Uttarakhand Forest Fire : नैनीताल में खुले में जलाया कूड़ा तो होगा बड़ा एक्‍शन, रामनगर और हल्‍द्वानी में NDRF तैनात
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Uttarakhand Forest Fire : नैनीताल में खुले में जलाया कूड़ा तो होगा बड़ा एक्‍शन, रामनगर और हल्‍द्वानी में NDRF तैनात

Uttarakhand  forest Fire : नैनीताल जिले के जंगलों में कई जगह अभी भी भीषण आग लगी हुई है. फॉरेस्ट फायर पर डीएम ने कहा कि जिले में आग बुझाने का प्रयास जारी हैं. वहीं खुले में कूड़ा जलाने पर FIR करने के निर्देश दिए गए हैं. 

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Uttarakhand  forest Fire : नैनीताल जिले के जंगलों में कई जगह अभी भी भीषण आग लगी हुई है. फॉरेस्ट फायर पर डीएम ने कहा कि जिले में आग बुझाने का प्रयास जारी हैं, हालत अभी नियंत्रण में हैं, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें फिलहाल नैनीताल जिले में ही रहेंगी. वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए DM नैनीताल नें रामनगर, और हल्द्वानी डिवीजन हेतू 50-50 PRD जवान तैनात किए गए हैं. इसके अलावा खुले में कूड़ा जलाने पर FIR करने के निर्देश दिए गए हैं. 

केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के धनपुर रेंज के जंगल मे आग विकराल रूप ले चुकी है. वनाग्नि वन विभाग के दफ्तर के चारो ओर फैल चुकी है. इसके बाद डीडीआरएफ बुलाई गई लेकिन वनाग्नि को काबू करना मुश्किल हो रहा है. कर्णप्रयाग नगर के ऊपर धनपुर रेंज के जंगल मे सुबह से आग इतनी भड़क चुकी है कि आग को काबू पाना मुश्किल हो रहा है.वन विभाग के कर्मचारी जब आग को काबू नही पाए तो प्रशासन के आदेश पर डीडीआरएफ को बुलाया गया. इसके बाद वनाग्नि पर काबू पाने के लिए वन विभाग व डीडीआरएफ द्वारा तेजी से कार्य शुरू किया गया. 

पहाड़ में चारों ओर जंगल सुलग रहें हैं, कहीं आग है, कहीं धुआं. पहाड़ के हर हिस्से को धुंध ने अपनी आगोश में ले लिया है.लगातार क्यों जल रहें हैं. पहाड़ों में हर वर्ष आग लगने की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है. इससे जहां बड़ी संख्या में पेड़ों, जीव जंतुओं और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. हाल के वर्षों में जंगल में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा हुआ है. बढ़ती आग की घटनाओं का विशेषज्ञ एक कारण पलायन को भी मानते हैं. यहां पहले कभी ग्रामीण जंगल से घास, पिरुल और लकड़ी के लिये रोजाना जंगल जाते थे और आस पास लगी आग को वहीं रोक दिया जाता था.

पहाड़ के जंगलों में पाइन यानी चीड़ के पेड़ बहुत ज्यादा हैं. ये सदाबहार पेड़ होते है. इनमें पत्तों की भी भरमार होती है. इनमें एक बार आग पकड़ ले तो फिर बुझाना मुश्किल होता है. इसके लिए जरूरत है कि इनकी जंगलों से सफाई लगातार होती रहे और यहीं काम पहले ग्रामीण करते थे. ग्रामीण जंगल से जानवरों और घरों के इस्तेमाल के लिये पिरुल लाया करते थे.लेकिन अब पलायन के कारण पहाड़ में लोगों और जानवरों की संख्या भी कम हुई है. कभी हरियाली से भरे पूरे रहने वाले पहाड़ आज सुलग रहें हैं, इन सुलगते पहाड़ों को बचाने के लिये सरकार और ग्रामीणों को साथ मिलकर काम करना होगा. तभी इस महाविनाश को रोका जा सकता है.

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