DNA: सरकार- किसानों में MSP पर क्यों नहीं गल रही 'दाल'? आखिर कैसे निकलेगा किसान आंदोलन का हल
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DNA: सरकार- किसानों में MSP पर क्यों नहीं गल रही 'दाल'? आखिर कैसे निकलेगा किसान आंदोलन का हल

Kisan Delhi Chalo March: किसानों के आंदोलन को आज एक सप्ताह हो गया है. इस एक सप्ताह में किसानों को चाहे कुछ मिला हो न हो, लेकिन आम लोगों को भारी नुकसान जरूर हो रहा है. ऐसे में सवाल है कि इस समस्या का हल कैसे निकल पाएगा.

 

DNA: सरकार- किसानों में MSP पर क्यों नहीं गल रही 'दाल'? आखिर कैसे निकलेगा किसान आंदोलन का हल

DNA on Kisan Delhi Chalo March: सरकार और किसानों के बीच 4 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन MSP पर दाल नहीं गल पाई है. किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. किसानों का कहना है कि सरकार का 5 फसलों पर MSP वाला प्रस्ताव किसानों के हक में नहीं है. प्रस्ताव को खारिज करते हुए किसानों ने फिर 21 फरवरी यानि कल से दिल्ली कूच का ऐलान किया है. इसका सीधा सीधा मतलब है कि किसान आंदोलन आगे भी जारी रहेगा और आम जनता को परेशानियां उठानी पड़ेगी. 

दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

उधर किसानों के दिल्ली मार्च के आह्वान को देखते हुए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने बुधवार 21 फरवरी के लिए ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. पुलिस ने  लोगों से अपील करते हुए कहा, विशेष यातायात व्यवस्था के कारण कृपया आईपी फ्लाईओवर से ए-प्वाइंट की ओर और इसके विपरीत, आईटीओ चौक, डीडीयू मार्ग, बीएसजेड मार्ग, जेएलएन मार्ग, दोनों कैरिजवे में आईपी मार्ग से बचें. इसी तरह शांति वन क्रॉसिंग और राजघाट क्रॉसिंग पर सुबह 9.30 बजे से 11.30 बजे तक आने- जाने से बचें. 

किसान के दिल्ली कूच के ऐलान को देखते हुए हरियाणा के 7 जिलों में 13 फरवरी से लागू मोबाइल इंटरनेट पर पाबंदी 21 फरवरी  की रात 12 बजे तक आगे बढ़ा दी गई है. जिन जिलों में यह पाबंदी लागू है, उनके नाम अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा हैं. 

आखिर क्यों नहीं बन पा रही है बात?

अब सवाल है कि आखिर किसानों और सरकार के बीच दाल क्यों नहीं गल रही है. बातचीत कहां आकर अटक रही है. आखिर किसानों की मांग क्या है और सरकार क्या प्रस्ताव दे रही है. आज हम आपको इसकी पुरी ABCD सरल शब्दों में समझाते है.

सरकार ने चौथे दौर की मीटिंग में किसानों को प्रस्ताव दिया था कि 5 फसलों को सरकार MSP पर खरीदेगी....लेकिन किसान सभी 23 फसलों पर MSP की मांग कर रहे है. सरकार ने प्रस्ताव दिया था कि 5 साल MSP की गारंटी दी जाएगी. किसान संगठन चाहते हैं कि MSP पर कानून बने. सरकार ने प्रस्ताव में कहा था कि NAFED और NCCF के साथ किसान 5 वर्ष का Contract करेंगे..लेकिन किसानों ने इसे नहीं माना. इसके अलावा किसानों की मांग है कि किसानों की कर्ज माफी, और लागत से 1.5 गुना ज्यादा फसलों का दाम मिले.

क्या सभी फसलों पर एमएसपी देना संभव है?

केंद्रीय मंत्रियों ने कहा था कि अगर सरकार MSP की गारंटी देती है तो 1.5 लाख करोड़ रुपये खर्च होगा, इसको लेकर भी किसान गुणा गणित करके पहुंचे थे. किसानों ने कहा कि अगर सरकार सभी फसलों पर MSP दे तो इसमें एक लाख 75,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. अगर सरकार इतना पैसा लगा रही है तो सभी फसलों पर सरकार को MSP दे देनी चाहिए.

किसान कल फिर राजधानी दिल्लों को घेरेंगे. जिसको लेकर सिंघू बॉर्डर फिर छावनी बन गया है. किसान आंदोलन का व्यापार पर भी बहुत बुरा असर हो रहा है. किसान आंदोलन 2.0 से दिल्ली के ज्यादातर बॉर्डर पर तगड़ी बाड़बंदी है. जिससे अर्थव्यवस्था को रोजाना सैंकड़ों करोड़ का नुकसान पहुंच रहा है.
दिल्ली के सिंघू बॉर्डर के पास कुंडली और नरेला औद्योगिक क्षेत्र हैं. कुंडली में तकरीबन 1300 फैक्ट्रियां हैं. लेकिन बॉर्डर पर बाड़बंदी होने की वजह से यहां कच्चा माल ही नहीं पहुंच रहा.

