BJP: 35 साल में 300 पार

2 से 300 पार की गूंज

BJP ने कुछ दिन पहले अपनी 44वीं वर्षगांठ मनाई थी. 6 अप्रैल 1980 को जब ये पौधा रोपा गया था, तो लगा नहीं था कि ये अपने शुरूआती स्वरूप जनसंघ से भी कई गुना विराट वट वृक्ष बन जाएगा. 2 सांसदों से लेकर दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने के सफर में कौन-कौन से मोड़ आए, आइए बताते हैं.

35 साल बा-कमाल

BJP ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपने लिए 370 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. वहीं NDA के लिए 400 पार का नारा गढ़ा गया है.

300 पार

1984 से 2019 के आम चुनावों तक अपने 35 साले के सफर में बीजेपी 300 लोकसभा सीटों का आंकड़ा पार करने में सफल रही है.

टॉप स्कोर @2019

पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 के आम चुनावों में BJP ने 303 सीटें जीती थीं.

विरोधियों का सूपड़ा साफ

बहुमत की बात करें तो सन 1984 के बाद BJP ही ऐसी पार्टी है, जिसने दो बार अकेले दम पर जरूरी 272 का आंकड़ा पार किया है.

2014 में 'चमत्कार'

2014 में BJP ने 282 सीटें जीती थीं. तब किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि नरेंद्र मोदी पर देश की जनता इतना भरोसा करेगी कि अपने दम पर बहुमत प्रदान कर देगी.

बीजेपी की जड़ें कहां से जुड़ती हैं?

बीजेपी की जड़ें संघ से जुड़ती हैं. 1925 में शुरू हुए RSS ने 1950 तक कई बड़े संगठन खड़े कर दिए थे, लेकिन राजनीतिक पार्टी को लेकर RSS में आम सहमति नहीं थी. हिंदू महासभा से वीर सावरकर जुड़े थे, उनसे नाथूराम गोडसे के रिश्तों को लेकर उन पर गांधी की हत्या का केस चला. RSS को BAN किया गया. बाद में सावरकर बरी हो गए और संघ पर से भी BAN हटा.

सबसे बड़ी पार्टी

इस दौरान RSS को पुलिस और खुफियां एजेंसियों ने इतना परेशान किया कि उन्हें लगा राजनीतिक पार्टी हो ना हो, लेकिन ऐसा संगठन राजनीति में होना जरूरी है, जो RSS के प्रति मित्रभाव रखता हो. आगे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने गांधी की हत्या के बाद हिंदू महासभा से इस्तीफा दिया तो RSS के सहयोग से 21 अक्तूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई. आजादी के बाद पहले चुनाव में जनसंघ को 3 सीटें मिली थीं. जनसंघ का चुनाव चिन्ह दीपक था.

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