अब ब्रेन को स्कैन कर पाएगा AI, एंग्जाइटी का लगेगा पता; स्टडी में दावा
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अब ब्रेन को स्कैन कर पाएगा AI, एंग्जाइटी का लगेगा पता; स्टडी में दावा

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल आजकल दुनियाभर की चीजों में किया जा रहा है, लेकिन ऐसा दावा है कि भविष्य में ये पता लगा सकेगा कि हमारा मूड या मानसिक स्वास्थ्य कैसा है.

अब ब्रेन को स्कैन कर पाएगा AI, एंग्जाइटी का लगेगा पता; स्टडी में दावा

AI can now analyse brain scans: आजकल एआई की काफी बात हो रही है, अब ये हमारे मेंटल हेल्थ का भी पता लगा सकता है. नेचर मेंटल हेल्थ जर्नल में एक नई स्टडी छपी है जिसमें रिसर्सचर्स ने ये दिखाया है कि आर्टिफीशियल  ब्रेन की अनूठी संरचनाओं का विश्लेषण करके एंग्जाइटी डिसऑर्डर से ग्रस्त व्यक्तियों की पहचान करने की क्षमता रखती है. मशीन लर्निंग का फायदा उठाते हुए, अध्ययन ने दुनिया भर के विभिन्न भौगोलिक स्थानों से लगभग 3,500 युवाओं (10 से 25 आयु वर्ग के) के एक समूह में कॉर्टिकल थिकनेस, सरफेस एरिया और गहरे मस्तिष्क क्षेत्रों के आयतन की जांच की.

मेंटल हेल्थ में एआई

मशीन लर्निंग, एआई का एक सबसेट, कंप्यूटर्स को स्पष्ट प्रोग्रामिंग के बिना डेटा से सीखने और सुधारने में सक्षम बनाता है. इस अध्ययन में, एमएल एल्गोरिदम को ब्रेन इमेजिंग डेटा के विशाल मात्रा के माध्यम से छानने के लिए तैनात किया गया था, जो चिंता विकारों से जुड़े सूक्ष्म पैटर्न को उजागर करता है. खास तौर से, एल्गोरिदम ने उन प्रमुख न्यूरोएनाटॉमिकल विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया जो एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले व्यक्तियों को उन लोगों से अलग करती हैं जिन्हें ये परेशानी नहीं हैं.

एंग्जाइटी का लग सकता है पता

हालांकि शुरुआती निष्कर्ष आशाजनक हैं, रिसर्चर्स एमएल एल्गोरिदम को और रिफाइन करने की जरूरत पर जोर देते हैं. वो एआई ड्रिवेन डायग्नोस्टिक टूल्स की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रकार के मस्तिष्क डेटा, जैसे कि फंक्शनल कनेक्टिविटी और न्यूरल एक्टिविटी पैटर्न को एकीकृत करने की वकालत करते हैं. इन एल्गोरिदम को ठीक करके, डॉक्टर्स  एंग्जायटी डिसऑर्डर का अधिक सटीक और व्यक्तिगत मूल्यांकन प्राप्त कर सकते हैं.

स्टडी के नोटेबल फाइंडिंग्स में से एक युवाओं की विविध आबादी में इसके परिणामों की व्यापकता है. जातीयता, भौगोलिक स्थिति और क्लीनिकल कैरेक्टरिस्टिक्स में भिन्नताओं के बावजूद, एआई मॉडल एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले व्यक्तियों की पहचान करने में लगातार प्रदर्शन करते हैं, इससे पता चलता है कि एंग्जायटी डिसऑर्डर के अंडरलाइंग न्यूरोबायोलॉजिकल मार्कर डेमोग्राफिक बाउंड्रीज को पार कर सकते हैं.

क्या है रिसर्चर्स का कहना?

पीटीआई के मुताबिक, लीड रिसर्सचर मोजी अघजानी (Moji Aghajani) ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए एआई ड्रिवेन अप्रोच की क्षमता पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा "आधारभूत मस्तिष्क आधारों की यह अधूरी समझ काफी हद तक युवाओं में मेंटल डिसऑर्डर के हमारे सरल दृष्टिकोण के कारण है, जिसमें क्लीनिकल स्टडी अक्सर आकार में बहुत छोटे होते हैं, 'औसत रोगी' पर बहुत अधिक ध्यान देने के बजाय व्यक्ति पर ध्यान दिया जाता है," 

एआई ला सकता है क्रांति

एंग्जायटी डिसऑर्डर वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करते हैं और इसके दूरगामी सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हैं. फिर भी, अंडरलाइंग न्यूरल मेकेनिज्म के बारे में हमारी समझ अधूरी है. हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और न्यूरोसाइंस के मिलने से मेंटल हेल्थ रिसर्स में नए युग की शुरुआत हो सकती है, इसमें डेटा ड्रिवेन और पर्सनलाइड्स इंटरवेंशन को आंका जा सकता है.

(इनपुट-पीटीआई)

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