उद्योगों में काम- धंधे हुए ठप

कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में नरेश मित्तल का मैन्युफैक्चरिंग का काम है, माल तैयार पड़ा है. लेकिन रास्ते बंद होने की वजह से तैयार माल जा नहीं रहा, और कच्चा माल आ नहीं पा रहा. व्यापारियों की सबसे बड़ी संस्था CAIT यानी Confederation of All India Traders के मुताबिक दिल्ली के व्यापारियों को रोजाना 100 करोड़ का नुकसान हो रहा है. जबकि उद्योग को हर दिन 55 करोड़ रुपये नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस तरह से 7 दिन के अंदर 1 हज़ार करोड़ के करीब नुकसान हो चुका है. व्यापारियों और फैक्ट्री मालिकों की मांग है, कि बॉर्डर की कम से कम एक लेन खोल दी जाये. जिससे उनके काम धंधे पूरी तरह ठप ना पड़े.

सिंघू बॉर्डर बंद होने की वजह से गाड़ियों की आवाजाही ना के बराबर है, जिससे आसपास छोटी मोटी दुकान चलाने वाले सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं. जिनकी दुकानों पर अब ताला लटका हुआ है. किसानों के आंदोलन से व्यापार पर बुरा असर पड़ा है...इस बीच किसानों ने ऐलान किया है कि वो कल दिल्ली की तरफ कूच करेंगे...जिसको देखते हुए शंभु बॉर्ड़र पर सुरक्षा व्यवस्था फिर चाकचौबंद कर दी गई है.

जान लें कहां बंधे हैं सरकार के हाथ

दिल्ली के बॉर्डर इस वक्त छावनी में तब्दील हो रखे है. चौथे दौर की बातचीत विफल होने और किसानों के दिल्ली कूच के ऐलान के बाद सुरक्षा एजेंसियों के लिए कल का दिन बहुत अहम है. किसान कह रहे हैं कि उन्हें 5 फसलों पर नहीं बल्कि सभी 23 फसलों पर MSP गारंटी वाला कानून चाहिए...लेकिन क्या ये संभव है. तो हम आपको बता दें कि भारत सरकार के लिए हर फसल पर MSP की गारंटी देना असंभव है.

अगर भारत सरकार किसानों की MSP कानून की मांग मान लेती है और सभी 23 फसलों को MSP पर खरीदती है, तो इससे भारत सरकार पर 10 लाख करोड़ रुपए का बोझ अलग से बढ़ेगा. करीब इतनी ही रकम भारत सरकार हर साल पूरे देश के Infrastructure पर खर्च करती है. यानी भारत सरकार अगर सड़कों, रेलवे, अस्पतालों और स्कूलों पर होने वाले सारे खर्च बंद कर दे. तब जाकर सरकार किसानों की हर फसल पर MSP गारंटी दे सकती है. अब हम आपको इसे और आसान भाषा में समझाते हैं.

पूरे देश का कैसे चलता है बजट

- अगर आप इसी महीने पेश हुए देश के बजट को देखें, तो आपको पता चलेगा कि इस वर्ष भारत सरकार के पूरे खर्च का बजट, लगभग 45 लाख करोड़ रुपये ही है.

- इस खर्च में सभी सरकारी कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन, पेंशन, रक्षा बजट और Infrastructure जैसी हर चीज़ शामिल है.

- तो सोचिये अगर किसी सरकार का कुल खर्च का बजट 45 लाख करोड़ रुपए है. तो क्या वो इसमें 10 लाख करोड़ रुपये सिर्फ MSP कानून को लागू करने के लिए खर्च कर सकती है?

- यही नहीं, भारत सरकार के पास ना तो इतना पैसा है कि वो हर फसल पर MSP की गारंटी दे पाए, ना ही उसके पास हर फसल को खरीदने और फिर स्टोर करने की व्यवस्था है.

सरकार ने दिया फायदेमंद सुझाव

सरकार ने 5 फसलों, अरहर, उड़द, मसूर, मक्का और कपास को MSP पर खरीदने का प्रस्ताव किसानों को दिया था. सरकार का मानना है कि अगर इन फसलों का सारा उत्पादन MSP पर खरीद लिया जाए, तो कई फायदे होंगे, मसलन पहला फायदा ये होगा, कि आयात बिल कम किया जा सकेगा. दूसरा फायदा होगा, विदेशी मुद्रा भंडार की बचत होगी. तीसरा फायदा ये होगा कि खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी. और चौथा फायदा होगा ये होगा कि खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित रखना आसान होगा.

इसे आसान शब्दों में इस तरह समझिये कि पांच फसलों के आयात पर जितना पैसा सरकार खर्च करती है, वो सारा पैसा घरेलू किसानों को मिलने लगेगा. इससे देश का पैसा देश में रहेगा और किसानों की आय में बढोतरी होगी. लेकिन किसानों ने सरकार के 5 फसलों वाले प्रस्ताव को खारिज कर दिया. जिससे बात फिर अटक गई.

हाईकोर्ट ने भी लगाई सरकार को फटकार

इस बीच आज पंजाब हरियाणा-हाईकोर्ट ने भी बोल दिया है कि हाईवे पर ट्रैक्टर और ट्रॉली का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ये मोटर vehicle act 2019 का उल्लंघन है. कोर्ट ने सवाल पूछते हुए कहा है कि किसान, अमृतसर से दिल्ली तक ट्रैक्टर ट्रॉली में भरकर कैसे जा सकते है? सरकार की MSP वाली गांरटी पर किसान No Thank You कह चुके है. अब कल यानी बुधवार को किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली कूच करेंगे . यानी एक बार फिर दिल्ली की सीमाएं सील होंगी और इसका खामियाजा भुगतेंगे वो लोग, जिनका किसान आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है.

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