भारतीय मूल की डॉक्टर गिल को ₹2 करोड़ रुपये की जरूरत, अब X करेगा मदद, जानिए पूरा मामला
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भारतीय मूल की डॉक्टर गिल को ₹2 करोड़ रुपये की जरूरत, अब X करेगा मदद, जानिए पूरा मामला

Twitter : एलोन मस्क के एक्स ( 'X' ) ने कोरोना कानूनी विवादों में फंसी कनाडाई डॉक्टर को अपना समर्थन देने की बात कही है, बताया जा रहा है, कि कानूनी फीस का भुगतान लगभग ₹2 करोड़ रुपये है.

Elon Musk

Dr Kulwinder Kaur Gill : जब दुनिया कोरोना वायरस महामारी के कारण रुक गई थी तब भारतीय मूल की डॉक्टर कुलविंदर कौर गिल ने सरकार के लॉकडाउन और टीकाकरण के खिलाफ बात की थी. जिसके बाद उनके विचारों के लिए लोगों ने उनकी आलोचना की, तब से वह विवादों में हैं. ऐसे में अब एलोन मस्क के 'एक्स' ने कोरोनो कानूनी विवादों में फंसी कनाडाई डॉक्टर को अपना समर्थन देने की बात कही है. बताया जा रहा है, कि कानूनी फीस का भुगतान लगभग ₹2 करोड़ है.

डॉ. गिल के खिलाफ एक पूर्व-परीक्षण प्रक्रियात्मक फैसले के वजह से अक्टूबर 2022 में $1.2 मिलियन तक का लागत आदेश दिया गया था. इस निर्णय और लागत आदेश के खिलाफ अपील की गई, जिसके परिणामस्वरूप इस साल फरवरी में लगभग $300K का लागत आदेश आया. गिल का कहना है, कि कनाडाई और ओंटारियो कोविड उपायों का विरोध करने के बाद उन्हें परेशानी और सेंसरशिप का सामना करना पड़ा.

क्या है मामला 

 

कनाडा में इम्यूनोलॉजी और बाल चिकित्सा में विशेषज्ञता वाली चिकित्सक डॉ. गिल अब अपने कोविड-संबंधी ट्वीट्स के वजह से कानूनी लड़ाई में फंस गई हैं. बताया जा रहा है, कि कानूनी फीस में 300,000 CAD (1,83,75,078 रुपये) की कठिन चुनौती का सामना करते हुए, उसे एक्स से समर्थन मिला है. जिसने उसके खर्चों को कवर करने का वादा किया है, क्योंकि उसने कनाडा और ओंटारियो सरकारों के सीओवीआईडी ​​​​लॉकडाउन प्रयासों और टीकाकरण के विरोध में ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से बात की थी.

 

गिल कनाडा में लीड डॉक्टर

 

डॉ. कुलविंदर कौर गिल कनाडा के ओंटारियो में एक लीड डॉक्टर हैं, जो सभी  निर्णय लेने में किसी भी प्रकार के दबाव या रोक के बिना पूरी तरह से फैसला ले सकती हैं. बता दें, कि 2020 की गर्मियों में डॉ. गिल पहले कनाडाई डॉक्टरों में से एक थी, जिन्होंने लॉकडाउन के विनाशकारी नुकसान के बारे में सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से बहादुरी से बात की थी. जिसके बाद से वह निशाना बन गई.

 

न्यायाधीश ने क्या कहा 

एक न्यायाधीश ने एसएलएपीपी (सार्वजनिक भागीदारी के खिलाफ रणनीतिक मुकदमा) विरोधी कानून का हवाला देते हुए मुकदमा खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि डॉ. गिल का इरादा सार्वजनिक मंच पर अपने आलोचकों के भाषण को दबाना था. डॉ गिल को कानूनी खर्चों को कवर करने का निर्देश दिया गया था.

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