बाड़मेर का छोरा जगदीश बिश्नोई UN में करेगा भारत का प्रतिनिधित्व, छोटी उम्र छिन गया था माता-पिता का साथ
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बाड़मेर का छोरा जगदीश बिश्नोई UN में करेगा भारत का प्रतिनिधित्व, छोटी उम्र छिन गया था माता-पिता का साथ

Barmer News :  बाड़मेर का बेटा मानवाधिकार पर युवाओं में कल करेगा भारत का प्रतिनिधित्व, जगदीश बिश्नोई वर्तमान दिल्ली यूनिवर्सिटी में कार्यरत है.

 

बाड़मेर का छोरा जगदीश बिश्नोई UN में करेगा भारत का प्रतिनिधित्व, छोटी उम्र छिन गया था माता-पिता का साथ

Barmer News : मानवाधिकार पर यूएन में कल से अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू होने जा रहा है. वहां भारत की ओर से बाड़मेर जिले के धोरीमन्ना के रडू गांव के रहने वाले जगदीश बिश्नोई अपना प्रतिनिधित्व करेंगे. यह सम्मेलन यह सम्मेलन 6 जून से 9 जून तक थाईलैंड के बैंकॉक में यूएन कॉन्फ्रेंस सेंटर में आयोजित होगा. यह सम्मेलन वैश्विक सहयोग और समन्वय के लिए एक मंच का कार्य करता है, जिसमें विभिन्न देशों के सरकारी अधिकारी, नागरिक, समाज के नेताओं, मानवाधिकार संरक्षकों, व्यापार संघों, विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों के बीच वार्तालाप करने का अवसर प्रदान करता है.

भारत के प्रतिनिधि के रूप में विश्नोई का महत्वपूर्ण कार्य होगा सभी संबंधित स्थानीय नेताओं के साथ सहयोग और विचार विमर्श को बढ़ावा देना, उनका मुख्य उद्देश्य विभिन्न देशों के सरकारी अधिकारियों के साथ योजनाबद्घ वार्तालाप और संवादशीलता को बढ़ावा देना होगा इसके माध्यम से वे वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने. मानवाधिकारों को प्रचारित करने और सतत पोषणीय विकास को आगे बढ़ाने के सामूहिक प्रयास में अपना योगदान देंगे. उनके समान और योगदान के माध्यम से वह वैश्विक संवाद को भारत में आकर्षित करेंगे और विभिन्न मुद्दों पर सहयोगी समाधानों के विकास में योगदान करेंगे. जो वैश्विक स्तर पर लोगों को प्रभावित करने के लिए सकारात्मक प्रभाव डालेगा. जगदीश बिश्नोई वर्तमान दिल्ली यूनिवर्सिटी में कार्यरत है. पूर्व में वह नीति आयोग, भारतीय लोक प्रशासनिक संस्थान जैसे कई केंद्र सरकार की संस्थानों में सलाहकार के रूप में कार्य कर चुके हैं.

छोटी उम्र में सर से उठ गया था माता पिता का साया

जगदीश बिश्नोई का जन्म जनवरी 1996 में जुड़वा भाई के रूप में हुआ था, कुल चार भाई है बड़ा भाई हरीश सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और दो इनसे छोटे है लेकिन 3 वर्ष की छोटी उम्र में एक एक्सीडेंट में पिता मंगलाराम का देहांत हो गया था. पिता की मौत को 1 वर्ष भी नहीं हुआ था और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे माता रावणी देवी का भी निधन हो गया. घर में बूढ़े दादा-दादी थे. समय गुजरने लगा पढ़ाई की उम्र हुई पांचवी तक की पढ़ाई गांव से की और उसके बाद 12वीं तक गुरुकुल स्कूल धोरीमन्ना से पढ़ाई कर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली पढ़ने की जिद करने लगा.

जिसके बाद गुरुकुल स्कूल के निदेशक गणपत गिला ने जगदीश के सपनों को पूरा करते हुए दिल्ली यूनिवर्सिटी में दाखिला दिलाया. जगदीश का मन लगातार अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगा दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक डिग्री लेकर आगे की. पढ़ाई के लिए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी काशी से लोक प्रशासन में एम ए की पढ़ाई पूरी की वर्तमान में पीएचडी चल रही है. मां-बाप को खोने के बाद भी जिद और हौसले को जारी रखते हुए आज यह मुकाम हासिल किया है, जिसके लिए जगदीश बिश्नोई को हार तरफ से शुभकामनाएं मिल रही है.

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