Blood Money: कर्नाटक का एक युवा सऊदी अरब में फंसा हुआ है. 28 साल के मोहम्मद खालिद को एक सड़क दुर्घटना के मामले में दोषी पाए जाने के बाद 7.6 लाख रुपये का जुर्माना न चुका पाने के एवज में बंधक बनाया गया है.
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Karnataka News: विदेश में नौकरी करने का ख्याल बहुत से लोगों को रोमांच से भर देता है. यूं तो क्वालिफाइड और हुनरमंद लोगों को कहीं भी काम की कमी नहीं होती. लेकिन बेहतर भविष्य की चाहत में बहुत से युवा विदेश में नौकरी करना पसंद करते हैं. इसके अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कम समय में ज्यादा कमाई के लालच में देश छोड़कर परदेश चले जाते हैं. डॉलर और पाउंड से लेकर दिरहम में कमाई की चाहत कई बार युवाओं को ऐसी मुश्किल में फंसा देती है जिसकी कभी उन्होंने कल्पना भी नहीं की होती है. यहीं हुआ है कर्नाटक के मोहम्मद खालिद के साथ जो सऊदी में गाड़ी चलाता था. एक एक्सीडेंट के बाद उस पर वहां के कानून के हिसाब से तगड़ा जुर्माना लगा और वो वहीं फंस गया है.
भारत सरकार से लगाई गुहार
सऊदी अरब में ब्लड मनी जैसा नया मामला सामने आया है. जिसके चलते अपने कर्नाटक का खालिद वहां फंसा हुआ है. हाल ही में केरल के मूल निवासी रहीम की वतन वापसी का इंतजाम चंदा जुटाकर यानी क्राउड फंडिग की वजह से संभव हुआ था. अब्दुल रहीम को सऊदी अरब की एक अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई थी. 'ब्लड मनी' के बदले उनकी जान बचाई जा सकती थी. जब उसके परिजनों ने पैसों का इंतजाम कर लिया तो ये खबर आग की तरह फैली उसके बाद अब खालिद को भी अपने साथ किसी चमत्कार होने की उम्मीद जग गई है.
आपको बताते चलें कि केरल के लोगों ने सऊदी अरब की जेल में बंद शख्स की जान बचाने के लिए 34 करोड़ से अधिका की राशि जमा की है. यह रकम जमा करने पर कोझिकोड निवासी व्यक्ति की रिहाई हो सकेगी. सऊदी रिवाज के मुताबिक किसी घटनाक्रम में 'ब्लड मनी' का मतलब सजा से बचने के लिए पीड़ित के परिवार को धन का भुगतान करना होता है.
उस दिन क्या हुआ था?
रहीम की देखादेखी खालिद ने भी सरकार और लोगों से मदद की गुहार लगाई है. उसने सभी से 7 लाख 60 हजार रुपये का इंतजाम कराने की गुजारिश की है, ताकि वो भी भारत लौट सके. 28 साल के खालिद को एक सड़क दुर्घटना के मामले में दोषी पाए जाने के बाद 7.6 लाख रुपये का जुर्माना चुकाना था. इस रकम को न चुका पाने की वजह से वो सऊदी में फंसा हुआ है.
रंग ला रही है कोशिशें
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक खालिद करीब आठ साल पहले वर्क वीजा पर जेद्दा से 830 किमी दूर सऊदी अरब के तायमा गांव गया था. खालिद के माता-पिता कर्नाटक के बेलनी गांव में रहते हैं. उन्होंने अपने बेटे को कैद से बाहर निकलने के लिए एक बार फिर से सरकारी अधिकारियों, दोस्तों और दानदाताओं से आर्थिक मदद की अपील की है. खालिद वहां गाड़ी चलाता था. एक दिन उसकी कार सऊदी अरब के किसी नागरिक की गाड़ी से टकरा गई. खालिद को दोषी पाया गया तो उस पर जुर्माना लगा.
ड्राइवर की नौकरी से हाथ धोने के बाद अब वो मजबूरी में मजदूरी कर रहा है. उसकी रिहाई के लिए कुछ लोगों ने उसे छुड़ाने के लिए मदद मांगने के लिए एक सोशल-मीडिया कैंपेन शुरू किया है. उनकी कोशिशों को थोड़ी बहुत कामयाबी मिली है. खालिद की मां तसलीमा बानो, ने भी भारत सरकार से अपने बेटे को छुड़ाने के लिए अपील की है.