इन छतरियों के निर्माण के लिए विदेशों से लाल बलुआ पत्थर मंगवाया गया है.
इस श्मशाम घाट पर निर्माण राजाओं की छतरियां देखने में मनमोहक लगते हैं.
बीकानेर के इस श्मशान घाट का इतिहास 500 साल पुराना है.
इस श्मशान घाट पर शाही परिवार के सदस्यों के अंतिम संस्कार के बाद उस स्थान पर छतरी का निर्माण किया जाता है.
लेकिन बीकानेर के इस श्मशान घाट पर हर साल हजारों पर्यटक आते हैं.
आपने हमेशा यही देखा और सुना है कि किसी के मौत के बाद ही श्मशान घाट जाया जाता है.
शाही श्मशान घाट की खासीयत यह है कि यहां पर राज परिवार के किसी भी सदस्य के निधन पर यही अंतिन संस्कार किया जाता है.
शाही श्मशान घाट की खासीयत यह है कि यहां पर राज परिवार के किसी भी सदस्य के निधन पर यही अंतिन संस्कार किया जाता है.
जी हां,राजस्थान के बीकानेर से 15 से 20 किलोमीटर पर देवीकुंड सागर गांव में शाही श्मशान घाट है.
लेकिन राजस्थान का एक ऐसा गांव है,जिसमे शाही श्मशान घाट का निर्माण हुआ है.
राजस्थान शहर यहां के किलों और महलों के लिए काफी प्रसिध्द है