Kim Jong Un Meets Vladimir Putin: पुतिन-किम जोंग की मुलाकात से तीसरे विश्व युद्ध की आहट? दुनियाभर में बजी खतरे की घंटी
Advertisement
trendingNow11869287

Kim Jong Un Meets Vladimir Putin: पुतिन-किम जोंग की मुलाकात से तीसरे विश्व युद्ध की आहट? दुनियाभर में बजी खतरे की घंटी

World News: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश के सुदूरवर्ती पूर्वी अमूर क्षेत्र में स्थित वोस्तोचनी कॉस्मोड्रोम में उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से बुधवार को मुलाकात की है. यह मुलाकात दर्शाती है कि अमेरिका के साथ जारी टकराव के बीच दोनों नेताओं के हित कैसे एक हो रहे हैं.

Kim Jong Un Meets Vladimir Putin: पुतिन-किम जोंग की मुलाकात से तीसरे विश्व युद्ध की आहट? दुनियाभर में बजी खतरे की घंटी

Kim Jong Un Meets Vladimir Putin in Russia: उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन रूस में हैं. रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध (russia ukraine war) के बीच किम और पुतिन की मुलाकात को यूक्रेन समर्थक देश बेचैनी से देख रहे हैं. दरअस रूस, उत्तर कोरिया से हथियार खरीदना चाहता है जिनका इस्तेमाल वो सीधे यूक्रेन के खिलाफ करेगा. हालांकि अमेरिका पहले ही उसे चेतावनी दे चुका है कि उत्तर कोरिया ने अगर रूस को हथियार बेचे तो अंजाम बुरा होगा. ऐसे में युद्ध के दौरान किम जोंग का पुतिन से मिलना अमेरिका ही नहीं पश्चिमी देशों के लिए भी खतरे की घंटी है. दरअसल रूस प्रतिबंधों के बावजूद यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई जारी रखे हुए है. लेकिन अब स्थिति बदल रही है.

रूस-उत्तर कोरिया की जुगलबंदी

जिस देश के नाम से अमेरिका  (US) परेशान हो जाता है. जिसका नाम सुनकर दुनिया को परमाणु युद्ध खतरा महसूस होने लगता है. वो अब पुतिन का मददगार बन रहा है. रूस के पास गोला बारूद कम हो रहा है. उसके पास हथियारों की कमी है. ऐसे में उनकी मदद के लिए सामने आया है, दुनिया का नंबर 1 दुश्मन माने जाने वाला उत्तर कोरिया, जिसने रूस को सामरिक मदद का भरोसा दिया है, शायद इसी वजह से किम जोंग उन, रूस पहुंचे हैं.

fallback

क्या ये मुलाकात तीसरे विश्व युद्ध की आहट?

रूस और उत्तर कोरिया दोनों पर ही दूसरे देशों के लिए परेशानी की वजह बनने का आरोप लगता रहा है. दोनों पर सख्त अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लागू हैं. दोनों देशों की सरकारें अमेरिका की मुखर आलोचक और धुर विरोधी रही हैं. अक्सर ये देखा गया है कि किसी साझे दुश्मन की वजह से दो नेता एक दूसरे के करीब आ जाते हैं. दोनों नेताओं की नजदीकी में भले ही कोई सकारात्मक वजह न हो लेकिन 2023 में दुनिया में जो आज के हालात हैं, उससे दोनों करीब आए हैं. यही वजह है कि पुतिन और किम के इस 'भाईचारे' पर कई सवाल उठ रहे हैं.

रूस को हथियारों की सप्लाई करेगा उत्तर कोरिया?

किम जोंग उन के रूस जाने के क्या मायने हैं? दोनों देशों के बीच दोस्ती कितनी गहरी है? ऐसे सवालों का जवाब देने से पहले आपको बताते चलें कि साल 2019 के बाद ये दूसरी बार है जब किम जोंग, पुतिन से मुलाकात कर रहे हैं. रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से रूस और पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक संबंध लगभग खत्म हो गए हैं. भारत, UAE, सऊदी अरब और चीन जैसे देश, रूस से कच्चा तेल खरीदकर, व्यापारिक मदद तो कर रहे हैं, लेकिन ये देश रूस को सामरिक मदद नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में माना ये जा रहा है कि उत्तर कोरिया, रूस को हथियारों की सप्लाई देकर, उसे सैन्य मदद देगा.

fallback

यूक्रेन युद्ध में किम की एंट्री!

किम जोंग पहले से ही अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए सिरदर्द है. अब यूक्रेन युद्ध में उसकी एंट्री से उनकी मुसीबतें बढ़ने वाली हैं. आपको ये जानकारी हैरानी होगी कि किम जोंग करीब 4 साल बाद विदेश यात्रा पर निकले हैं. कोविड महामारी के बाद पहली बार वो किसी विदेश यात्रा पर गए हैं. सामान्य लोग, विदेश जाने के लिए अक्सर हवाई यात्रा करते हैं. लेकिन वो अपनी ज्यादातर विदेश यात्राएं ट्रेन से करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें हवाई यात्रा के दौरान हमले का डर ज्यादा है. अब सवाल ये है कि उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति ट्रेन यात्रा पर ही भरोसा क्यों करते हैं तो इसकी वजह है उनकी ये खास ट्रेन

किम की खास सवारी-
किम जोंग की इस ट्रेन का नाम है 'ताईयांघो' है, कोरियाई भाषा में सूर्य को 'ताईयांघो' कहते हैं
इसे उत्तर कोरिया के संस्थापक किम इल संग से भी जोड़ा जाता है.
इस ट्रेन में बड़ी संख्या में उत्तर कोरिया की सेना के जवान मौजूद रहते हैं.
ये लग्जरी ट्रेन पूरी तरह से बुलेटप्रूफ होती है, इसमें बम धमाके सहने की भी क्षमता होती है.
ट्रेन में हमला करने वालों पर जवाबी हमला करने की भी क्षमता है, इसमें कई तरह के हथियार भी होते हैं.
इसमें कई बुलेटप्रूफ गाड़ियां भी रखी जाती हैं.
इस ट्रेन में कॉन्फ्रेंस रूम, विजिटर रूम और बेडरूम भी है.
इन कमरों में सैटेलाइल फोन की भी सुविधा है.

किम जोंग ऐसे वक्त में रूस गए हैं, जब पुतिन को एक साथी की जरूरत थी, जो उन्हें यूक्रेन युद्ध में उन्हें सीधे-सीधे सामरिक मदद तो दे साथ ही पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से भी ना डरे. उत्तर कोरिया पर पहले से ही, कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं, इसलिए उसके पास खोने के लिए कुछ नहीं है. अब रही बात उनकी जरूरतों की तो रूस उसकी हर तरह की जरूरत पूरी कर सकता है. यही बात उत्तर कोरिया और रूस को करीब ला रही है और यही बात यूक्रेन, अमेरिका और यूरोप को परेशान कर रही है. ऐसे में कई लोगों को ये नजदीकी किसी परमाणु युद्ध का कारण बनने की संभावना लग रही है.

Trending news