Maharashtra Politics: BJP से उद्धव ठाकरे को दूर करने के पीछे शरद पवार का हाथ? 10 साल बाद खुद खोला राज
Advertisement
trendingNow12217508

Maharashtra Politics: BJP से उद्धव ठाकरे को दूर करने के पीछे शरद पवार का हाथ? 10 साल बाद खुद खोला राज

Sharad Pawar News In Hindi: शरद पवार ने 10 साल पहले वाली उस बात से पर्दा उठाया है जब उन्होंने बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देने वाली बात कही थी. शरद पवार ने बताया कि उनका मकसद क्या था.

Maharashtra Politics: BJP से उद्धव ठाकरे को दूर करने के पीछे शरद पवार का हाथ? 10 साल बाद खुद खोला राज

Sharad Pawar Statement: महाराष्ट्र की राजनीति के दिग्गज शरद पवार (Sharad Pawar) ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav) के बीच एक ऐसा खुलासा कर दिया है जिससे सियासी गलियारों में नई चर्चा शुरू हो गई है. दरअसल, शरद पवार ने कहा है कि उन्होंने 2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना को बीजेपी से दूर करने के लिए ही बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा की थी. और यह कदम सफल साबित हुआ. एक न्यूज़ चैनल से बात करते हुए शरद पवार ने कहा कि इस कदम का मकसद बीजेपी को सत्ता से दूर रखना था.

2014 में बीजेपी के समर्थन देने का ऐलान क्यों?

2014 में बीजेपी के साथ परदे के पीछे संबंधों की अटकलों पर शरद पवार ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने का मेरा कभी कोई प्लान नहीं था. मैं 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें सत्ता से दूर रखना चाहता था. मैंने सिर्फ बीजेपी को एनसीपी का समर्थन देने की घोषणा की थी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं किया था.

ये भी पढ़ें- वंचितों का हक छीनकर तुष्टिकरण करना चाहती थी कांग्रेस... PM मोदी ने टोंक में घेरा

उद्धव ठाकरे को कैसे साथ लाए शरद पवार?

शरद पवार ने कहा कि प्लानिंग धीरे-धीरे शिवसेना को बीजेपी से अलग करने की थी. मैं इसमें कामयाब रहा. अब मैं और उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं. बीजेपी के हाथ में सरकार देना देश के हित में नहीं है.

2014 के विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था?

गौरतलब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 122 सीट जीती थीं. लेकिन बहुमत के लिए उसे 144 सीटें चाहिए थीं. तब कई दशकों से सहयोगी रहे बीजेपी और अविभाजित शिवसेना ने 2014 का चुनाव अलग-अलग लड़ा था. जब सरकार बनाने की कवायद चल ही रही थी कि तब शरद पवार ने कहा था कि एनसीपी, बीजेपी को बिना शर्त समर्थन देगी.

ये भी पढे़ं- आपका किराएदार 'पेशेवर खूनी' तो नहीं... UP पुलिस के App में क्यों आ रहा ये ऑप्शन?

5 साल बाद कामयाब हुई शरद पवार का दांव!

हालांकि, करीब एक महीने बाद शिवसेना, देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल हो गई थी, लेकिन बाद में भी दोनों सहयोगियों के बीच कई मुद्दों पर विवाद जारी रहा था. इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को बहुमत मिला था. लेकिन मुख्यमंत्री पद पर बात नहीं बन सकी थी और तब से अविभाजित शिवसेना और बीजेपी की राहें जुदा हो गई थीं.

Trending news