Israel Hamas war: इजरायल-हमास युद्ध का छमाही DNA टेस्ट, जंग अब भी जारी..
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Israel Hamas war: इजरायल-हमास युद्ध का छमाही DNA टेस्ट, जंग अब भी जारी..

Israel Hamas war: युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता, युद्ध में नुकसान, लड़ने वाले दोनों देशों को उठाना पड़ता है. और यही इजरायल-हमास के बीच छह महीने से जारी युद्ध में हो रहा है. 7 अक्टूबर 2023 यानी आज से ठीक 6 महीने पहले इजरायल में हमास ने हमला किया था, इस आतंकी हमले में इजरायल के 1200 लोग मारे गए थे.

Israel Hamas war: इजरायल-हमास युद्ध का छमाही DNA टेस्ट, जंग अब भी जारी..

Israel Hamas war: युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता, युद्ध में नुकसान, लड़ने वाले दोनों देशों को उठाना पड़ता है. और यही इजरायल-हमास के बीच छह महीने से जारी युद्ध में हो रहा है. 7 अक्टूबर 2023 यानी आज से ठीक 6 महीने पहले इजरायल में हमास ने हमला किया था, इस आतंकी हमले में इजरायल के 1200 लोग मारे गए थे.

जंग के दो मकसद

इजरायल के 250 लोगों को हमास के आतंकी बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे, उसी दिन इजरायल के प्रधानमंत्री Benjamin Netanyahu ने हमास के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया था. उस समय नेतन्याहू ने इस जंग के दो मकसद बताये थे. पहला हमास की कैद से सभी बंधकों को रिहा कराना. दूसरा आतंकी संगठन हमास को जड़ से खत्म करना.

133 बंधक अभी भी हमास की कैद में

इजरायल-हमास युद्ध के छह महीने बाद भी इजरायल के दोनों ही मकसद पूरे नहीं हो सके हैं. इजरायल डिफेंस फोर्स के मुताबिक 133 बंधक अभी भी हमास की कैद में हैं. और गाजा में अभी हमास के आतंकी मौजूद हैं. जबकि इस युद्ध को इजरायल आज भी पूरी ताकत के साथ लड़ रहा है. हमास के खिलाफ इजरायल की जंग कितनी भयानक रही है, इसका अंदाजा गाजा की तस्वीरों को देखकर लगता है.

गाजा के नुकसान का हिसाब नहीं

बड़ी संख्या में गाजा में घर, व्यवसायिक इमारतें, अस्पताल, स्कूल तबाह हो गए हैं. खाने और पानी का गाजा में संकट गहरा चुका है. गाजा में लोग भूखे मरने को मजबूर हैं, जब कभी राहत सामग्री लेकर ट्रक पहुंचते हैं तो खाद्य सामग्री लूटने की होड़ लग जाती है. उत्तरी गाजा में तो स्थिति ज्यादा भयावह है. World Bank और United Nations की रिपोर्ट के मुताबिक, युद्ध के शुरूआती 4 महीने में ही

- गाजा को 18.4 बिलियन डॉलर यानी करीब 1532 अरब रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका था.
- गाजा को हुआ ये आर्थिक नुकसान, वेस्ट बैंक और गाजा की GDP के 97 फीसदी के बराबर है
- इजरायल की छह महीने की बमबारी में गाजा के 62 फीसदी यानी करीब 2 लाख 90 हज़ार घर पूरी तरह तबाह हो गए. इस नुकसान से गाजा के करीब 10 लाख लोग बेघर हो चुके हैं.
- गाजा के 84 फीसदी अस्पताल और स्वास्थ केंद्र पूरी तरह तबाह हो गये, या फिर उन्हें भारी नुकसान पहुंचा है.
- युद्ध के छह महीने बाद गाजा की बड़ी आबादी बिजली, पानी और खाद्य संकट का सामना कर रही है.

