क्यों चिता की राख से खेली जाती है मसान की होली?

अलग अलग तरीके की होली

होली का त्योहार रंगों और खुशियों का त्योहार है. देशभर में अलग-अलग तरीकों से होली मनाई जाती है.

चिता की राख से होली

वाराणसी में होली का एक अनोखा रूप देखने को मिलता है, जिसे मसान की होली कहा जाता है. मसान की होली में लोग चिता की राख से होली खेलते हैं.

21 मार्च को खेली जाएगी

ये होली 2 दिनों तक खेली जाती है. इस बार ये मसान की होली 21 मार्च को खेली जाएगी.

मसान की होली क्यों मनाई जाती है?

मसान की होली की परंपरा कई सदियों पुरानी है. कहा जाता है कि भगवान शिव मां पार्वती को विवाह के बाद काशी लाए थे.

चिते की राख

मां पार्वती के आगमन की खुशी में चिता की राख से होली खेली थी. तभी से इस दिन को यादगार बनाने के लिए मसान की होली खेली जाती है.

मृत्यु पर विजय का प्रतीक

मसान की होली को मृत्यु पर विजय का प्रतीक माना जाता है. हिंदू धर्म में चिता की राख को मृत्यु से जोड़ा जाता है.

मान्यता

ऐसी मान्यता है कि मसान की होली खेलकर लोग मृत्यु के भय पर विजय प्राप्त करते हैं.

मसान की होली कैसे खेली जाती है?

मसान की होली दो दिनों तक मनाई जाती है. पहले दिन लोग चिता की राख इकट्ठा करते हैं और दूसरे दिन होली खेलते हैं.

वाराणसी का मणिकर्णिका घाट

होली के दिन लोग मणिकर्णिका घाट पर इकट्ठा होते हैं और चिता की राख से होली खेलते हैं. लोग ढोल-नगाड़ों की धुन पर नाचते-गाते हैं और एक-दूसरे को चिता की राख लगाते हैं.

(Disclaimer. यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारियों पर आधारित है. Zee news इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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