Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर चिड़ावा के 11 मुखी मंदिर में भक्तों का सैलाब, अष्ट धातु की 1100 किलो वजनी अनूठा मंदिर
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Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर चिड़ावा के 11 मुखी मंदिर में भक्तों का सैलाब, अष्ट धातु की 1100 किलो वजनी अनूठा मंदिर

Hanuman Jayanti 2024: आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव की धूम हैं. वैसे तो देशभर के मंदिरों में बजरंग बली की कहीं छोटी तो कहीं विशालकाय एक मुखी या पंचमुखी रूप की प्रतिमा स्थापित है लेकिन देशभर में केवल 11 ही मंदिर ऐसे हैं. जहां हनुमान के 11 मुखी अवतार के दर्शन कर भक्त पूजा करते हैं.

Hanuman Jayanti 2024: हनुमान जन्मोत्सव पर चिड़ावा के 11 मुखी मंदिर में भक्तों का सैलाब, अष्ट धातु की 1100 किलो वजनी अनूठा मंदिर

Hanuman Jayanti 2024: आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव की धूम हैं. मंदिरों में हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा हैं. वैसे तो देशभर के मंदिरों में बजरंग बली की कहीं छोटी तो कहीं विशालकाय एक मुखी या पंचमुखी रूप की प्रतिमा स्थापित है लेकिन देशभर में केवल 11 ही मंदिर ऐसे हैं. जहां हनुमान के 11 मुखी अवतार के दर्शन कर भक्त पूजा करते हैं.

इन्हीं विशेष मंदिरों में शामिल है झुंझुनूं जिले के ओजटू की परसादाराम की ढाणी स्थित 11 मुखी हनुमान धाम. यहां बजरंग बली की अष्ट धातु की 1100 किलो वजनी 11 मुखी अवतार की प्रतिमा स्थापित है. प्रदेश में इस तरह का दूसरा मंदिर श्रीगंगानगर में है.

इस तरह के मंदिरों की संख्या देशभर में केवल 11 ही हैं। देश में हनुमानजी की ऐसी प्रतिमाएं उत्तरप्रदेश के कानपुर, उत्तराखंड के देहरादून, मध्यप्रदेश के उम्मेदगढ़, जबलपुर, छिंदवाड़ा, अमलाई, भांदेली व गुजरात के बाडोल और पंजाब के नवांशहर के मंदिर भी हैं. मंदिर महंत स्वामी राधिकाशरण ने बताया कि वे सालासर में कथा का वाचन कर रहे थे.

इस दौरान उनकी मुलाकात वैद्य पंडित श्रीराम कौशिक से हुई. जिसके बाद वर्ष 2009 में ओजटू के पास जमीन ली और मंदिर का निर्माण करवाया. चिड़ावा बगड़ रोड स्थित ओजटू के पास परसादाराम की ढाणी में तीन मंजिला मंदिर की स्थापना हनुमान जयंती पर 2 अप्रैल 2015 में हुई थी. जहां सबसे नीचे हनुमान जी की 1100 किलो वजनी अष्टधातु की 11 मुखी प्रतिमा है. जिसमें बजरंग बली के मुख के साथ वाराह, नृसिंह, हयग्रीव, कच्छप, शिव, श्रीराम, यमराज, गणेश, गरुण व परशुराम का मुख है.

इसके ऊपर की मंजिल में भगवान जगन्नाथ हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार कालकारमुख असुर था. जिसे वरदान प्राप्त था कि चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाला 11 मुखी प्राणी ही उसे मार सकता था.

हनुमानजी ने देवताओं के आह्वान पर 11 मुखी रूप धारण कर उस कालकारमुख असुर का संहार किया था. इस मंदिर में यहां हनुमान जयंती के साथ नवरात्र पर शतचंडी महायज्ञ व विजय दशमी पर्व मनाया जाता है.

 

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