांग्रेस कार्यकर्ता 
केरल कांग्रेस यूनिट के कार्यकर्ता फंड इकट्ठा करने के लिए अब सड़कों पर हाथों में बाल्टी लिए निकल पड़े हैं. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हाथों में खाली बाल्टी लिए केरल कांग्रेस प्रदेश कमेटी (केपीसीसी) के सदस्य लोगों से पैसे मांग रहे हैं जिससे लोगों से मिले उन पैसों का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए किया जा सके. इस दल का नेतृत्व केपीसीसी के कार्यवाहक अध्यक्ष एमएम हसन कर रहे हैं. 

40 साल पुरानी परंपरा का हिस्सा है यह तरीका 
कांग्रेस का चुनाव के लिए चंदा इकट्ठा करने का यह तरीका भले ही कुछ लोगों को नया और अजूबा लग रहा हो, लेकिन इसके तार आज से 40 साल पुरानी परंपरा से जुड़ते हैं. दरअसल, आज से 40 साल पहले राजनीतिक पार्टियों को चुनावी चंदे कुछ इसी तरह से मिलते थे. तब इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पार्टियों के खाते में सीधे पैसे नहीं आते थे, बल्कि पार्टियों के कार्यकर्ता एक रसीद बुक अपने हाथों में लिए लोगों के घर-घर जाते थे और अपनी पार्टी के लिए चंदा वसूलने का काम करते थे. 

साल 2017 में शुरू हुआ था इलेक्टोरल बॉन्ड 
केरल में चुनाव के लिए फंड इकट्ठा करने के इस उपाय को 40 साल पुरानी उसी परंपरा से जोड़ कर देखा जा रहा है. बात अगर इलेक्टोरल बॉन्ड की करें, तो इसे साल 2017 में देश में लागू किया गया था. हालांकि, हाल ही के कुछ दिनों में देश में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस स्कीम को असंवैधानिक करार दिया है. 

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