जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से छात्रों को दो साल से NMMS छात्रवृत्ति नहीं मिली, राज्य सरकार तीन महीने में देगी छात्रवृत्ति
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जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से छात्रों को दो साल से NMMS छात्रवृत्ति नहीं मिली, राज्य सरकार तीन महीने में देगी छात्रवृत्ति

Jaipur News: राजस्थान में जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से छात्रों को दो साल से NMMS छात्रवृत्ति नहीं मिली. राज्य सरकार ने आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी और कर्मचारी पर कार्रवाई कर दी, लेकिन फिर भी छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली. आखिरकार मानवाधिकार आयोग में शिकायत पहुंची तो आयोग ने राज्य सरकार को छात्रों को छात्रवृत्ति देने के आदेश दिए. 

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Jaipur News: जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से छात्रों को दो साल से NMMS छात्रवृत्ति नहीं मिली. राज्य सरकार ने आरोपी जिला शिक्षा अधिकारी और कर्मचारी पर कार्रवाई कर दी, लेकिन फिर भी छात्रों को छात्रवृत्ति नहीं मिली. आखिरकार मानवाधिकार आयोग में शिकायत पहुंची तो आयोग ने राज्य सरकार को छात्रों को छात्रवृत्ति देने के आदेश दिए. राज्य सरकार को तीन महीने में ही छात्रों को छात्रवृत्ति देनी होगी.

राज्य मानवाधिकार आयोग में लोकेश कुमरी सैनी ने शिकायत कि करौली जिला शिक्षा अधिकारी की गलती से उनको दो साल से NMMS छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है. विभिन्न स्तरों पर शिकायत करने पर जिला शिक्षा अधिकारी ने अपनी गलती तो स्वीकार कर ली, परंतु पोर्टल खुलवाकर फाॅर्म रिवोक कर देंगे, इससे इन्हें छात्रवृत्ति मिल जाएगी. एक पत्र देकर हमारी शिकायत बंद करवा दी जाती है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 17 जनवरी 2022 से स्पष्ट कर दिया कि 2020-21 का पोर्टल अब नहीं खुल सकता है, क्योंकि NSP एक समयबद्ध कार्यक्रम है. जिला शिक्षा अधिकारी करौली की गलती से छात्रवृत्ति नहीं मिली है उनसे वसूल कर दिलवाई जाए. इसके बाद आयोग के निर्देश पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर के 23 दिसम्बर 2023 को आयोग को बताया कि छात्रवृत्ति वितरित की जा चुकी है और नए अनुरोध पर विचार करना संभव नहीं है.

रिपोर्ट में बताया गया कि लोकेश कुमार सैनी का चयन 2018-19 में हुआ और इसने कक्षा 9 और दसवीं करोली जिलें में नियमित पढ़ते हुए दो साल छात्रवृत्ति का लाभ लिया. सत्र 2020-21 में 11वीं में सवाई माधोपुर के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल गंगापुर सिटी मेगं प्रवेश लिया तथा छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन किया. करौली जिला नोडल अधिकारी ने नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर आवेदन को डिफेक्ट करने के स्थापन पर रिजेक्ट कर दिया. यदि आवेदन डिफेक्ट कर दिया जाता तो विद्यार्थी दोबारा लोगिन करके सही कर सकता था. इस दौरान तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी भरतलाल मीणा तथा छात्रवृत्ति प्रभारी आलोक कुमार जैन थे. इनके खिलाफ चार्जशीट देने का निर्णय लिया गया.

राज्य मानवाधिकार आयोग ने अपने फैसले में कहा कि विभाग के अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई करने से छात्रवृत्ति से वंचित विद्यार्थियों को कोई लाभ नहीं हुआ. इसके बाद आयोग ने राज्य सरकार को फैसला दिया .

- नरेंद्र कुमार सैनी , दिनेश कुमार गुर्जर तथा इंद्र कुमार सैनी को 12-12 हजार रुपए का भुगतान करने के निर्देश दिए
- लोकेश कुमार सैनी तथा दिलखुश सैनी को 24- 24 हजार रुपए का भुगतान करने के निर्देश दिए हैं

-आयोग ने राज्य सरकार को दोनों ही मामलों में तीन महीने की अवधि में भुगतान करने के निर्देश दिए हैं
- NMMS सहित छात्र छात्राओं के कल्याण के लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में संचालित है उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए सक्षम स्तर से उचित निर्देश देने तथा सम्बंधित अधिकारी कर्मचारियों को ट्रेनिग को अधिक मजबूत करने के आदेश दिए हैं

- सभी छात्र छात्राओं को राज्य व केंद्र की योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए

आयोग ने कहा कि परिवादी छात्रों को भुगतान की जाने वाली राशि का भुगतान किसी विभागीय जांच कार्यवाही के निर्णय पर आश्रित नहीं होगी. राशि राज्य सरकार विद्यार्थियों को भुगतान करेगी. यदि राज्य सरकार चाहे तो राशि दोषी अधिकारी कर्मचारी से वसूल सकती है.

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