Jaisalmer: 'रक्तदान महादान' को सार्थक करने 18 हजार KM पैदल यात्रा कर रहे किरण वर्मा, कपिल शर्मा सहित कई सितारों ने सराहा
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Jaisalmer: 'रक्तदान महादान' को सार्थक करने 18 हजार KM पैदल यात्रा कर रहे किरण वर्मा, कपिल शर्मा सहित कई सितारों ने सराहा

 Jaisalmer News: दिल्ली के रहने वाले किरण वर्मा ने 28 दिसंबर 2021 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से अपनी यात्रा शुरू की थी और 18800 किमी से अधिक दूरी तय कर अब वो देश की पश्चिमी सरहद पर बसे जैसलमेर पहुंच चुके हैं.

Kiran Verma

 Jaisalmer News: दिल्ली के रहने वाले किरण वर्मा ने 28 दिसंबर 2021 को केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम से अपनी यात्रा शुरू की थी और 18800 किमी से अधिक दूरी तय कर अब वो देश की पश्चिमी सरहद पर बसे जैसलमेर पहुंच चुके हैं. किरण चाहते हैं कि दिसंबर 2025 तक 5 मिलियन ब्लड डोनर्स तैयार हो जाएं.

जैसलमेर में शहर कोतवाल सत्यप्रकाश विश्नोई ने उनका स्वागत किया और उनकी इस मुहिम को लेकर उनका हौसला बढ़ाया. क्योंकि शहर कोतवाल सत्य प्रकाश बिश्नोई भी 100 से अधिक बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं.

 किरण वर्मा कहते हैं कि, कुछ करने का जूनून हो तो लोग ही इतिहास रच देते हैं. दुनिया में ऐसे लाखों उदहारण हैं जहां लोगों ने अपनी इच्छा शक्ति से नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया. 

 किरण वर्मा एक जुनूनी शख्स हैं, जिन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद 21 हजार किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की.  किरण वर्मा ने अब तक 18 हजार किलोमीटर से अधिक पैदल चलकर लोगों को रक्तदान करने के लिए प्रेरित किया है. आपको बता दें कि किरण की इस मुहिम को कई बड़े सितारे सराहा चुके हैं. किरण बताते है कि कॉमेडियन कपिल शर्मा के शो में भी उनको जाने का मौका मिला, जहां से उन्होंने अपने इस मैसेज को लोगों तक पहुंचाया. वहीं कई क्रिकेटर्स, फिल्म अभिनेताओं ने भी इन्हें सराहा है.

क्यों शुरू की ये मुहिम
किरण शर्मा ने बताया कि, उनके जीवन  में साल 2016 में एक बार रायपुर की एक महिला को अपने पति के लिए ब्लड की जरूरत थी, मैंने ब्लड डोनेट किया. जब महिला से बातचीत की तो पता चला कि उसे अपने पति के इलाज और ब्लड को अरेंज करने के लिए शरीर बेचना पड़ा.

वहीं, दूसरी वाक्या 2017 का है जब दिल्ली के AIIMS में 14 साल का एक बच्चा एडमिट था.  उस वक्त उस बच्चे को प्लेटलेट्स नहीं मिल पाने की वजह से उसने अपने पिता के सामने ही तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया.  उसी समय मेरे घर भी पहला बच्चा आने वाला था, तब मुझे लगा कि ये किसी के साथ भी हो सकता है और फिर मैंने एक बड़ा फैसला लिया, जिसमें मुझे मेरे परिवार ने सपोर्ट किया. उसके बाद तब से में अपने प्रण को लेकर पैदल निकल पड़ा.

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