Jaipur- AI की मदद से होगा रूमेटॉयड आर्थराइटिस का इलाज, जोड़ों का दर्द, सूजन और जकड़न से पलभर में मिलेगा छुटाकारा
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Jaipur- AI की मदद से होगा रूमेटॉयड आर्थराइटिस का इलाज, जोड़ों का दर्द, सूजन और जकड़न से पलभर में मिलेगा छुटाकारा

 RRACON-2024: रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसे नियंत्रित करने के लिए बायोलॉजिकल दवाओं का इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ गया है. नई दवाओं से अब रूमेटॉयड आर्थराइटिस को विकसित करने वाले प्रोटीन की सक्रियता को कम किया जा सकता है.

Jaipur-  AI की मदद से होगा  रूमेटॉयड आर्थराइटिस का इलाज, जोड़ों का दर्द, सूजन और जकड़न से पलभर में मिलेगा छुटाकारा

 RRACON-2024: रूमेटॉयड आर्थराइटिस एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसे नियंत्रित करने के लिए बायोलॉजिकल दवाओं का इस्तेमाल करने का ट्रेंड बढ़ गया है. अब इसके इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी भी बना ली गई हैं, जिससे इस बीमारी को और बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है.

 राजस्थान रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की ओर से जयपुर में आयोजित दो दिवसीय स्टेट लेवल कॉन्फ्रेंस 'आरआरएकॉन-2024' के पहले दिन एक्सपर्ट्स ने इस पर चर्चा की. राजस्थान रूमेटोलॉजी एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ आराधना सिंह ने बताया कि, एसोसिएशन की ओर से यह पहली कॉन्फ्रेंस है. जिसमें 200 से अधिक डेलीगेट्स और देशभर से नामी स्पीकर्स भाग ले रहे हैं.

नई दवाओं से वह प्रोटीन होगा ब्लॉक जो बीमारी को करता है विकसित 

चर्चा में शामिल चंडीगढ़ पीजीआई के डॉ. अमन शर्मा ने बताया कि नई दवाओं से अब रूमेटॉयड आर्थराइटिस को विकसित करने वाले प्रोटीन की सक्रियता को कम किया जा सकता है. मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज सीधे इन प्रोटीन को ब्लॉक कर देती हैं. जिससे यह बीमारी नियंत्रित हो जाती है. उन्होंने रूमेटोलॉजी की गंभीर बीमारी वैस्कुलाइटिस के बारे में भी जानकारी दी.
 उन्होंने कहा कि वैस्कुलाइटिस एक गंभीर समस्या है, जिसमें मरीज खून की नसों में सूजन, स्किन, किडनी पर भी प्रभाव पड़ता है. इस बीमारी में मृत्युदर 10 से 15 प्रतिशत तक है.

एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट में कारगर होगा एआई
डॉ. अविनाश और डॉ. राशि माहेश्वरी ने बताया कि रूमेटोलॉजी से जुड़ी बीमारियां ऑटोइम्यून डिजीज होती हैं. इनके लिए एंटी न्यूक्लियर एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाता है जिसमें माइक्रोस्कोप से खून में न्यूक्लियर एंटीबॉडी देखी जाती हैं. यह काम अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा किया जाएगा. एआई की मदद से माइक्रोस्कोप में वह हिस्सा भी नहीं छूटेगा जो इंसानों की नजर से बच सकता है.

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Disclaimer:  इस विषय पर दी गई जानकारी डॉक्टर्स के नजरिए से है. 

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