Iran-US: आसान नहीं है तेहरान को काबू में रखना! ईरान के तेल निर्यात पर इसलिए बड़ा एक्शन नहीं ले पाएंगे बाइडेन
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Iran-US: आसान नहीं है तेहरान को काबू में रखना! ईरान के तेल निर्यात पर इसलिए बड़ा एक्शन नहीं ले पाएंगे बाइडेन

Iran–US relations: ईरान के हमले के कुछ समय बाद ही हाउस रिपब्लिकन नेताओं ने राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ईरान के खिलाफ मौजूदा ऑप्शन लागू करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया.

Iran-US: आसान नहीं है तेहरान को काबू में रखना! ईरान के तेल निर्यात पर इसलिए बड़ा एक्शन नहीं ले पाएंगे बाइडेन

Israel-Iran Tensions:  इजरायल पर ईरान के अभूतपूर्व हमले के बाद बाइडेन प्रशासन की तरफ से ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की संभावना नहीं है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक एक्सपर्ट्स का कहना है कि तेल की कीमतें बढ़ने और शीर्ष खरीदार चीन के नाराज होने की चिंताओं के कारण अमेरिका यह कदम नहीं उठा रहा है.

तेहरान के हमले के कुछ समय बाद ही हाउस रिपब्लिकन नेताओं ने राष्ट्रपति जो बाइडेन पर ईरान के खिलाफ मौजूदा ऑप्शन लागू करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वे इस सप्ताह प्रतिबंधों को तेज करने के लिए बिलों की एक श्रृंखला लाएंगे.

ईरान के लिए तेल बेचना आसान बनाया
रविवार को फॉक्स न्यूज से बात करते हुए, नंबर 2 हाउस रिपब्लिकन प्रतिनिधि स्टीव स्कैलिस ने कहा कि प्रशासन ने ईरान के लिए अपना तेल बेचना आसान बना दिया है. इससे रेवेन्यू पैदा होता है जिसका इस्तेमाल 'आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग' के लिए किया जा रहा है.

ईरान को सजा देने के राजनीतिक दबाव ने बाइडेन प्रशासन के सामने बेहद मुश्किल सवाल खड़ा कर दिया है. वह है- क्षेत्रीय तनाव बढ़ाए बिना, तेल की कीमतें बढ़ाए बिना या ईरानी तेल के सबसे बड़े खरीदार चीन को नाराज किए बिना, भविष्य में ऐसे हमलों को कैसे रोका जाए.

बाइडेन के दावों पर एक्सपर्ट्स को शक
वाशिंगटन महीनों से कह रहा है कि वह फिलिस्तीनी ग्रुप हमास और इज़राइल के बीच जारी गाजा संघर्ष को बड़े रीजनल युद्ध में बदलने से रोकना चाहता है और इसके लिए तेहरान को किनारे पर रखना जरूरी है.

रिपोर्ट के मुताबिक कई क्षेत्रीय विश्लेषकों ने कहा कि उन्हें शक है कि बाइडेन ईरान के कच्चे तेल के निर्यात, को रोकने के लिए मौजूदा अमेरिकी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई करेगा. कच्चे तेल का निर्यात ईरानी अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा है.

सीआईए के पूर्व अधिकारी और अब रैपिडन एनर्जी ग्रुप के सीईओ स्कॉट मॉडलेल ने कहा, ‘भले ही ये बिल पारित हो जाएं, लेकिन (ईरानी तेल निर्यात) में किसी भी सार्थक तरीके से कटौती या अंकुश लगाने, मौजूदा प्रतिबंधों या नए प्रतिबंधों को लागू करना मुश्किल है.’

अटलांटिक काउंसिल में प्रतिबंध और मनी-लॉन्ड्रिंग विरोधी एक्सपर्ट किम्बर्ली डोनोवन ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में तेल से संबंधित प्रतिबंधों को सख्ती से लागू नहीं किया गया है.

डोनोवन ने कहा, ‘मैं यह उम्मीद नहीं करूंगी कि प्रशासन वीकेंड में इजरायल के खिलाफ ईरान के मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में कड़ा रुख अपनाएगा,  क्योंकि इससे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है. चुनावी वर्ष के दौरान तेल की कीमत और अंततः पंप पर गैस की कीमतें गंभीर मुद्दा हो जाती हैं.’

पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बहाल किए थे प्रतिबंध
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर एक अंतरराष्ट्रीय समझौते से बाहर निकलने के बाद 2018 में ईरान के तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों को फिर से लागू कर दिया था. बाइडेन प्रशासन के सामने चीन, संयुक्त अरब अमीरात और अन्य जगहों पर चुनौती प्रतिबंधों के उल्लंघन पर नकेल कसने की रही है.

विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने ईरान पर कोई प्रतिबंध नहीं हटाया है और इस्लामिक गणराज्य पर दबाव बढ़ाना जारी रखा है.

प्रवक्ता ने कहा, ‘ईरान पर हमारे व्यापक और ओवरलैपिंग प्रतिबंध लागू हैं और हम उन्हें लागू करना जारी रखेंगे.’

चीन की चुनौती
आक्रामक रूप से प्रतिबंध लागू करने से अमेरिका-चीन संबंध भी अस्थिर हो सकते हैं. पिछले साल अमेरिका द्वारा अमेरिकी क्षेत्र को पार करने वाले एक संदिग्ध चीनी निगरानी गुब्बारे को गिराए जाने के बाद दोनों देश के रिश्ते एक कठिन दौर के बाद सुधारने की कोशिश की है.

चीन में प्रवेश करने वाले ईरानी तेल को मलेशिया या अन्य मध्य पूर्वी देशों के तेल के रूप में ब्रांड किया जाता है. इसे पुराने टैंकरों के ‘अंधेरे बेड़े’ द्वारा ले जाया जाता है जो आमतौर पर पहचान से बचने के लिए ईरानी बंदरगाहों पर लोड करते समय अपने ट्रांसपोंडर बंद कर देते हैं.

टैंकर ट्रैकिंग एक्सपर्ट्स वोर्टेक्सा एनालिटिक्स का अनुमान है कि चीन ने पिछले साल एक दिन में रिकॉर्ड 55.6 मिलियन मीट्रिक टन या 1.11 मिलियन बैरल ईरानी कच्चा तेल हासिल किया था. यह ईरान के कच्चे तेल निर्यात का लगभग 90% और चीन के तेल आयात का 10% था.

कई एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि ईरानी हमलों पर किसी भी इजरायली जवाब को कम करने के लिए वाशिंगटन ईरान के तेल निर्यात में कटौती करने के लिए कुछ कार्रवाई कर सकता है. हालांकि यह एक्शन इतना बड़ा नहीं होगा जिसमें किसी प्रमुख चीनी वित्तीय संस्थान को टारगेट किया जाएगा. इसके बजाय इस तरह के व्यापार में लगे चीनी या अन्य संस्थाओं को लक्षित करना शामिल हो सकता है.

मामले से परिचित एक सूत्र ने कहा, ‘अगर आप वास्तव में ईरान के तेल निर्यात के पीछे जाना चाहते हैं, तो आपको चीन के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करनी होगी. क्या आप सचमुच बड़े बैंकों के पीछे जाने वाले हैं? क्या आप कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो प्रशासन अब तक नहीं किया और यहां तक कि ट्रंप प्रशासन ने भी नहीं किया?’

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