Rajasthan- सिर दर्द बन रहा कम मतदान, चुनाव आयोग ने शुरू किया मंथन, 5.74% की आई है गिरावट
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Rajasthan- सिर दर्द बन रहा कम मतदान, चुनाव आयोग ने शुरू किया मंथन, 5.74% की आई है गिरावट

Rajasthan Lok Sabha Election: प्रदेशभर में 12 संसदीय सीटों पर हुए कम मतदान प्रतिशत हर किसी के लिए सिर दर्द बन रहा है. वहीं पांच माह पहले हुए विधानसभा चुनाव की तुलना करें तो 12 लोकसभा क्षेत्रों में शामिल 96 विधानसभा सीटों पर 15.89% मतदान की गिरावट आना चिंताजनक है. 

Election Commission

Rajasthan Lok Sabha Election: प्रदेशभर में 12 संसदीय सीटों पर हुए कम मतदान प्रतिशत हर किसी के लिए सिर दर्द बन रहा है. एक ओर निर्वाचन विभाग इसको लेकर मंथन कर रहा है कि आखिर क्या कारण रहे, जिसके चलते मतदाता बूथ तक नहीं पहुंचा. प्रत्याशी इस बात से परेशान हैं कि जो वोट नहीं पड़े, वो किसको नुकसान करेंगे. पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना करें तो वोटिंग प्रतिशत में 5.74% की गिरावट आई है.

 वहीं पांच माह पहले हुए विधानसभा चुनाव की तुलना करें तो 12 लोकसभा क्षेत्रों में शामिल 96 विधानसभा सीटों पर 15.89% मतदान की गिरावट आना चिंताजनक है. निर्वाचन विभाग के आंकडों के अनुसार 2019 में इन 12 संसदीय सीटों पर 64.02% मतदान हुआ. जबकि इस बार 19 अप्रैल को 12 संसदीय सीटों पर मतदान घटकर 58.28% ही रह गया. यानि की इस बार 12 सीटों पर कुल पंजीकृत 2 करोड़ 53 लाख 15 हजार 541 मतदाताओं में से 1 करोड़ 47 लाख 53 हजार 060 मतदाताओं ने मतदान केंद्र पर पहुंचकर वोटिंग की. इनमें 68 लाख 14 हजार 997 वोट महिलाओं, 77 लाख 78 हजार 928 पुरुषों और 164 वोट थर्ड जेंडर के मतदाताओं ने डाले. 

12 लोकसभा क्षेत्रों में शामिल 96 विधानसभा सीटों का एनालिसिस करने पर सामने आया की पांच माह पहले विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 74.17% मतदान हुआ था. लेकिन अब ऐसा पांच माह में क्या हुआ की 12 संसदीय सीटों में समाहित 96 विधानसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत घटकर 58.28% ही रह गया. 

 सबसे ज्यादा और सबसे कम मतदान प्रतिशत की बात करें तो सर्वाधिक 67.21% मतदान गंगानगर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुआ और सबसे कम 50.02% मतदान करौली-धौलपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में हुआ है. हालांकि 2019 के मुकाबले महिला और पुरूषों मतदाताओं के मतदान प्रतिशत का अंतर कम हुआ है.

 2019 में यह अंतर 2.24% था, जो कि 2024 के प्रथम चरण के चुनावों में 1.86% रह गया है. सीकर, चूरू, झुंझुनूं में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरूषों के मुकाबले ज्यादा रहा है. सीकर में पुरूषों का मतदान प्रतिशत 56.26% जबकि महिला मतदाताओं का 58.92%, झुंझुनूं में पुरूष 51.92% जबकि महिला मतदाता 54.03% प्रतिशत, चूरू में पुरूषों का 63.51% जबकि महिला मतदाताओं का 63.71% प्रतिशत मतदान रहा.

2019 और 2014 का निर्वाचन क्षेत्रवार मतदान प्रतिशत:

लोकसभा 2019 2024 मतदान में कमी

अलवर 67.37 60.61 6.76 माइनस

भरतपुर 59.33 53.43 5.90 माइनस

बीकानेर 59.80 54.57 5.90 माइनस

चूरू 65.96 64.22 1.74 माइनस

दौसा 61.72 56.39 5.33 माइनस

करौली-धौलपुर 55.92 50.02 5.90 माइनस

श्रीगंगानगर 74.70 67.21 7.49 माइनस

जयपुर शहर 68.47 63.99 4.48 माइनस

जयपुर ग्रामीण 64.73 57.65 7.08 माइनस

झुंझुनूं 62.11 53.63 8.48 माइनस

नागौर 62.48 57.60 4.88 माइनस

सीकर 65.06 58.43 6.63 माइनस

कुल 64.02 58.28 5.74 माइनस

 मतदान केंद्रों पर वोटिंग टर्नआउट:

कुल मतदान केंद्रों की संख्या - 24370

0-10% मतदान - 23 पोलिंग बूथों पर

10-20% मतदान - 11 पोलिंग बूथों पर

21-30% मतदान - 134 पोलिंग बूथों पर

31-40% मतदान - 1107 पोलिंग बूथों पर

41-50% मतदान - 4442 पोलिंग बूथों पर

51-60% मतदान - 8866 पोलिंग बूथों पर

61-70% मतदान - 7602 पोलिंग बूथों पर

71-80% मतदान - 2037 पोलिंग बूथों पर

81-90% मतदान - 142 पोलिंग बूथों पर

91-100% मतदान - 6 पोलिंग बूथों पर

प्रत्याशियों की लगातार टेलीकॉलिंग से भी लोग न केवल परेशान हुए, बल्कि मतदान में उनकी उकताहट भी देखने को मिली. निर्वाचन आयोग, निर्वाचन विभाग, जिला निर्वाचन ने अपने नवाचार जैसे हर बूथ पर पहले 50 वोट देने वाले एक लाख से अधिक मतदाताओं को पुरस्कार देने, वोटक्यू ट्रैकर ऐप विकसित करने और मतदान के प्रति जागरूक करने के कई प्रयासों के बावजूद अपने नवाचार मतदाताओं तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचा पाया.

जयपुर में गर्मी बनी कारण
 जयपुर में गर्मी के चलते मतदाता वोट देने घरों से कम निकले. दोपहर में तो मतदान केंद्र पूरी तरह से सूने रहे ऐसा लग रहा था जैसे लॉकडाउन लगा हो. तीन दिन के अवकाश के चलते भी लोग बाहर घूमने निकल गए. जिससे मतदान में गिरावट आई. इसके अलावा शादी और मांगलिक आयोजनों में व्यस्तता ने भी मतदान को प्रभावित किया.

बहरहाल, राज्य की कुल 25 लोकसभा सीटों में से 12 सीटों पर पहले चरण का मतदान हो चुका है. जबकि दूसरे चरण की 13 सीटों पर मतदान होना अभी बाकी है. अब दूसरे चरण में मतदान बढ़ाने की जिमेदारी जितनी राजनीतिक दलों की है, उतनी ही जनता की भी है. सोचने की बात है कि आखिर 40% से ज्यादा मतदाता मतदान करने क्यों नहीं निकला. राजनीतिक दलों के लिए यह आत्मावलोकन का समय है तो जनता को भी सोचना चाहिए कि अपने मन की सरकार चुनने के लिए जिस दिन का वे पांच साल इंतजार करते हैं, फिर लोकतंत्र के पर्व वाले दिन यह बेरुखी क्यों.

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