खान युनिस से इजरायल अपनी सेना हटाएगा

युद्ध के छह महीने पूरे होने के बाद रविवार को इजरायल की तरफ से ऐलान किया गया, कि साउथ गाजा के खान युनिस से इजरायल अपनी सेना हटाएगा. क्योंकि, इस क्षेत्र से आतंकियों का खात्मा कर दिया गया है. लेकिन अब इजरायल गाजा के राफा में Ground Operation शुरू करेगा. क्योंकि, अबतक इस क्षेत्र में इजरायल सिर्फ हवाई हमलों को अंजाम दे रहा था लेकिन अब आतंकियों के खात्मे के लिए जमीनी कार्रवाई की जायेगी.

नुकसान दोनों तरफ से

राफा में इस समय 15 लाख लोग रह रहे हैं, इनमें से ज्यादातर वो लोग हैं जो इजरायल की सैन्य कार्रवाई के बाद यहां विस्थापित हुए थे. इजरायल डिफेंस फोर्सेस का मानना है कि इस क्षेत्र में हमास की 4 बटालियन मौजूद हैं, जिन्हें खोजकर खत्म किया जाना है. इसके लिए पहले राफा को खाली कराया जायेगा और इसके बाद जमीनी कार्रवाई होगी. अबतक की जंग में नुकसान दोनों तरफ से हुआ है, इजरायल डिफेंस फोर्सेस के मुताबिक..

- छह महीनों में इजरायल पर 12 हज़ार से ज्यादा रॉकेट हमले किये गये. इनमें 9 हज़ार रॉकेट हमले गाजा की तरफ से जबकि 3 हज़ार रॉकेट हमले लेबनान की तरफ से किये गये.

- हमास आतंकियों ने 250 लोगों को बंधक बनाया था, जिनमें से कुछ की मौत हो चुकी है जबकि 133 लोग अब भी हमास की कैद में हैं.

- इजरायल का दावा है कि इन छह महीनों में उनकी फोर्स ने गाजा में 32 हज़ार से ज्यादा आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया.

- Gaza Health Ministry के आंकड़ों के मुताबिक इजरायल के हमलों में 6 महीने में 33,175 लोगों की मौत हुई है.

- जबकि इजरायल का दावा है कि उसने हमास के 12 हज़ार आतंकियों को मार गिराया, इनमें 5 ब्रिगेड कमांडर और 20 बटालियन कमांडर भी शामिल हैं.

- United Nations के मुताबिक, मरने वालों में 170 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र कर्मचारी और सात वर्ल्ड सेंट्रल किचन के कर्मचारी भी शामिल हैं

- पत्रकारों के लिए काम करने वाली संस्था की मानें तो छह महीने में 90 से ज्यादा पत्रकारों ने भी अपनी जान गंवा दी

- इन्हीं छह महीनों में अबतक 600 से ज्यादा इजरायली सैनिक भी मारे गए हैं.

- हमास के खिलाफ जंग में जरूरत के मुताबिक, इजरायल को 3 लाख से ज्यादा रिजर्व सैनिकों को बुलाना पड़ा.

आतंकियों को टारगेट करके हमले किये..

इजरायल की तरफ से हमेशा यही कहा गया, कि उन्होंने आतंकियों को टारगेट करके हमले किये. लेकिन आरोप लगे कि इजरायल के हमलों में ज्यादा मौतें महिलाओं और बच्चों की हुई है. इजरायल अपने नागरिकों की मौत का बदला तो ले रहा है, लेकिन क्या इससे इजरायल की तस्वीर बदली है. क्या 7 अक्टूबर का खौफ इजरायल के लोगों के जेहन में कम हुआ है.

छह महीनों में कितना कुछ बदला है

दरअसल, आज से ठीक छह महीने पहले इजरायल पर हमास ने हमला किया था, तब सबसे पहले आपको Zee News ने इजरायल से ग्राउंड रिपोर्ट दिखाई थी, और अब छह महीने बाद एक बार फिर Zee News की टीम इजरायल पहुंची है. इन छह महीनों में कितना कुछ बदला है और अब इजरायल के उन इलाकों के हालात क्या हैं, जहां हमास आतंकियों ने हमला किया था.

