Twitter की बोलती 'बंद' होने के कयासों के बीच चहक रही स्वदेशी Koo! इतने बढ़े फॉलोअर्स
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Twitter की बोलती 'बंद' होने के कयासों के बीच चहक रही स्वदेशी Koo! इतने बढ़े फॉलोअर्स

Koo App के फीचर्स ट्विटर जैसे ही हैं लेकिन यह प्राइवेसी के लिहाज से बेहतर है क्योंकि यह कॉल रजिस्टर का एक्सेस नहीं मांगता. जबकि ट्विटर ऐप कॉल रजिस्टर का ऐक्सेस भी मांगता है और यूजर्स का डेटा भी रजिस्टर करता है.

फाइल फोटो.

नई दिल्ली: 'टूलकिट' के मुद्दे पर भारत सरकार और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर (Twitter) के बीच जारी तनातनी का फायदा स्वदेसी माइक्रोब्लॉगिंग साइट Koo मिलता दिख रहा है. ट्विटर के ऑफिस पर छापा पड़ते ही प्रतिद्वंदी मोबाइल ऐप Koo को डाउनलोड करने लगे भारतीय. Koo ऐप को अब तक 60 लाख से ज्यादा लोगों ने डाउनलोड किया है. 

ट्विटर से क्यों बेहतर है Koo

Koo App के फीचर्स ट्विटर जैसे ही हैं लेकिन यह प्राइवेसी के लिहाज से बेहतर है क्योंकि यह कॉल रजिस्टर का एक्सेस नहीं मांगता. जबकि ट्विटर ऐप कॉल रजिस्टर का ऐक्सेस भी मांगता है और यूजर्स का डेटा भी रजिस्टर करता है. Koo App ट्विटर के लिए बड़ा खतरा है क्योंकि अगर स्वदेशी ऐप पर लोग चले जाते हैं तो उसका सीधा-सीधा नुकसान ट्विटर को होगा. 

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Koo को मिली भारी भरकम फंडिंग

इस बीच जानकारी मिली है कि Koo ऐप को 30 मिलियन डॉलर यानी कि 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की भारी-भरकम फंडिंग भी मिली है. यह फंडिंग यूएस की इन्वेस्टमेंट फर्म टाइगर ग्लोबल द्वारा की गई है. बता दें कि टाइगर ग्लोबल के अलावा कू ऐप में Accel Partners, Kalaari Capital, Blume Ventures और Dream Incubator जैसी इन्वेस्टमेंट फर्म भी निवेश कर चुकी हैं. इनके अलावा कई और इन्वेस्टमेंट फर्म के साथ भी कंपनी की बात चल रही है. 

जानिए क्यों है ये अहम

हाल के समय में देखा गया है कि सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां मनमानी कर रही हैं. अब सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने आरोप लगाया है कि पीएम मोदी की छवि खराब करने के लिए टूलकिट का इस्तेमाल किया जा रहा है. खबरें ये भी आ रही हैं कि ट्विटर इस मामले में सरकार के साथ सहयोग नहीं कर रही है. ऐसे में एक भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग साइट को यूजर्स की संख्या बढ़ना और उसे बड़े पैमाने पर फंडिंग मिलना यकीनन ट्विटर जैसी बड़ी कंपनियों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. भारतीय बाजार की ताकत को देखते हुए सोशल मीडिया कंपनियों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकती है. 

कौन है Koo App के पीछे

बता दें कि Koo ऐप के संस्थापक अप्रमेय राधाकृष्णा और मयंक बिदवतका हैं. राधाकृष्ण ने इससे पहले ऑनलाइन कैब बुकिंग सर्विस TaxiForSure की भी शुरुआत की थी. हालांकि बाद में ओला कैब ने इसे खरीद लिया था. Koo ऐप की पेरेंट कंपनी Bombinate Technologies Pvt Ltd. है. इस ऐप की शुरुआत 2020 में हुई थी. सरकार के आत्मनिर्भर ऐप इनोवेशन चैलेंज में जीत के बाद यह ऐप चर्चा में आई. पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में भी इस ऐप की चर्चा की थी. 

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