Jaipur News:जलदाय विभाग में खुलकर फर्जीवाड़ा होता है,उस पर जांच बैठाई जाती है,लेकिन सारे नियमों को ताक पर रखते हुए फर्मों को क्लीन चिट मिल जाती है.जलदाय विभाग में BSR फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में फिर से जांच को दबाने की कोशिश की जा रही है.
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Jaipur News:जलदाय विभाग में खुलकर फर्जीवाड़ा होता है,उस पर जांच बैठाई जाती है,लेकिन सारे नियमों को ताक पर रखते हुए फर्मों को क्लीन चिट मिल जाती है.पीएचईडी में BSR फर्म के रजिस्ट्रेशन को लेकर एक बार फिर से क्लीन चिट की तैयारी हो गई है,क्योंकि डेढ़ महीने से अब तक फर्म की ना तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई.
कहां दब गई फर्जी रजिस्ट्रेशन की जांच?
जलदाय विभाग में BSR फर्म के फर्जी रजिस्ट्रेशन के मामले में फिर से जांच को दबाने की कोशिश की जा रही है.डेढ़ महीने से जलदाय विभाग में जिम्मेदार अफसर फर्म की जांच को दबाकर बैठे है.फिलहाल जांच की फाइल जल जीवन मिशन एमडी बचनेश कुमार अग्रवाल के पास है,लेकिन इस जांच पर आंच ना आए.
इसलिए अधिकारी जांच की फाइल को दबाकर बैठे है.इससे पहले भी BSR फर्म के डबल ए क्लास रजिस्ट्रेशन की जांच हुई थी,लेकिन बिना तथ्यों और नियमों को ताक पर रखकर चीफ इंजीनियर आरसी मीणा ने बीएसआर फर्म को क्लीन चिट दे दी.इतना ही फाइनेंस कमेटी ने भी फर्म को क्लीन चिट दी थी.अब दोबारा जांच हुई तो वो भी दबाई जा रही है.
परत दर परते खुलेगी रजिस्ट्रेशन की रिपोर्ट
अब आपको परत दर परत समझाते है आखिर BSR फर्म ने क्या दस्तावेज लगाएं और कैसे आरटीपीपी के नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाते हुए इंजीनियर्स से मिलीभगत के चलते डबल ए क्लास का फर्जी रजिस्ट्रेशन हो गया.
पहला पॉइंट- BSR ने फर्म डबल ए क्लास रजिस्ट्रेशन के लिए प्राइवेट कंपनी साउथ वेस्ट पीनाकल का 3 करोड का एक अनुभव प्रमाण पत्र लगाया.
नियम-नियमों के तहत किसी भी फर्म के रजिस्ट्रेशन के लिए सरकारी कार्यों का अनुभव जरूरी होता है,लेकिन BSR फर्म ने निजी फर्म का प्रमाण पत्र लगाया.
दूसरा पाइंट- बीएसआर ने डबल एक क्लास में रजिस्ट्रेशन के लिए 3.60 करोड का एक अनुभव प्रमाण पत्र लगाया.
नियम-आरटीपीपी नियमों के तहत डबल ए क्लास फर्म के रजिस्ट्रेशन के लिए 1-1 करोड के दो अनुभव प्रमाण पत्र जरूरी है.लेकिन BSR ने तो एक ही प्रमाण पत्र लगाया.
तीसरा पाइंट-साउथ वेस्ट पीनाकल के प्रमाण पत्र में एनआईटी नंबर ही नहीं, तारीख भी गायब.
नियम-नियमों के तहत अनुभव प्रमाण पत्र में एनआईटी नंबर जरूरी होता है.यदि एनआईटी नहीं होता तो वो प्रमाण पत्र फर्जी ही माना जाता है.तारीख भी होना जरूरी है.
चौथा पॉइंट-पीनाकल के अनुभव प्रमाण पत्र सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड से लिया गया है.
नियम
सरकारी दस्तावेज किसी कोरे कागज पर नहीं हो सकता.ये अनुभव प्रमाण पत्र सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड का आदेश या परिपत्र होता है.लेकिन प्रमाण पत्र तो सिर्फ एक्सईएन जोधपुर खंड द्वारा अटेस्टेड है.ना की सेंट्रल बोर्ड द्वारा जारी किया हुआ.
पांचवा पॉइंट
फर्म द्वारा पहला प्रमाण पत्र 28 फरवरी 2019 को केंद्रीय भूजल बोर्ड के अधिशाषी अभियंता से प्रमाणित होना बताया है.30 जनवरी 2019 को जारी किए गए दूसरे प्रमाण पत्र को सहायक अभियंता द्वारा प्रमाणित होना बताया.
नियम
अनुभव प्रमाण पत्र में केवल संबंधित इंजीनियर के ही साइन होते है.लेकिन यहां तो एईएन और एक्सईएन दो इंजीनियर साइन कर एक ही प्रमाण पत्र को जारी कर रहे.कौनसा प्रमाण पत्र सही है.
क्या मंत्री पूरे मामले में लेंगे संज्ञान?
अब सवाल ये है कि इतने गंभीर मामले एक बार फिर से ठंडे बस्ते में क्यों चला गया? क्या जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी पूरे मामले में संज्ञान लेंगे या उनके विभाग में इसी तरह से भ्रष्टाचार का खेल चलता रहेगा?.
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