गाजा खंडहर में तब्दील

इजरायल ने अपने 1200 नागरिकों की हत्या का बदला गाजा को खंडहर में तब्दील करके लिया, और बदला अभी जारी है.. लेकिन हमास ने इजरायल को जो ज़ख्म दिये थे, उसके निशान 6 महीने बाद भी मिटे नहीं हैं. हमले का खौफ़ अभी ज़िंदा है. 7 अक्टूबर को हमास के हमले की ख़बर के बाद सबसे पहले इजरायल पहुंचने वाला Zee News पहला भारतीय चैनल था, Zee News ने आपको ग्राउंड जीरो से इजरायल-हमास युद्ध की हर अपडेट दी.

खंडहर हो चुके घर पर गोलियों के निशान

लेकिन हमास के हमले के 6 महीने बाद इजरायल में क्या कुछ बदला है, इसे जानने समझने के लिए Zee News की टीम एक बार फिर ग्राउंड जीरो पर इजरायल पहुंची है. हमास ने इजरायल के जिन इलाकों पर हमला किया था, उनमें किबूत्ज़ बेरी भी शामिल था. यहां के इस घर पर हमास आतंकियों ने हमला किया था, खंडहर हो चुके घर पर गोलियों के निशान अब भी साफ-साफ देखे जा सकते हैं. 7 अक्टूबर 2023 तक इस घर में विवियाना नाम की महिला रहती थी, हमले के वक्त जिसकी हमास आतंकियों ने हत्या कर दी थी. लेकिन तबाही के निशान यहां अब भी बाकी हैं.

अब सन्नाटा पसरा हुआ है..

किबूत्ज़ बेरी गाजा बॉर्डर से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है, इस वजह से हमास आतंकी यहां तक पहुंचने में कामयाब रहे और हमला करके भाग गए थे. लेकिन 6 महीने बाद इस इलाके में अब सन्नाटा पसरा हुआ है. जबकि पहले किबूत्ज़ बेरी में करीब 1200 लोग रहते थे, लेकिन आतंकियों ने 100 लोगों की हत्या कर दी और 30 लोगों को बंधक बनाकर अपना साथ ले गए.

7 अक्टूबर की घटना का खौफ

कई बार की कोशिशों के बाद किबूत्ज़ बेरी के 19 लोगों को ही रिहा कराया जा सका, यहां के 11 लोग अभी भी हमास आतंकियों की कैद में बंधक हैं. 7 अक्टूबर की घटना का खौफ लोगों के जेहन में अब भी जिंदा है, छह महीने बीतने के बाद भी किबूत्ज़ बेरी में सिर्फ 70 लोग ही अपने घरों में वापस लौटे हैं.

इजरायल के लोगों में नाराजगी

इजरायल ने अपने लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए गाजा में जबरदस्त हमले किये, ग्राउंड ऑपरेशन चलाया. लेकिन छह महीने बाद भी सभी बंधकों की रिहाई ना होने की वजह से इजरायल के लोगों में नाराजगी है. इजरायल के लोगों में नाराजगी है, वो इस जंग के लंबा खिंचने से भी नाराज है. यहां सवाल ये कि छह महीने में गाजा तो तबाह हो गया, लेकिन इजरायल को हासिल क्या हुआ ? जाहिर है, अभी तक इजरायल का बदला पूरा नहीं हुआ है.

नेतन्याहू ने दो मकसद गिनाए थे

इजरायल छह महीने बाद भी गाजा में हमले कर रहा है, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने जो दो मकसद गिनाए थे. उन्हें पूरा करने में इजरायल को कामयाबी नहीं मिल रही. लेकिन लंबी खिंचती इस जंग ने इजरायल और नेतन्याहू को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नुकसान जरूर पहुंचाया है.

- वर्ल्ड सेंट्रल किचन के 6 सहायता कर्मियों की मौत के बाद इजरायल को झुकना पड़ा
- इजरायल में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, इससे नेतन्याहू पर दबाव बढ़ रहा है
- नेतन्याहू को हटाने के लिए समय से पहले चुनाव कराने की मांग उठ रही है
- हमास के खिलाफ युद्ध लंबा खींचने से अब अमेरिका भी इजरायल से नाराज है

इजरायल में बड़े स्तर पर प्रदर्शन

इजरायल में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे हैं, रविवार को प्रदर्शनकारियों को एक कार ने कुचल भी दिया था. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि छह महीने बीतने के बाद भी सभी बंधकों को रिहा नहीं कराया जा सका है. जबकि नेतन्याहू ने वादा किया था कि बंधकों को रिहा कराना उनकी प्राथमिकता में है.

प्रदर्शनकारियों का आरोप

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू अपने राजनीतिक लाभ के लिए हमास के खिलाफ जंग को आगे बढ़ा रहे हैं, वो आम लोगों की फिक्र नहीं कर रहे बल्कि अपने राजनीतिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं. जबकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने साफ कर दिया है कि जबतक बिना शर्त हमास बंधकों को रिहा नहीं करेगा तब तक युद्ध जारी रहेगा. यानी निकट भविष्य में युद्ध खत्म होने की संभावना ना के बराबर है.

नेतन्याहू की जिद

नेतन्याहू की इसी जिद को लेकर इजरायल में प्रदर्शनकारी जल्द चुनाव की मांग भी कर रहे हैं, जिनका मानना है कि जितना जल्द चुनाव होंगे, उतनी ही जल्दी देश में परिस्थिति बदलेंगी. युद्ध के शुरुआत में अमेरिका खुलकर इजरायल के साथ खड़ा था, लेकिन अब दूरिया दिखने लगी हैं. अमेरिका इनदिनों इजरायल से नाराज चल रहा है, बीते दिनों संयुक्त राष्ट्र में Ceasefire को लेकर प्रस्ताव लाया गया था, जिसपर अमेरिका ने वीटो नहीं लगाया. इससे इजरायल नाराज भी हो गया था.

बदल गए अमेरिका के बोल

पिछले महीने ही बाइडेन ने कहा था कि नेतन्याहू इजरायल की मदद के बजाय उसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं. बाइडेन का मानना था कि नेतन्याहू को इजरायल की रक्षा करने का अधिकार है, उन्हें हमास को खत्म करने का अधिकार भी है. लेकिन इजरायल को फिलिस्तीन में मारे जा रहे बेगुनाहों की मौत पर भी ध्यान देना चाहिए. यहां तक की बाइडेन ने रेड लाइन का जिक्र भी किया था.

दीर ​​अल-बलाह शहर में भयंकर हमला

कुछ दिन पहले इजरायली सेना ने गाजा के दीर ​​अल-बलाह शहर में भयंकर हमला किया था, इस हमले में World Central Kitchen चैरिटी के सात अंतरराष्ट्रीय सहायता कर्मियों की दर्दनाक मौत हो गई थी. मरने वालों में ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड के नागरिक शामिल थे. World Central Kitchen एक अमेरिकी NGO है, जो गाजा में जरूरतमंद लोगों के लिए खाद्य सामग्री बांटता है. NGO पिछले 6 महीने में 42 मिलियन से ज्यादा खाना गाजा के लोगों को परोस चुका है. इस NGO के 7 सहायताकर्मी इजरायल के हमले में मारे गए थे.

इजरायल पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा

इस हमले को लेकर इजरायल पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा, हमले को लेकर जांच शुरू हुई. जांच रिपोर्ट आने पर इजरायल को पहली बार माफी मांगनी पड़ी थी. ऐसा पहली बार हुआ था जब इजरायल चौतरफा अंतरराष्ट्रीय दबाव के आगे झुका, वरना इससे पहले कई बेकसूरों की मौत के बाद भी इजरायल अपनी गलती नहीं मानता था. ऐसे में इजरायल को युद्ध में भले ही उतना आर्थिक नुकसान नहीं हो रहा हो, जितना गाजा को हुआ है. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इजरायल और नेतन्याहू की छवि प्रभावित हो रही है. अपने ही देश में नेतन्याहू को दबाव का सामना करना पड़ रहा है.

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